सीसीएसयू के इतिहास विभाग में मेरठ के स्वर्णिम इतिहास पर संगोष्ठी का आयोजन
मेरठ की धरती के नीचे इतिहास के कई रहस्य दबे हुए हैं। हस्तिनापुर से लेकर
मेरठ,जेएनएन। मेरठ की धरती के नीचे इतिहास के कई रहस्य दबे हुए हैं। हस्तिनापुर से लेकर मेरठ में कई उत्खनन में इसकी पुष्टि भी हुई है। अगर आगे भी सर्वेक्षण हो तो इतिहास की कई नई जानकारी मिलेंगी। चौ. चरण सिंह विवि के इतिहास विभाग में प्री पीएचडी कोर्स वर्क के दौरान आयोजित गोष्ठी में यह बात सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहीं।
उन्होंने बताया कि अब मेरठ को पुरातत्व सर्वेक्षण का नया सर्किल बनाया गया है। इससे मेरठ की पुरातात्विक महत्व के स्थल सामने आएंगे। मेरठ के पास ऐसी कई चीजें हैं, जिससे हमारा गौरव बढ़ सकता है। उस दिशा में हमें काम करने की जरूरत है। मेरठ सर्किल के आर्कियोलाजिस्ट डीवी गणनायक ने कहा कि मेरठ के आसपास बहुत धरोहर है। यह बहुत समृद्ध क्षेत्र है। मेरठ शहर के विकासपुरी में बताया गया था कि वहां एक पिलर है। अभी हाल ही में सर्वेक्षण पता चला कि यहां पर बौद्ध विहार रहा है। जहां पहले एक पिलर भी था। जिला प्रशासन के सहयोग से इसे संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। विकासपुरी में मिलीं ईंट की साइज सारनाथ की तरह है। जो दो हजार वर्ष पुराना है। हस्तिनापुर में 1949 में हुए उत्खनन हुआ था, उसमें जो साइट मिला था उसे देखने के लिए नवंबर में फिर से उत्खनन का कार्य होगा। सूरजकुंड के मनोहरनाथ मंदिर के पास नौंवी शताब्दी के मंदिर के कुछ स्थापत्य टुकड़े मिले हैं। प्रो. विघ्नेश त्यागी ने कहा कि मेरठ के विकासपुरी में जो अशोक स्तम्भ था, उसे 1364 में फिरोज शाह तुगलक दिल्ली ले गया था जो आज भी है। इसका उल्लेख तारीख ए ़िफरोजशाही में भी है। उन्होंने अपनी पुस्तक मेरठ के पांच हजार वर्ष के विषय में बताया। अध्यक्षता डा. आरके भटनागर ने की।