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एशियाड के बाद वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप की जूनियर स्पर्धा में भी सौरभ चौधरी ने जीता सोना

एशियन गेम्स में देश को स्वर्ण पदक जीतने वाले सौरभ चौधरी ने साउथ कोरिया में चल रही वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप की जूनियर दस मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में सोना जीत लिया।

By Ashish MishraEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 09:42 AM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 11:49 AM (IST)
एशियाड के बाद वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप की जूनियर स्पर्धा में भी सौरभ चौधरी ने जीता सोना

मेरठ (जेएनएन)। भारतीय शूटिंग जूनियर टीम में शामिल मेरठ के सौरभ चौधरी ने एशियन गेम्स के बाद दक्षिण कोरिया में चल रही शूटिंग वल्र्ड चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पर निशाना साधा है। विशेष बात यह है कि सौरभ ने इस स्वर्ण पदक के साथ ही अपने ही पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए नया रिकॉर्ड बनाया है। सौरभ ने 10 मीटर एयर पिस्टल मेन जूनियर वर्ग में 245.5 प्वाइंट शूट कर स्वर्ण पदक जीतने के साथ ही नया वल्र्ड रिकॉर्ड जूनियर बना दिया है। इससे पहले का वल्र्ड रिकॉर्ड जूनियर भी सौरभ चौधरी के ही नाम पर था। सौरभ ने इससे पहले इसी साल 26 जून को जूनियर वल्र्ड कप में 243.7 प्वाइंट पर शूट करते हुए नया रिकॉर्ड बनाया था।

टीम रजत पदक भी जीता
शूटिंग में नया सितारा बनकर उभरे सौरभ चौधरी ने व्यक्तिगत स्वर्ण पदक के साथ ही टीम रजत पदक भी जीता है। 10 मीटर एयर पिस्टल मेन जूनियर टीम वर्ग में सौरभ चौधरी, अर्जुन सिंह चीमा और अनमोल की तिकड़ी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 1730 प्वाइंट शूट करते हुए कोरिया के बाद दूसरे स्थान पर रहे और रजत पदक जीता। कोरिया टीम से भी भारतीय शूटर महज दो प्वाइंट ही पीछे रहे। जबकि तीसरे स्थान पर रही रूस की टीम काफी पीछे 1711 प्वाइंट पर रही। इंडियन टीम में भी सौरभ ने सर्वाधिक 581 प्वाइंट शूट किया है। इनके बाद अर्जुन ने 577 और अनमोल ने 572 प्वाइंट शूट किया।

शहजर के नाम भी रजत पदक

10 मीटर एयर पिस्टल मेन टीम में भी मेरठ के नाम एक पदक आया है। इस वर्ग में शूट कर रही भारतीय टीम में मेरठ के शहजर रिजवी ने भी टीम रजत पदक जीता है। टीम में शामिल अभिषेक वर्मा, ओम प्रकाश मिथरवाल और शहजर रिजवी ने 1738 प्वाइंट शूट करते हुए रजत पदक पर कब्जा किया है। इस वर्ग में भी विजेता कोरिया टीम रही और तीसरे स्थान पर रशिया रही। शहजर ने इस प्रतियोगिता में पहला पदक है। इससे पहले भी शहजर रिजवी ने देश को कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीता है।

दौड़ पड़ी खुशी की लहर
सौरभ ने दोहरे पदक के साथ ही वल्र्ड चैंपियनशिप में तीन पदक होने की खुशी उनके घर के साथ ही खेल जगत में भी है। दिल्ली में सौरभ के शूटिंग रेंज में जहां उनके कोच अमित शेरॉन को बधाइयां मिल रही हैं वही उनके घर कलीना गांव में भी माता पिता को लोग बधाई दे रहे हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी भी उनके घर जाकर बधाई देंगे। उधर शहजर रिजवी के घर पर भी लोग बधाई देने पहुंच रहे हैं। व्यक्तिगत इवेंट में भी शहजर से पदक की उम्मीद जताई जा रही है।

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16 वर्ष का सौरभ ने एशियाड के बाद वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता है तो ये सफलता कोई तुक्का नहीं थी। सौरभ शूटिंग रेंज में एक स्थान पर रोजाना चार घंटे खड़े रहने का कड़ा अभ्यास करता था। जबरदस्त एकाग्रता के दम पर सौरभ ने गत दिनों जूनियर वर्ल्ड कप में रिकार्ड बना दिया था। किसी भारतीय निशानेबाज ने पहली बार एशियाड में एयर पिस्टल में स्वर्ण पदक जीता है। सौरभ पूर्व ओलंपियन जसपाल राणा का सबसे होनहार शिष्य माना जाता है।

जर्मनी में बनाया रिकार्ड

मेरठ की धरती हमेशा तेज तर्रार खिलाडिय़ों को पैदा करती रही है। इस कड़ी की नई सनसनी कलीना गांव का सौरभ चौधरी बन गया, जब जकार्ता में खेले जा रहे एशियाड में उसने 2016 रियो ओलंपिक चैंपियन चीनी निशानेबाज को शिकस्त दे दी। कोच अमित कुमार सौरान कहते हैं कि ओलंपियन विजेता के सामने बड़े-बड़े खिलाड़ी दबाव में आ जाते हैं, वहीं सौरभ के मनोबल पर कोई असर नहीं पड़ा। इससे पहले सौरभ का चयन भी भारत के ओलंपियन शूटर जीतू राय की जगह हुआ था। पिछले माह जर्मनी में खेली गई वल्र्ड कप जूनियर में जब उसने नया रिकार्ड बना दिया, तभी मान लिया गया कि यह लंबी रेस का घोड़ा साबित होगा।

