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कॉपियां नहीं तो क्या हुआ..गत वर्ष के पेज यूज करें

लॉकडाउन के दौरान नए सत्र की पढ़ाई के लिए स्कूल बच्चों को पिछली कक्षा की कापियों में बचे पन्नों पर नए सत्र की पढ़ाई करने का सुझाव दे रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Apr 2020 10:00 AM (IST)Updated: Fri, 03 Apr 2020 10:00 AM (IST)
कॉपियां नहीं तो क्या हुआ..गत वर्ष के पेज यूज करें
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मेरठ, जेएनएन। लॉकडाउन के दौरान नए सत्र की पढ़ाई के लिए स्कूल बच्चों को पिछली कक्षा की कापियों में बचे पन्नों पर नए सत्र की पढ़ाई करने का सुझाव दे रहे हैं। लॉकडाउन होने से परिजन बच्चों के लिए किताब-कॉपी भी नहीं ले सके हैं। ऐसे में स्कूलों ने शिक्षण सामग्री तो सोशल मीडिया व वीडियो के जरिए मुहैया कराना शुरू करा दिया है। कॉपी की दिक्कत हुई तो स्कूलों के सुझाव पर बच्चों ने पिछले साल की कापियों के शेष पन्नों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

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वीडियो बनाकर, वीडियो कॉलिंग से पढ़ा रहे शिक्षक

बालेराम ब्रजभूषण सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज-शास्त्रीनगर के शिक्षक घर पर ही संबंधित विषय के वीडियो बनाकर बच्चों को वाट्सएप के जरिए भेज रहे हैं। शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले टॉपिक्स भेजते हैं। इसके अलावा शिक्षक सुबह नौ से दोपहर 12 बजे तक वीडियो कॉलिंग मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए ऑनलाइन क्लास भी ले रहे हैं। केएल इंटरनेशनल स्कूल के प्रिंसिपल सुधांशु शेखर के अनुसार शिक्षक भी स्कूल समय के दौरान छात्रों को ऑनलाइन क्लास के जरिए पढ़ा रहे हैं। पहले शिक्षक पढ़ाते हैं और उसके बाद कोई डाउट रहने पर बच्चे सवाल भी पूछते हैं।

बच्चों से मंगवा रहे वीडियो व फोटो भी

स्कूल बच्चों को वेबसाइट, वाट्सएप आदि के जरिये होमवर्क भेज रहे हैं। इसके साथ ही परिजनों को बच्चों का मार्गदर्शन भी करने को कहा जा रहा है। शिक्षक बच्चों से वीडियो कालिंग और सोशल मीडिया के जरिए जुड़कर पढ़ाई में उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं। सभी शिक्षक बच्चों की पढ़ाई का वीडियो और फोटो भी ले रहे हैं, जिसे स्कूलों के सोशल मीडिया एकाउंट पर अपलोड भी किया जा रहा है।

रेगुलर चल रही हैं सीनियर छात्रों की पढ़ाई

स्कूलों ने कक्षा 10वीं व 12वीं के छात्रों की पढ़ाई पहले ही शुरू करा दी है। बोर्ड कक्षा के छात्र-छात्राओं को स्कूल के सिलेबस के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं के सिलेबस की तैयारी भी करनी होती है। ऐसे में लॉकडाउन के दौरान स्कूली सिलेबस को पूरा करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही कोचिंग से मिले कोर्स मैटेरियल भी छात्र समय-समय पर पढ़ रहे हैं।


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