ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे पर अब सुरक्षा की चिंता छोड़िए, मिनी नेस्ट भी जल्द खुलेंगे
ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे पर सुरक्षा अब भी चिंता का विषय बनी है। यह चिंता भी जल्द दूर होने जा रही है। जापान की कंपनी को इसका जिम्मा दिया गया है।
मेरठ, [रवि प्रकाश तिवारी]। ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे (ईपीई) ने सफर तो सुकूनभरा कर दिया, लेकिन छह माह बाद भी सुरक्षा एक बड़ी समस्या बनी हुई है। साथ ही 135 किमी लंबे इस रास्ते पर सूक्ष्म जलपान या शौचालय आदि की कोई व्यवस्था न होना, यात्रियों के लिए परेशानी का बड़ा सबब है। एनएचएआइ का दावा है कि तीन से छह माह में इन दोनों समस्याओं का भी निदान हो जाएगा। सुरक्षा की जिम्मेदारी जापान की कंपनी जायका को सौंपी गई है और जल्द ही जायका उच्च तकनीक से इस एक्सप्रेस-वे की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी। इसकी खातिर कंट्रोल रूम तैयार करने का वर्क ऑर्डर अवार्ड हो चुका है।
डासना में बनेगा कंट्रोल रूम
242 करोड़ रुपये की लागत से यह कंट्रोल रूम डासना में तैयार होगा। जायका प्रत्येक किमी के सफर पर सीसीटीवी कैमरे से निगाह रखेगी। कुछ कैमरे खुले में होंगे जबकि कुछ खुफिया तरीके से काम करेंगे। इसके साथ ही गति नियंत्रण और वाहनों के रोक-टोक पर नजर रखेंगे। किसी दुर्घटना या अन्य अप्रिय स्थिति में घायल-पीडि़त को जल्द से जल्द मदद मुहैया कराई जा सकेगी। लूटपाट की घटना से निपटने के भी इंतजाम किए जाएंगे।
विश्राम के लिए बनेंगे मिनी नेस्ट
यात्रा के बीच नीरसता तोडऩे और यात्रियों को विश्राम के मकसद से हाईवे पर मिनी नेस्ट की व्यवस्था मुहैया कराने का वादा अगले 15 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। ईपीई के पैकेज दो यानी बील अकबरपुर से पलवल के बीच 20 गुणा 20 मीटर का दो मिनी नेस्ट का आरओ जारी कर दिया गया है। यह जल्द ही शुरू हो जाएगा। यहां सूक्ष्म जलपान, आरओ वाटर के साथ ही शौचालय की सुविधा भी होगी।
वाहनों की संख्या एक करोड़ पार
इधर, ईपीई पर तेजी से वाहनों की संख्या बढऩे लगी है। जून में पांच हजार वाहनों के साथ इस पर सफर हुआ था, जो अब रोजाना 41-42 हजार की संख्या तक पहुंच गया है। 15 जून से 30 नवंबर के बीच ईपीई पर 54,45179 वाहन दौड़े। अगर इन्हें पैसेंजर कार यूनिट में बदलें तो यह आंकड़ा 10306252 तक पहुंचता है।
कनेक्टरों पर सख्ती करे पुलिस तो दूर हो बेवजह का जाम
ईपीई के इंटरकनेक्टर पर अगर स्थानीय पुलिस सख्ती करे, हाईवे को जाममुक्त करने के लिए भारी वाहनों को ईपीई की ओर मोड़ दे तो कम से कम दिल्लीगामी मार्ग पर अब भी पड़ रहा बेवजह लोड कम होगा। मसलन अब भी दिल्ली-देहरादून मार्ग से भारी वाहन बड़ी संख्या में दिल्ली की सीमा में घुस रहे हैं। अगर पुलिस बैरियर लगाकर इन्हें एक्सप्रेस-वे पर मोड़े तो दुहाई के बाद, राजनगर एक्सटेंशन, गाजियाबाद और दिल्ली सीमा के जाम की दिक्कत दूर हो जाएगी। ईपीई की एक और खासियत है कि इस पर ओवरलोड वाहनों को एंट्री नहीं मिलेगी, ऐसे में वे ट्रांसपोर्टर भी आसानी से इस कवायद के दौरान चिह्नित हो जाएंगे, जो राजस्व को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
