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बच्चों ने देखी और सुनी सुस्कारशाला की कहानी

देश की भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाने की दैनिक जागरण की मुहिम के अंतर्गत इस सप्ताह तीन स्कूलों के बच्चों को संस्कारशाला की कहानी दिखाई व सुनाई गई। मेरठ

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 06:21 AM (IST)
बच्चों ने देखी और सुनी सुस्कारशाला की कहानी
बच्चों ने देखी और सुनी सुस्कारशाला की कहानी

मेरठ, जेएनएन। देश की भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाने की दैनिक जागरण की मुहिम के अंतर्गत इस सप्ताह तीन स्कूलों के बच्चों को संस्कारशाला की कहानी दिखाई व सुनाई गई। मेरठ पब्लिक स्कूल मेन विंग, राम सहाय इंटर कॉलेज गढ़ रोड और कृष्णा पब्लिक स्कूल बाईपास में संस्कारशाला की क्लास लगी।

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दैनिक जागरण की ओर से केंद्रीय विद्यालय के पूर्व प्राचार्य शिवचरण शर्मा 'मधुर' ने बच्चों को कहानी सुनाई और कहानी से संबंधित सवाल-जवाब भी किए। स्कूलों में प्रार्थना के समय कहानी सुनाने के साथ ही बच्चों को संस्कारशाला की कहानी पर बनाई गई एनिमेटेड वीडियो भी दिखाई गई। इस सप्ताह की कहानी का टॉपिक 'पशुओं के प्रति संवेदनशील व्यवहार' था। सप्ताह के दौरान बच्चों ने कहानी पढ़ी और स्कूल में सुनी व देखी भी बच्चों से बातचीत के दौरान शिवचरण शर्मा ने बताया कि पशु-पक्षी हमारे ईको सिस्टम के लिए बेहद जरूरी हैं। हमें उनका पूरा सम्मान करना चाहिए। हर जानवर भी पूरी तरह से जीने का हकदार है। बच्चों ने भी कहानी में रुचि दिखाई और कहानी सुनने के बाद सभी सवालों के बढ़चढ़कर जवाब दिए।

बाल गंगाधर तिलक उदारवादी विचारक

मेरठ : भारतीय राजनीति में बाल गंगाधर तिलक को उग्र विचारधारा का समर्थक माना जाता है, लेकिन चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के एमए राजनीति विज्ञान के प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम में तिलक को उदारवादी विचारधारा का प्रतिनिधि बताया गया है। इसके अलावा भी पाठयक्रम में कई विसंगतियां हैं। राजनीति विज्ञान के शिक्षकों ने विसंगतियों पर आपत्ति दर्ज की है।

विश्वविद्यालय ने बोर्ड स्टडीज के अनुमोदन के बाद एमए राजनीति विज्ञान का पाठ्यक्रम अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। इसके पाठ्यक्रम में कई तरह की विसंगतियों की ओर शिक्षकों ने विश्वविद्यालय प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया है। विश्वविद्यालय के कुलपति को शिक्षकों ने एक पत्र भी दिया है। इसमें कई गलती है। एमए राजनीति विज्ञान के इकाई तीन में जहां तिलक को उदारवादी विचारक बताया गया है, वहीं गांधीवाद में महात्मा गांधी को ही नहीं रखा गया है। शिक्षकों ने पाठ्यक्रम की तारतम्यता और निरंतरता का भी अभाव बताया है। नवीन पाठ्यक्रम में आंतरिक परीक्षाओं का प्रारूप भी नहीं दिया गया है। राजनीति विज्ञान की एसोसिएट प्रोफेसर डा. निवेदिता मलिक ने बताया कि पाठ्यक्रम की विसंगतियों को देखते हुए राजनीति विज्ञान की संयोजक डा. शशि वशिष्ठ ने कुलपति से दोबारा से बोर्ड आफ स्टडीज की बैठक बुलाने के लिए पत्र लिखा है।


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