Sharadiya Navratri 2022: मेरठ के सिद्धपीठ काली माई मंदिर में पूरी होती है हर मनोकामना, 400 वर्षों का है इतिहास
Sharadiya Navratri 2022 नवरात्र पर मेरठ के सदर बाजार स्थित सिद्धपीठ काली माई मंदिर में मां काली के दर्शन को दूर दूर से आते हैं भक्त। इस मंदिर काफी मान्यता भी है। पांच मुण्डों पर सवार होकर मां देती है दर्शन। नवरात्र के दौरान यहां पर काफी भीड़ रहती है।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Sharadiya Navratri 2022 मेरठ के सदर बाजार स्थित सिद्धपीठ काली माई मंदिर में मां काली के रौद्र रूप के दर्शन होते है। मां के इस दिव्य स्वरुप के दर्शन के लिए सिर्फ नवरात्र में ही नहीं वर्ष भर मां के भक्त दूर दूर आते हैं, और मनोकामना पूर्ण होने पर नारियल की भेंट चढ़ाते हैं। मंदिर में स्थापित मां काली की मूर्ति साक्षात कलकत्ता की काली मां का रूप है, जिनके दर्शन से लोगों के दुख दर्द दूर हो जाते है।
मंदिर का इतिहास
मंदिर की स्थापना चार सौ साल पहले नीलकंठ बनर्जी ने की। वह बांग्लादेश से मेरठ आकर इस स्थान पर रहने लगे। उन्होंने गुरुमंत्र प्राप्त कर मां काली की मूर्ति की स्थापना की और देवी की पूजा अर्चना करने लगे। तब से लेकर आज तक इसी स्थान पर मां काली की आराधना कर भक्त मां के दर्शन करते हैं।
पांच मुण्डों पर खड़ी मूर्ति
वर्तमान में उनकी 11वीं पीढी मां काली की सेवा कर रही हैं। पांच मुण्डों पर खड़ी है मां काली मंदिर में स्थापित काली मां की मूर्ति पांच मुण्डों पर खड़ी है। यह एक सिद्धपीठ है, जहां माता काली के साक्षात दर्शन होते है। देवी की मूर्ति को कोई स्पर्श नहीं कर सकता है। मां को वहीं लोग स्पर्श कर सकते हैं, जिन्होंने गुरुमंत्र धारण किया हुआ हो।
दीपावली पर होता है विशेष पूजन
अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करने वाली मां शक्ति की विशेष पूजा दीपावली की रात में होती है। इस पूरी रात जाग कर उनके भक्त शक्ति की उपासना करते हैं। दीपावली की रात सभी लोग जहां देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। वहीं काली मंदिर में मां काली की उपासना कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है।
नवरात्र में भक्तों की लगती है कतारें
मां के भक्त वैसे तो साल भर उनके दर्शन करने के लिए दूर दूर से आते हैं। लेकिन नवरात्र में मंदिर में मेले का माहौल रहता है। मां काली के दर्शन और मन्नत मांगने वालों की दिन रात लंबी कतारे लगी रहती है। यहां जो भी भक्त सच्चे मन से मां से मांगता उसे वह सब कुछ मिलता है।
अमावस्या की रात होती है काली की पूजा
हर अमावस्या को मां काली का पूजन किया जाता है। इस रात मां की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। इस रात मां की पायल की आवाज और मां के मंदिर में घूमने का आभास होता है।
- संकेत बजर्नी, पुजारी
मां के दर्शन मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। नवरात्र में मां के दर्शन और पूजा का विशेष महत्व है। यहीं वजह कि नौ दिन मां के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। नवरात्र के बाद मंदिर में विशाल भंडारा भी किया जाता है। बचपन से मंदिर आकर मां काली के दर्शन करने वाले गोल्डी का कहना है कि मेरी मां काली में अपार श्रद्धा है। मैं न सिर्फ नवरात्र में बल्कि साल भर मां के दर्शन करने आता हूं। मां काली मेरी सभी इच्छाएं पूरी करती हैं।
- गोल्डी भक्त