फिलहाल दो अस्थाई पेट्रोल पंप, दो माह में छह स्थाई बन जाएंगे
ईस्टर्न पेरीफेरल पर ईंधन की कमी न हो, इसकी खातिर दो अस्थाई पेट्रोल पंप काम कर रहे हैं। एक औरंगपुर और दूसरा सिरसा-कासना के पास है। दोनों ही जिला गौतमबुद्धनगर में हैं। औरंगपुर में तो अस्थाई पेट्रोल पंप पर 12 हजार लीटर तक की रोजाना की खपत है। एनएचएआइ का दावा है कि आने वाले 60-70 दिनों में 135 किमी लंबे इस एक्सप्रेस-वे पर छह स्थाई पेट्रोल पंप खुल जाएंगे।
बेधड़क दौड़ रहे दोपहिया
एक्सप्रेस-वे पर दोपहिया वाहनों को चलने की मनाही है। सड़क सुरक्षा के लिहाज से ये काफी खतरनाक है, लेकिन ईपीई की व्यवस्था को धता बताकर बेरोकटोक दुपहिया दौड़ रहे हैं। इस पर एनएचएआइ अफसरों का कहना है कि इंटरकनेक्टरों पर पानी निकासी की जगह है। अक्सर दुपहिया चालक वहीं से चढ़-उतर रहे हैं। कई बार पुलिस की मदद से हम चेकिंग करवाते हैं। सैकड़ों का चालान भी हुआ, लेकिन लोग मान नहीं रहे। अब हम इसका स्थाई समाधान कर रहे हैं ताकि एक्सप्रेस-वे पर दुपहिया न आ सकें।
ट्रांसपोर्टर्स का भी लाभ है
ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि ईपीई बनने से उन्हें काफी लाभ मिला है। खर्च में कटौती के साथ समय की बचत और वाहनों का मेंटेनेंस खर्च भी कम हुआ है। मेरठ ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव शर्मा का कहना है कि ईपीई बनने के बाद अब यहां के सिर्फ वही ट्रक दिल्ली से होकर आगे जा रहे हैं, जिन्हें दिल्ली में सामान उतारना है या फिर जिन्हें ईपीई से निकलने वाले मार्गों के बारे में जानकारी नहीं है। एनएचएआइ को ट्रांसपोर्टर्स के बीच जागरूकता बढ़ानी चाहिए, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम और अन्य सुविधाएं शुरू करनी चाहिए।
- दिल्ली में नो एंट्री खोलने के लिए रात 10 बजे तक का करना पड़ता था इंतजार
- एक साथ वाहनों के कतार में आने से जाम की समस्या आए दिन की होती थी
- दिल्ली की सीमा में प्रवेश करते ही 2500 रुपये का पर्यावरण शुल्क देना पड़ता था
अगर एक केस स्टडी के तौर पर मेरठ-जयपुर के सफर को देखें तो
- 10 टायरा ट्रक को आने-जाने में 200 लीटर डीजल लगता था, अब 175 लीटर में लौट आता है
- छह टायरा ट्रक को आने-जाने में 140 लीटर डीजल लगता था, अब 130 लीटर में लौट आता है
- दिल्ली होकर जाने में 10 टायरा ट्रक को डीजल के अलावा 6500 तक का खर्च लगता था, 5000 तक में काम हो जाता है
- दिल्ली होकर जाने में 6 टायरा ट्रक को डीजल के अलावा 5000 तक का खर्च लगता था, 3500 तक में काम हो जाता है
इनका कहना है
हमने उप्र बार्डर से रोजाना औसतन 300 वाहन लौटाने शुरू कर दिए हैं। एनएचएआइ को ईपीई के कनेक्टर से काफी पहले ही दूरी संबंधी बोर्ड लगाने और साहित्य बांटने, होर्डिंग लगाने को कहा है। दूसरे प्रदेश की पुलिस से भी बात की गई है कि वे बेवजह दिल्ली की सीमा में आने वाले वाहनों को रोकें।