रंग लाई सौरभ की मेहनत

सौरभ दिसंबर 2014 में पहली बार बिलौनी शूटिंग रेंज पहुंचा। कोच अमित बताते हैं कि अगले साल यानी 2015 में वह दिल्ली में खेली गई यूथ नेशनल के लिए सेलेक्ट हो गया। 2016 में जर्मनी में होने वाली स्पर्धा के लिए चयनित कर लिया गया। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सौरभ अपने कोच एवं पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी जसपाल राणा की बेटी दिव्यांशी राणा के साथ वर्ल्ड कप में मिक्स डबल्स का भी पदक जीत चुका है। इंडिया कैंप में स्थान बनाने के बाद प्रदर्शन की धार तेज होती गई।

कोच ने मोबाइल घर रखवा दिया

सौरभ के कोच अमित सौरान कहते हैं कि वह बेहद अनुशासित लड़का है। किसी चीज का कोई शौक नहीं रखा। घर वालों ने मोबाइल दिया था, किंतु कोच ने इसे भी घर पर रखने के लिए कहा। सौरभ की दिनचर्या रोजाना आठ घंटे शूटिंग रेंज के इर्द गिर्द घूमती रह गई। जूनियर इंडिया के कोच जसपाल राणा दावा कर चुके हैं कि सौरभ ओलंपिक पदक भी जीतेगा।

हुनर किसी भाषा का मोहताज नहीं होता। ये भारतीय निशानेबाज़ सौरभ चौधरी ने एशियन गेम्स 2018 में गोल्ड मेडल जीतकर दिखा दिया है। मेरठ के 16 साल के सौरभ चौधरी को अंग्रेज कोच की भाषा समझ में नहीं आती थी। किंतु उसे अर्जुन की तरह पता था कि मछली की आंख कहा है। कोच के भावों को समझते हुए सौरभ ने नई दिल्ली की कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में निशानेबाजी को धार दी। खेल पंडितों की मानें तो ऐसी एकाग्रता का शूटर देशभर में नहीं है। गोल्ड जीतने के बाद सौरभ के गांव में जश्न का माहौल है। माता पिता ने अन्य परिजनों के साथ मिठाई बांटकर जश्न मनाया।

पढ़ाई की जगह सौरभ का निशानेबाजी में लगता था मन 

मेरठ के कलीना गांव का सौरभ चौधरी ने दोस्तों के बीच रहते हुए शूटिंग का हुनर विकसित किया। कोच की नजर पड़ी तो उसे बिनौली शूटिंग रेंज पर बुलाया। अप्रैल 2015 से उसने शूटिंग शुरू की। किसान परिवार एयर पिस्टल जैसे महंगे खेल का खर्च नहीं उठा पा रहा था, किंतु सौरभ की लगन को देखकर उन्होंने पांच माह बाद पिस्टल खरीद दी। इधर, पढ़ाई में भले ही दिल नहीं लगा, किंतु पदक के लिए दिल लगाने में कोई चूक नहीं की।

गांव वाले बताते हैं कि सौरभ पूरी तरह निशानेबाजी को समर्पित है। गांव के स्कूल से हाईस्कूल में पढ़ाई कर रहा है। सुबह पांच बजे रेंज पर पहुंचकर प्रैक्टिस में जुट जाता था। सौरभ के भाई नितिन बताते हैं कि उसने जबरदस्त एकाग्रता से 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में अचूक खेल दिखाते हुए जापान एवं जर्मनी में भी पदक जीता। इसके बाद डा. कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में लगे इंडिया कैंप में सौरभ ने और कड़ी मेहनत की। कोच विदेशी मिले तो सौरभ अंग्रेजी नहीं समझ पाता था, किंतु उसे पता था कि लक्ष्य कैसे भेदना है। कोच के भावों को समझने के साथ ही दूसरे कोच जसपाल ने भी उसकी मदद की।

सौरभ के पिता जगमोहन बताते हैं कि सौरभ सिर्फ 16 साल का है, किंतु उसकी एकाग्रता किसी भी उम्र के खिलाड़ी को मात दे देगी। शूटिंग में एकाग्रता ही सबसे बड़ी पूंजी है। मेरठ के शूटिंग कोच वेदपाल बताते हैं कि सौरभ बेहद सरल और गंभीर है। यह भविष्य में ओलंपिक मेडल भी जीतेगा। सौरभ के गोल्ड जीतने के बाद कलीना गांव में जश्न का माहौल है। माता-पिता व अन्य परिजनों ने मिटाई बांटकर खुशियां मनाईं। सौरभ के बाबा का कहना है कि पोते ने गोल्ड जीतकर गांव के साथ ही देश का नाम रोशन किया है।


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