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संघ की पटकथा पर गूंजी राजनाथ की रैली, पार्टी ने होमवर्क पर किया पूरी तरह से अमल Meerut News

नागरिकता संशोधन कानून पर देशभर में मचे बवाल के बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भाजपा को होमवर्क थमाया जिस पर पार्टी ने भरपूर अमल किया।

By Prem BhattEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 11:12 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 11:12 AM (IST)
संघ की पटकथा पर गूंजी राजनाथ की रैली, पार्टी ने होमवर्क पर किया पूरी तरह से अमल Meerut News
संघ की पटकथा पर गूंजी राजनाथ की रैली, पार्टी ने होमवर्क पर किया पूरी तरह से अमल Meerut News

मेरठ, [संतोष शुक्ल]। नागरिकता संशोधन कानून पर देशभर में मचे बवाल के बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भाजपा को होमवर्क थमाया, जिस पर पार्टी ने भरपूर अमल किया। पश्चिमी उप्र के सियासी मिजाज के विपरीत कई मुद्दों को छुआ नहीं गया। वक्त की नजाकत भांपते हुए राजनाथ सिंह ने सीएए और सरकारी योजनाओं पर खास फोकस किया। सधी हुई रणनीति के तहत आरोप-प्रत्यारोप और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे राष्ट्रवादी तीरों को तरकश से बाहर नहीं निकाला। उधर, संघ की पटकथा के मुताबिक भीड़ में अनुसूचित वर्ग की बड़ी तादाद रखने पर मेहनत की गई। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश से भारत पहुंचे शरणार्थियों में ज्यादा संख्या दलितों की बताकर बड़ा संदेश दिया।

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माधवकुंज में बना रोडमैप

नागरिकता संशोधन कानून पास होने के बाद देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए, जिससे राजनीतिक पारा चरम पर पहुंच गया। पश्चिमी उप्र के मेरठ में सर्वाधिक हिंसा और तोड़फोड़ हुई। स्थिति पर नजर रखते हुए संघ ने 28 दिसंबर को माधवकुंज में भाजपा के बीच समन्वय बैठक की, जिसमें केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह, डा. संजीव बालियान, प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, चौ. भूपेंद्र सिंह, चेतन चौहान, राज्यमंत्री गुलाबो देवी, डा. धर्म सिंह सैनी समेत कई मंत्री बुलाए गए।

शंकर आश्रम में बनी योजना

प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने क्षेत्र प्रचारक एवं क्षेत्र संघचालक के साथ लंबी बैठक की। संघ के सभी अनुषांगिक संगठनों को भी होमवर्क दिया गया। भाजपा को जनसंपर्क करते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच पहुंचकर नागरिकता कानून के बारे में बताने के लिए कहा। बाद में शंकर आश्रम में बैठक कर 22 जनवरी की रैली की योजना बनाई गई। पहले गृहमंत्री अमित शाह की रैली की योजना थी, किंतु बाद में कार्यक्रम बदला। हालांकि क्षेत्रीय इकाई से लेकर महानगर अध्यक्ष व जिलाध्यक्ष लगातार संघ के संपर्क में रहे।

अनुसूचित वर्ग को जोड़कर रखने का दिया मंत्र

संघ ने दो साल पहले जागृति विहार में आयोजित राष्ट्रोदय कार्यक्रम में तीन लाख स्वयंसेवकों को बुलाया। अनुसूचित वर्ग को जोड़ने के लिए उनके घरों से भोजन मंगाया गया। इसका असर 2017 एवं 2019 लोकसभा चुनावों में भी नजर आया। इधर, सीएए और एनआरसी को लेकर मचे घमासान के बीच भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर ने नई दिल्ली में मुस्लिम-दलित एकता का नारा देकर राजनीतिक गरमाहट बढ़ा दी। संघ ने भाजपा को आगाह किया कि सीएए के विरोध की आड़ में कांग्रेस, सपा व बसपा अनुसूचित वर्ग को तोड़ सकते हैं। इन्हीं वजहों से पार्टी ने छह जिलाध्यक्षों एवं अनुसूचित मोर्चो को दलित बस्तियों में विशेष रूप से भेजा।

फिर चर्चा में आए जोगेंद्र नाथ मंडल

भाजपा ने सधी रणनीति के तहत बंटवारे के बाद पाकिस्तान गए दलित नेता जोगेंद्र नाथ मंडल को उदाहरण बनाकर पेश किया, जिनका कानून मंत्री रहते भी पाकिस्तान में उत्पीड़न हुआ। बाद में मंडल पश्चिमी बंगाल में आकर बस गए, किंतु नागरिकता नहीं मिल पाई। संघ ने भाजपाइयों को समझाया कि सीएए को लेकर अनुसूचित वर्ग के बीच पहुंचने की जरूरत है। पार्टी ने भी समझ लिया कि इस मसले पर दलित-मुस्लिम एक हुए तो प्रदेश की सियासत नई करवट लेगी, साथ ही कानून-व्यवस्था भी संभालना आसान नहीं होगा। 


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