Sanskarshala 2022: बच्चे हाईस्पीड इंटरनेट का इस्तेमाल संभलकर ही करें, अपने व्यक्तित्व और प्रतिभा को निखारे
Sanskarshala 2022 इंटरनेट मीडिया पर व्याप्त लोगों का ही प्रभाव होता है। हम जिन भी लोगों को देखते व सुनते हैं उनका हमारे व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है। मेरठ में अध्यापिका राखी जयरथ और टीचर नितिन गांधी ने बच्चों को इंटरनेट चलाने के टिप्स।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Sanskarshala 2022 पहले के समय में किसी भी विषय पर जानकारी लेने के लिए लोग पुस्तकों का सहारा लेते थे। वहां से मिली जानकारी सीमित लेकिन विश्वसनीय व गुणवत्ता से भरपूर होती थी। आधुनिक इंटरनेट मीडिया के युग में जानकारी एकत्रित करने के लिए महज उंगलियां ही चलानी पड़ती हैं। जानकारी तो आसानी व पल भर में मिल जाती है लेकिन उसकी गुणवत्ता व विश्वसनीयता की परख करने की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।
हमारे व्यक्तित्व पर प्रभाव
इस दौर में कभी-कभी सूचनाओं के आधार पर लोग भ्रमित हो जाते हैं और इसके चलते महत्वपूर्ण निर्णय भी गलत ले लेते हैं। इसमें इंटरनेट मीडिया पर व्याप्त लोगों का ही प्रभाव होता है। हम जिन भी लोगों को देखते व सुनते हैं उनका हमारे व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है। हमारी सोच प्रभावित होती है। इसलिए अच्छे-बुरे की अच्छी पहचान रखते हुए ही इंटरनेट मीडिया पर व्याप्त प्रभावित लोगों का चुनाव करना चाहिए।
जिम्मेदार होने की सीख
इसलिए जरूरी है कि आप ऐसे लोगों को सुने व देखें जो आपके व्यक्तित्व को निखारे। प्रतिभा को निखारे। देश व समाज के प्रति जिम्मेदार होने की सीख दें। तभी इंटरनेट मीडिया का सार्थक प्रयोग हो सकेगा। हर सामग्री उपलब्ध है, इसमें से अपने काम की बात निकालना भी बहुत जरूरी गुण है जो हर किसी में होनी चाहिए।
- राखी जयरथ, पीजीटी इतिहास, विद्या ग्लोबल स्कूल
मानो वहीं जो आपके मन का हो
इंटरनेट एक क्रांति है। दुनिया के एक छोर को दूसरे छोर से पलक झपकते ही जोड़ने की क्षमता केवल इसी में है। कोविड जैसी महामारी में घरों में कैद दुनिया को एक-दूसरे से जोड़े रखने और मानसिक तौर पर स्वस्थ रखने में यह सहायक भी रही है। पर अब यह स्थान आंख मूंदकर चलने की नहीं रही है। जिस तरह हमारे समाज में अच्छे-बुरे लोग और अच्छे-बुरे काम व कारनामे होते रहते हैं, उसी तरह इंटरनेट मीडिया पर भी हो रहा हैं।
विचारधाराओं का मकड़जाल
अब यहां भी हर कदम फूक-फूंक कर रखने की जरूरत है। नए व कम अनुभवी लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए विचारधाराओं का मकड़जाल भी यहीं है। इसलिए स्कूली बच्चे व युवा पीढ़ी को इनसे जागरूक रहने की प्रबल आवश्यकता है। यहां नजर हटते ही दुर्घटना का शिकार बनना आसान हो जाता है। परिवार में बड़े बच्चों का मार्गदर्शन करें।
सुनो सबकी, करो अपने मन की
बच्चे भी इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल करते समय कुछ नया व अटपटा देखें तो माता-पिता को सूचित करें, उसके बारे में जानने की कोशिश करें और उसके बाद ही उसका अनुशरण करने का निर्णय लें। यहां वीर सैनिकों से लेकर आतंकवादी भी हैं। राष्ट्रभक्त से लेकर राष्ट्रद्रोही भी हैं। समाज सुधारक से लेकर समाज विरोधी भी हैं। सुनो सबकी, करो अपने मन की, कहावत यह बताती है कि यह आप को ही तय करना है कि आपको किसका अनुशरण करना है और किसे छोड़ देना है।
- नितिन गांधी, पीजीटी कामर्स, केएल इंटरनेशनल स्कूल