-ताज हसन, स्पेशल कमिश्नर (ट्रैफिक), दिल्ली पुलिस
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार दिल्ली में बेवजह वाहनों का प्रवेश रोकने के लिए पुलिस काम कर रही है। हम ईपीई की ओर वाहनों को डायवर्ट भी कर रहे हैं। डंडा चलाने से ज्यादा जरूरी लोगों को जागरूक करना है। उस दिशा में भी हम काम कर रहे हैं लेकिन ईपीई पर जाने के बाद सेफ्टी एंड सिक्योरिटी के कई सवाल उठते हैं। एनएचएआइ को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना होगा। पुलिस की संख्या-संसाधन सीमित हैं। सेफ्टी-सिक्योरिटी का विषय भी इस तरह के प्रोजेक्ट के डीपीआर में ही शामिल होना चाहिए। न हो, तो उसकी व्यवस्था अथॉरिटी को करनी होगी। हम अपने स्तर पर भी लोगों को एजुकेट कर रहे हैं। बैरियर भी लगा रहे हैं। इस प्रक्रिया को और सघन कराएंगे।
-प्रशांत कुमार, एडीजी, मेरठ जोन
पिछले सप्ताह ही सभी प्रदेश के पुलिस अधिकारियों और अन्य एजेंसी के साथ बैठक हुई थी। कई सुझाव आए हैं। इंटरकनेक्टर पर ईपीई से कुछ दूर पहले ही दिशा और दूरी निर्देशक बोर्ड लगाने के सुझाव को लागू करने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। अगर उत्तर प्रदेश की पुलिस थोड़ी सक्रियता दिखाए और उन मालवाहक वाहनों को चिह्नित कर ईपीई पर भेजे तो राजधानी के रास्ते भी खाली होंगे। हमारे पास इन वाहनों के आवागमन की पर्याप्त व्यवस्था है। कुछ सुविधाओं की जो कमी है, उसे भी 15-20 दिन में दूर कर लेंगे। ईपीई पर 50 हजार वाहनों को दौड़ाने का लक्ष्य था। छह माह में ही हमने यहां 46 हजार तक वाहन दौड़ा लिए। रोजाना का औसत 40 हजार के पार पहुंच चुका है।
-किशोर कान्याल, परियोजना निदेशक- ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे
ईपीई के कनेक्टर और वहां से नजदीक महत्वपूर्ण डेस्टिनेशन
- कुंडली: चंडीगढ़, सोनीपत, दिल्ली का मुनिरका चौक
- मवीकलां: लोनी, बागपत, यमुनोत्री एक्सप्रेस-वे, चांदीनगर एयरफोर्स स्टेशन
- दुहाई: एनएच-58, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, देहरादून, हरिद्वार
- डासना: हापुड़, गाजियाबाद, एनएच-24
- बील अकबरपुर: नोएडा, एनएच-91, अलीगढ़, मुरादाबाद
- सिरसा: कासना: परी चौक, ग्रेटर नोएडा, बुलंदशहर रोड
- मौजपुर: फरीदाबाद
- पलवल: आगरा, बदरपुर
- 41 हजार वाहन औसतन रोजाना ईपीई पर दौड़ रहे हैं
- 60 फीसद से ज्यादा कुल ट्रैफिक का हिस्सा कारें हैं
- 01 करोड़ पैसेंजर कार यूनिट (पीसीयू) ईपीई पर दौडऩे का आंकड़ा 30 नवंबर को पूरा हुआ। एक ट्रक 3.5 पीसीयू के बराबर होता है।
- 02 नंबर पर दुहाई इंटरचेंज से सबसे अधिक चढ़ता-उतरता है ट्रैफिक, कुंडली नंबर एक पर है
- 08 जगहों से 135 किमी लंबे ईपीई पर वाहन चढ़-उतर सकते हैं
- 11683 वाहन नवंबर में इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) मोड से गुजरे हैं