रोबोट ने अपने कारनामों से रोमांच भरा
मेरठ : कभी पथरीली जमीन पर तो कभी हवा तो कभी पानी में रोबोट अपने तकनीकी कुशलता से लोगों में रोमांच भरते रहे।
मेरठ : कभी पथरीली जमीन पर तो कभी हवा तो कभी पानी में रोबोट अपने तकनीकी कुशलता से लोगों में रोमांच भरते रहे। फुटबाल ग्राउंड पर फुटबाल खेलते हुए रोबोट नजर आए। मौका रहा मेरठ इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एमआइईटी) के रोबोचैंप्स का। जिसमें भावी इंजीनियरों के तकनीकी कौशल देखने को मिले। रोबोचैंप्स के बॉक्सिंग रिंग में इंसान नहीं बल्कि रोबोट भी लड़ते दिखाया गया। दैनिक जागरण मीडिया पार्टनर रहा। डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता रोबोचैंप्स का रविवार को समापन हुआ। इसमें सात तरह की प्रतियोगिताओं के आधार पर प्रतिभागियों का चुनाव किया गया। बाद में विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
कुछ ऐसी रही प्रतियोगिता
रोबोवार प्रतियोगिता में में दो रोबोट फाइट हुई। 10-10 मिनट के तीन राउंड हुए प्रतिद्वंदी को 20 सेकेंड तक चित कर देने वाली टीम विजेता घोषित किया गया। एम्फीबोट में रोबोट्स के लिए 30 सेंटीमीटर जोड़ी पटरी पर स्टोन और पानी की बाधाएं बनाई गई थी। टीमों को अपने रोबोट इस पटरी के ऊपर सभी बाधाओं को कम से कम समय में निकालने थे। फुटबाल ग्राउंड पर दो रोबोट को एक दूसरे के विपरित उतारा गया। वहीं रोबोट्रांसपो में रोबोट के लिए ऊंची, नीची बाधाएं बनाई गई। रोबोट को कुछ सामान को उठा कर एक स्थान से दूसरे स्थान सबसे कम समय पर पहुंचाना था। एक अन्य मुकाबले में इंफ्रारेड रे के सहारे रोबोट को निर्धारित रास्ते पर आगे बढ़ते हुए फिनिश लाइन पर पहुंचना था। रोबोट को प्रोग्रामिंग के जरिए निर्देश दिए गए। छात्रों ने बनाया एंटी लैंडमाइन रोबोट
जमीन के नीचे बम यानी लैंडमाइन को डिफ्यूज करने और जवानों की सुरक्षा कवच के तौर पर एंटी लैंडमाइन रोबोट बनाकर दिखाया। इस रोबोट की मदद से हर हाल में बम को डिफ्यूज किया जा सकता है। रोबोट में एक विशेष प्रकार का सेंसर लगाया गया है। जो 200 मीटर दूर से जमीन के भीतर छह से सात मीटर की गहराई में छुपा कर रखे गए विस्फोटक को आसानी से पता लगा लेगा। डेथ वर्रिएर्स टीम ने बनाया सेबरटूथ रोबोट
यह रोबोट जल और थल किसी भी जगह फिसलन भरी जगह पर भी आसानी से चल सकता है। इसमें नायलॉन व्हील का इस्तेमाल किया गया था। 500 ग्राम की हल्की बॉडी होने के कारण कहीं भी इस रोबोट को भेजा जा सकता है।
विजेताओं को डेढ़ लाख का सम्मान
सीनियर वर्ग और जूनियर वर्ग की 34 टीमों को पुरस्कृत किया गया। 26 टीम सीनियर और आठ टीमें जूनियर वर्ग की रहीं। सभी विजेताओं को डेढ़ लाख रुपये की धनराशि और प्रमाण पत्र दिए गए। विजेता आइआइटी मुंबई में सीधे हिस्सा ले सकेंगे। फैकल्टी कोऑर्डिनेटर अरविंद कुमार पाडे, प्रमोद सिंह, मोहिनी सिंह का सहयोग रहा। अनु सिरोही, तैयब खान, प्रतीक शर्मा, दिलशाद, देवाश गर्ग, आकाश मित्तल, अनमोल सिरोही का योगदान रहा।