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मेरठ का लाल : साथी मेजर की बांहों में ली थी शहीद मेजर केतन ने अंतिम सांस

अनंतनाग में मेजर औजला के लिए भी वह पल स्तब्ध कर देने वाला था जब आतंकी की गोली केतन की दाहिनी ओर से सिर में घुस गई। मेजर केतन ने उनकी बांहों में ही अंतिम सांस ली।

By Ashu SinghEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 10:28 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jun 2019 10:37 AM (IST)
मेरठ का लाल : साथी मेजर की बांहों में ली थी शहीद मेजर केतन ने अंतिम सांस
मेरठ का लाल : साथी मेजर की बांहों में ली थी शहीद मेजर केतन ने अंतिम सांस

मेरठ [अमित तिवारी]। सेना के ऑपरेशन के दौरान जांबाज अफसर और जवानों की निगाहें केवल दुश्मन को मार गिराने पर ही होती हैं। वहां अपनी जान की परवाह किसी को नहीं होती। हर सैनिक एक-दूसरे के पीछे उसकी निगाह होता है। शहीद मेजर केतन शर्मा ने अंतिम सांस अपने साथी मेजर डीएस औजला की बांहों में ली। मेजर औजला के लिए भी वह पल स्तब्ध कर देने वाला था जब आतंकी की गोली केतन की दाहिनी ओर से सिर में घुस गई। मेजर औजला इस ऑपरेशन में उनके साथ ही आगे बढ़ रहे थे। उसी दौरान चली गोलियों ने दो और जवानों को भी जख्मी किया लेकिन वे अब खतरे से बाहर हैं।

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परिजनों व सेना को दी जानकारी
मेजर केतन के अंतिम क्षणों के साक्षी रहे मेजर औजला ही शहीद की पार्थिव देह लेकर मेरठ पहुंचे। उन्होंने परिजनों व सैन्य अधिकारियों को घटना के संबंध में पूरी जानकारी दी और बताया कि ऑपरेशन के दौरान किस प्रकार केतन ने बहादुरी से टीम की अगुवाई की। अनंतनाग जिले के बडूरा गांव में चल रहे ऑपरेशन के दौरान 19 राष्ट्रीय राइफल्स की इस टीम ने आतंकियों को घेर लिया था। कायरों की भांति घर में छिपकर हमला कर रहे आतंकियों ने मरने का ढोंग कर आगे बढ़ रहे सैनिकों पर घात लगाकर हमला किया। सोमवार 17 जून को ऑपरेशन के दौरान दोपहर 2:45 बजे मेजर केतन शर्मा आतंकियों की गोली के निशाने पर आ गए।

साढ़े छह साल की सेवाएं दीं
शहीद मेजर केतन शर्मा ने सेना में करीब साढ़े छह साल की सेवाएं दीं। 19 राष्ट्रीय राइफल्स के साथ यह उनकी पहली फील्ड पोस्टिंग थी। यहां पर वह दो जनवरी 2018 से तैनात थे। केतन आठ दिसंबर 2012 को आइएमए से उत्तीर्ण होकर राजस्थान के गंगानगर स्थित अपनी पैरेंट यूनिट 57 इंजीनियरिंग रेजिमेंट में कमीशन हुए थे। यहां पर दो साल तैनात रहे। इसके बाद तीन साल तक पुणो में इंजीनियरिंग का डिग्री कोर्स पूरा किया। कमीशन होने के दो साल बाद कैप्टन बने और इसके चार साल बाद आठ दिसंबर 2018 को मेजर रैंक मिली। केतन ने नौवीं तक की पढ़ाई कंकरखेड़ा के अशोका एकेडमी से और 12वीं मेरठ पब्लिक स्कूल, वेस्ट एंड रोड से की। सरूरपुर के डिग्री कॉलेज से बीएससी की और सीडीएस से सेना में भर्ती हुए।

मेरठ छावनी में तैनात है शहीद मेजर की इंजीनियरिंग यूनिट
शहीद मेजर केतन शर्मा की सेना में नियुक्ति साल 2012 में 57 इंजीनियरिंग रेजिमेंट में हुई थी। यह रेजिमेंट वर्तमान में मेरठ छावनी में ही तैनात है। शहीद की अंतिम यात्रा की जिम्मेदारी इसी रेजिमेंट को मिली थी। सभी साथी अफसर व जवान शहीद मेजर केतन शर्मा की अंतिम यात्र में हर पल शामिल रहे। कई जवान अपनी भावनाओं को नहीं रोक पाए।

छुट्टी में हुई थी मुलाकात
इंजीनियरिंग रेजिमेंट ने इस साल छावनी में ही 22 फरवरी को 54वां स्थापना दिवस मनाया था। उस समय कुछ दिनों के लिए मेजर केतन शर्मा छुट्टी पर घर आए थे। स्थापना दिवस कार्यक्रम में मेजर केतन यूनिट में साथियों से मिलने गए थे। पिछले माह ही छुट्टी के दौरान भी वे साथियों से मिले।

साथी बोले-बहुत अच्छे थे हमारे साहब
अपनी यूनिट के अफसर की शहादत की खबर सुनकर जवानों की आंखें नम नजर आईं। पूछने पर बस इतना ही बोल सके कि हमारे साहब बहुत अच्छे थे। अभी उनकी छुट्टी के समय ही तो मुलाकात हुई थी।

इसी रेजिमेंट के अफसर ने मारा था बुरहान वानी को
इसी इंजीनियरिंग रेजिमेंट के अफसर मेजर मानिक शर्मा ने कश्मीर के आतंकी बुरहान वानी को मार गिराने वाले ऑपरेशन में शामिल थे। उन्हीं की गोली से वह आतंकी मारा गया था। बुरहान कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर था। सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर बह युवाओं में काफी प्रचलित हो गया था।

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