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न बिल्डिंग, न मान्यता, न छात्र और जारी कर दी करोड़ों की रकम

छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाला। ईओडब्ल्यू की जांच में 145 स्कूल व मदरसों का सच सामने आया है। तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी समेत 54 पर कसेगा शिकंजा।

By Taruna TayalEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 03:09 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 03:09 PM (IST)
न बिल्डिंग, न मान्यता, न छात्र और जारी कर दी करोड़ों की रकम
मेरठ, [पंकज तोमर]। अल्पसंख्यक प्री-मेट्रिक छात्रवृत्ति 2010-11 घोटाले में एक और बड़ा राजफाश हुआ है। आर्थिक अपराध एवं अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं। विवेचना में कहीं मान्यता नहीं मिली तो, कहीं छात्रों का अता-पता नहीं है। स्कूलों व मदरसों की बिल्डिंग तक धरातल से गायब है। भौतिक सत्यापन नहीं करने के आरोप में ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी समेत 54 लोगों पर शिकंजा कस दिया है।
मौके पर नहीं मिले पांच मदरसे 
करोड़ों के घोटाले की जांच कर रहे विवेचक लिसाड़ी गेट क्षेत्र में पहुंचे तो वहां पांच मदरसे मौके पर मिले ही नहीं। सरकारी फाइलों में उनमें लगभग 250 बच्चे पढ़ते हैं जबकि दर्ज पते पर या तो खाली प्लाट हैं अथवा मकान बने हैं। इन फर्जी मदरसों में छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति भी दी गई। छात्रों का ब्योरा तलब करने के लिए संचालकों से संपर्क किया तो वे भी गायब हो गए हैं। 22 मदरसों और स्कूलों में मान्यता का खेल किया गया है। जिनकी मान्यता पांचवीं तक की थी, उनमें आठवीं तक के छात्र पढ़ रहे हैं। इसी तरह जिन बच्चों का अता-पता ही नहीं, उन्हें छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति बांट दी गई।
एक बच्चे को कई जगह दी गई छात्रवृत्ति
जांच में सामने आया कि एक-एक बच्चे को कई-कई मदरसों व विद्यालयों से छात्रवृत्ति दिलाई गई है। ऐसे करीब 23 बच्चे सामने आ चुके हैं। इनमें कई बच्चों और उनके अभिभावकों से बात हुई तो पता चला कि एक को भी छात्रवृत्ति या शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं मिली। सारी रकम संचालकों, प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों में जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से मिलीभगत कर हड़प ली।
छात्रों के नहीं खुलवाए खाते, खुद बनवाए चेक
तीन दर्जन से अधिक ऐसे भी मदरसे व स्कूल पकड़े गए हैं, जिनके संचालकों व प्रबंधकों ने छात्रों के खाते नहीं खुलवाए। उन्होंने अपने नाम पर चेक बनवाकर छात्रवृत्ति की रकम हड़पी है। कई लोगों ने रकम दूसरे खातों में भेजी और फिर उससे खुद ही निकाल ली।
फाइलों में प्रधानाचार्य, मौके पर अंगूठा टेक
ज्यादातर मदरसों व स्कूलों के संचालक, प्रबंधक, प्रधानाचार्य एक ही परिवार के हैं। कहीं पति-पत्नी तो, कहीं पिता और बच्चे मिलकर स्कूल व मदरसों को चला रहे हैं। सामने आया कि लिसाड़ी गेट की एक महिला निरक्षर है जबकि सरकारी फाइलों में वह प्रधानाचार्य है।
ये हुआ था घोटाला
भारत सरकार द्वारा साल 2010-11 में अल्पसंख्यक प्री-मेट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत करीब 3.5 करोड़ रुपये का गबन हुआ था। अल खिदमत फाउंडेशन के अध्यक्ष तनसीर अहमद की शिकायत पर शासन ने इसकी जांच ईओडब्ल्यू को दी थी। जिले के 145 मदरसों व जूनियर हाईस्कूलों में यह घोटाला सामने आया था। अक्टूबर व नवंबर में तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और एक लिपिक समेत लगभग 54 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ था।
इन पर दर्ज हैं मुकदमे
तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम व तत्कालीन पटल सहायक जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय मेरठ संजय त्यागी का नाम सभी मुकदमों में है। इनके अलावा नकी हुसैन, शारदा, मोहम्मद सलीम अलवी, कमरजहां, इकरामुद्दीन, राहत जहां, इकरामुद्दीन अली, रेशमा, सलीम उर्फ सलीमुद्दीन, खुर्शीदा, सेवाराम, राकेश देवी, संजीव कुमार, दिलशाद मलिक, अजरा, फजलुर्रहमान, अल्ताफ, हारुन, रुकमेश शर्मा, सत्यवीर सिंह, मोहम्मद असलम अली, फुरकान अली, अमजद खान, कासिफा सैफी, इश्तियाक राणा, मोहम्मद तहसीन, इकरामुद्दीन, राहत जहां, गुफरान आलम, आशा शर्मा, नूर आलम, खुर्शीद अहमद, सैयद जफर मेहंदी, मोहम्मद इशहाक अंसारी, दिलशाद, दिलशाद पुत्र बरकत अली, यासीन, शाहिन, जहीन आदि के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज हैं।
इन्होंने कहा
घोटाला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। बिल्डिंग, मान्यता और छात्र तक नहीं मिल रहे हैं। किस आधार पर करोड़ों की रकम जारी हुई, इसकी जांच चल रही है। आरोपितों को कतई नहीं बख्शा जाएगा।
-डा. राम सुरेश यादव, एसपी-ईओडब्ल्यू 

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