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आखिर कैसे करें खुद को सेफ महसूस, एक महिला थाने के भरोसे है शहर की आधी आबादी Meerut News

शहर में सूरत ए हाल तो यह है। महिलाओं के प्रति अपराध के आंकड़े दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में महिलाओं की पुरुषों से बराबरी की बात बेमानी है।

By Prem BhattEdited By: Published: Thu, 19 Dec 2019 10:39 AM (IST)Updated: Thu, 19 Dec 2019 10:39 AM (IST)
आखिर कैसे करें खुद को सेफ महसूस, एक महिला थाने के भरोसे है शहर की आधी आबादी Meerut News
आखिर कैसे करें खुद को सेफ महसूस, एक महिला थाने के भरोसे है शहर की आधी आबादी Meerut News

मेरठ, जेएनएन। आज महिलाओं का काम केवल घर-गृहस्थी संभालने तक ही सीमित नहीं है। वह अपनी उपस्थिति हर क्षेत्र में दर्ज करा रही हैं। बिजनेस हो या परिवार महिलाओं ने साबित कर दिया है कि वह हर काम करके दिखा सकती हैं, जहां कुछ पुरुष अपना वर्चस्व और अधिकार समझते हैं। महिला सशक्तीकरण के बाद सबसे ज्यादा जरूरी है उनकी सुरक्षा, जिसके लिए समय-समय पर आवाज उठती रही है। हालांकि जो समाज उनकी रक्षा और सुरक्षा की बात करता है, उसी से महिला को सुरक्षा चाहिए। महिलाओं के प्रति अपराध के आंकड़े दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में महिलाओं की पुरुषों से बराबरी की बात बेमानी है।

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शहरों पर नहीं करतीं सेफ महसूस

हालांकि पिछले कुछ साल में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की स्थिति में सुधार आया है, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। जब तक शहर की बेटियां खौफ के साए में रहेंगी और खुद को शहर की सड़कों पर सुरक्षित महसूस नहीं करेंगी। पुरुषों से उनकी बराबरी और कंधा से कंधा मिलाकर चलने की बात पर विश्वास करना कठिन होगा। मान लें कि पुलिस प्रशासन महिला सुरक्षा के प्रति सतर्क है और तत्काल कार्रवाई करने के लिए भी तत्पर है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जो पुलिस-प्रशासन महिला सुरक्षा के बेहद सर्तक और प्रतिबद्ध है उसके पास क्या इतने संसाधन और महिला पुलिसकर्मी हैं, जो शहर की आधी आबादी की रक्षा तत्काल कर सकें।

महिला सुरक्षा पर सवाल

यह बात इससे भी साफ हो जाती है कि जिले में पुरुषों की जनसंख्या 18 लाख 25 हजार 743 और महिलाओं की जनसंख्या 16 लाख 17 हजार 946 है। महिलाओं की इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए जिले में मात्र एक महिला थाना है, जबकि कुल 32 थाने हैं। पुलिस निरीक्षक महिला मात्र तीन, उपनिरीक्षक महिला 18 और महिला आरक्षी 437 हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि महिला सुरक्षा के लिए पुलिस-प्रशासन कितना सतर्क है।

वुमेन हेल्पलाइन बनी सहारा

शासन के निर्देश पर पुलिस द्वारा शुरू की गई 1090 वुमेन पॉवर हेल्पलाइन नंबर और 181 वुमेन हेल्पलाइन नंबर महिला के लिए बड़ा सहारा हैं। इसमें तत्काल ही महिलाओं की मदद की जाती है। इसके अलावा अनजान जगह पर असुरक्षित महसूस कर रही महिलाएं 112 वुमेन हेल्पलाइन नंबर पर रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक मदद मांग सकती हैं, ऐसी स्थिति में महिला को घर तक सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी पीआरवी की होगी।

इनका कहना है

मेरठ और इसके आसपास का क्षेत्र कृषि प्रधान क्षेत्र है। यहां पुरुष बलवती भावना प्रबल है। रुपया पैसा उन्हीं की मिलकीयत है। ऐसे में पुरुष किसी भी स्थिति में महिलाओं को स्वयं से बेहतर नहीं मान सकते। यह एक मनोवैज्ञानिक कारण है और सामाजिक संरचना का हिस्सा है जिसमें पुरुष स्वयं को बेहतर मानते हैं। इसलिए बराबरी की बात करना बेमायने हो जाता है।

- सीमा शर्मा, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट

थाना और पुलिस का अनजाना सा भय महिलाओं को अपनी शिकायत दर्ज कराने से रोकता है। एक पुरानी मानसिकता बनी हुई है कि थाने में काम आसानी से नहीं होता। खासतौर पर जो महिलाएं शिक्षित और जागरूक नहीं हैं। पीड़ित महिला के साथ परिवार वालों का र्दुव्‍यवहार और उसपर पुलिस का अत्याचार, ऐसे में वह कोई भी लड़ाई लड़ने से पहले ही हार जाती है।

- नीरा सक्सेना, समाज सेविका

थाने में कहां शिकायत दर्ज करानी है और किससे मिलना है, इसकी जानकारी अक्सर महिलाओं को नहीं होती। उन्हें शिकायत दर्ज कराने के लिए कई चक्कर लगाने पड़ते हैं। यहां तक कि थाने में उनसे कोई ढंग से बात तक नहीं करता। ऐसे में डरी सहमी महिलाएं अपनी स्थिति से समझौता कर लेती हैं।

- अंजू पांडे, समाज सेविका

बेटियों की सुरक्षा को लेकर मेरठ पुलिस सतर्क है। छेड़छाड़ के मामलों में एंटी रोमियो टीम कार्य कर रही है, वहीं प्रत्येक थाने को निर्देश दिए हैं कि महिला पीड़िताओं की सुनवाई पूरी संवेदनशीलता से कर तुरंत कार्रवाई की जाए। शहर के 26 स्थानों पर पुलिस शिकायत पेटिका और थानों में महिला डेस्क की व्यवस्था की गई है, जहां पीड़िता की सुनवाई और रिपोर्ट दर्ज करने के लिए महिला कर्मचारी रहेगी ताकि पीड़िता ङिाझक के अपने परेशानी बता सकें। जहां तक एक महिला थाने की बात है तो जनपद में एक ही महिला थाना होता है, शासन निर्देशानुसार ही थाने का निर्माण किया जाता है।

- अखिलेश नारायण सिंह, एसपी सिटी 


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