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    Meerut News: महाभारतकालीन हस्तिनापुर में पहुंचे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, जम्बूद्वीप की रचना देख बोले, वाह

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Saxena
    Updated: Sat, 18 Mar 2023 03:41 PM (IST)

    Meerut News कृषि महासम्मेलन के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आगमन को लेकर शनिवार-रविवार हस्तिनापुर में सैलानियों का आगमन बंद रखा गया है। सुरक्षा को देखते हुए पुलिस और केंद्रीय बलों के जवानों को तैनात किया गया है।

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    Meerut News: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच जंबूद्वीप पहुंचे।

    हस्तिनापुर, जागरण टीम। स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक डा. मोहनराव भागवत हस्तिनापुर में हैं। उन्होंने जम्बूद्वीप की रचना को देख वाह.. कहा। वे मंदिरों के दर्शन करने के बाद जंबूद्वीप में बंगला नंबर 10 मेंं प्रवास के लिए गए है। अस्थायी रूप से यह बंगला संघ प्रमुख के लिए ही तैयार किया गया है।

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    जैविक कृषि महासम्मेलन शुरू हुआ

    भारतीय किसान संघ के तत्वावधान में हस्तिनापुर के जंबूद्वीप पर शुक्रवार को गो आधारित जैविक कृषि महासम्मेलन शुरू हुआ। शनिवार को दूसरे दिन दिल्ली से कार द्वारा आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पहुंचे। उनके कार्यक्रम को देखते हुए यहां सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की गई है। त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा रखा गया है। सीआईएसएफ कमांडो, यूपी पुलिस, दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस के जवान शामिल हैं। स्वयं एडीजी एडीजी राजीव सभरवाल, आईजी नचिकेता झा व एसपी देहात अनिरुद्ध सिंह यही कैंप किये है। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए जंबूद्वीप शनिवार व रविवार को सैलानियों के लिए बंद किया गया है।

    मोती धनुष अयोध्यापुरी मंडप में होगा सम्बोधन

    भारतीय किसान संघ के कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जैविक खेती के साथ गो आधारित खेती के बारे में किसानों को बताएंगे। रविवार को किसानों को प्राचीन दिगंबर जैन बड़े मंदिर के मोती धनुष अयोध्यापुरी मंडप में किसानों को संबोधित करेंगे।

    विभिन्न् राज्यों से आई है किसानों की 147 टोलियां

    कृषक महासम्मेलन में भाग लेने के लिए महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, दिल्ली, सिक्किम, बिहार, लातूर, तमिलनाडु, उड़ीसा, मिजोरम, झारखंड, असम, तेलंगाना, मिजोरम, पश्चिम बंगाल आदि से 147 किसानों की टोलियां ट्रेनों से पहुंचीं। संघ के अनुसार करीब 800 जैविक किसानों को बसों से हस्तिनापुर पहुंचाया गया। सिटी स्टेशन पर लगे शिविर में संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बद्री नारायण चौधरी पहुंचे और व्यवस्थाएं देखीं।

    गो आधारित खेती पर हो रही चर्चा

    सम्मेलन के दूसरे दिन किसानों को बताया गया कि प्राकृतिक कृषि गो आधारित अर्थात देशी गाय आधारित कृषि है। प्राकृतिक कृषि के माध्यम से किसान गाय की रक्षा कर पाएंगे। आज गांव व कस्बों से लेकर शहरों, महानगरों तक की सड़कों और हाईवे तक पर घुमंतू गायों के झुंड देखे जा सकते हैं। ये किसानों द्वारा छोड़ी हुई ऐसी गाय हैं जो दुग्ध उत्पादन नहीं करती हैं अथवा बांझपन की शिकार हैं। परंतु सरकार ने अब इस समस्या का हल निकाल लिया है, जिसका पूरा खाका तैयार किया गया है। गो आधारित खेती से किसानों के खेतों की उर्वरक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।

    कृषि विशेषज्ञ द्वारा बताया गया कि आवारा घुमंतू देसी गाय के गोबर और मूत्र में पालतू देसी गाय से भी ज्यादा खेती में काम आने वाले कीटाणु पाए जाते हैं। ऐसे किसान जिनके पास आज देसी गाय नहीं है, वह भी आवारा घूमने वाली देसी गाय को पकड़कर प्राकृतिक खेती की शुरुआत कर सकते हैं। इससे आवारा देसी गाय को नया जीवनदान मिलेगा। किसान की आमदनी में इजाफा होने के साथ ही उनके खेतों की मिट्टी की दशा में सुधार होगा।