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नहीं रहे बुलंदशहर के 'शाहजहां', बेगम की याद में बनवाया था मिनी ताजमहल

जेएनएन (मेरठ)। मरहूम बेगम की याद और अपनी मोहब्बत को अमर करने की ख्वाहिश में मिनी ताजमहल का ि

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 01:30 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 01:30 PM (IST)
नहीं रहे बुलंदशहर के 'शाहजहां', बेगम की याद में बनवाया था मिनी ताजमहल

जेएनएन (मेरठ)। मरहूम बेगम की याद और अपनी मोहब्बत को अमर करने की ख्वाहिश में मिनी ताजमहल का निर्माण करा रहे बुलंदशहर के कसेर कलां गांव निवासी फैजुल हसन कादरी की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। अनूठी इमारत को तामीर कराने और क्षेत्र के लिए राजकीय बालिका इंटर कालेज की सौगात दिलाने से चर्चा में आए कादरी को तत्कालीन सपा सरकार ने सम्मानित भी किया था। उनके निधन से क्षेत्र में शोक है। शनिवार को गमगीन माहौल में उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। उनके शव को ताजमहलनुमा इमारत के निचले हिस्से में बनीं उनकी बेगम की कब्र के करीब दफनाया गया।

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फैजुल हसन कादरी (87) गुरुवार देर रात अपने घर के बाहर खड़े थे। इसी दौरान एक बाइक सवार ने उन्हें टक्कर मार दी। परिजन उन्हें अस्पताल ले गए, जहां से गंभीर हालत में अलीगढ़ रेफर कर दिया गया। शुक्रवार को अलीगढ़ मेडिकल कालेज में उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।

ऐसे आए थे चर्चा में

पोस्टमास्टर पद से सेवानिवृत फैजुल हसन कादरी की पत्नी तजम्मुली का वर्ष 2011 में निधन हुआ था। बेगम की याद में उन्होंने उसी साल कसेर कलां में मिनी ताजमहल का निर्माण शुरू कराया। इमारत के निर्माण में क्षेत्र के लोगों ने आर्थिक मदद देनी चाही, लेकिन कहा कि वह इस इमारत के जरिए अपनी बेगम की यादों को संजो रहे हैं, लिहाजा किसी से कोई मदद नहीं लेंगे। उन्होंने क्षेत्र की बेटियों के लिए इंटर कालेज बनवाने की भी पहल की। सपा सरकार ने उनके प्रयास का स्वागत करते हुए गांव को राजकीय बालिका इंटर कालेज की सौगात दी। मिनी ताजमहल के निर्माण के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया। उनके द्वारा दान दी गई छह बीघा भूमि में कालेज की बिल्डिंग बनकर तैयार है, लेकिन स्टाफ के अभाव में अभी विद्यालय शुरू नहीं हो सका है।

पहले ही बनवा ली थी कब्र

मिनी ताजमहल के भीतर फैजुल हसन कादरी की बेगम तजम्मुली की कब्र है। फैजुल हसन ने तजम्मुली के इंतकाल के वक्त ही परिजनों से कह दिया था कि उन्हें भी बेगम की कब्र के निकट ही दफनाया जाए। उन्होंने उसी समय अपनी कब्र भी बनवा ली थी। परिजनों ने बताया कि शनिवार को इसी कब्र में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।

नहीं हो सकी हसरत पूरी

राजकीय बालिका इंटर कालेज का नाम फैजुल हसन कादरी अपनी बेगम के नाम पर रखना चाहते थे। भूमि कालेज के लिए दान करने से पहले उन्होंने माध्यमिक शिक्षा विभाग के सामने यह प्रस्ताव भी रखा था। परिजनों के मुताबिक, उस समय विभाग ने सहमति दे दी, लेकिन बाद में इन्कार कर दिया। कालेज नामकरण के मुद्दे को लेकर वह कई बार जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय भी आए थे, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी।

नहीं है कोई संतान

फैजुल हसन कादरी के कोई संतान नहीं है। उन्होंने अपने भाई के बेटे को अपने पास रखा हुआ है। बताया जाता है कि उन्होंने अपनी पत्नी से उनकी याद में ताजमहल बनवाने का वादा किया था।


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