RLD Rally in Muzaffarnagar: अहल-ए-सियासत सहानुभूति के सैलाब को चुनाव तक थामना चुनौती
RLD rally in Muzaffarnagar Newsजयंत चौधरी के लिए अग्नि परीक्षा से कम न होगा भीड़ को वोट में बदलना। हरियाणा समेत पड़ोसी जिलों से पहुंचे समर्थकों में दिखा लाठी का मर्म। खून के रिश्ते को याद दिलाते भावनात्मक रूप से जुड़ने की जयंत ने भरपूर कोशिश की।
मुजफ्फरनगर, [मनीष शर्मा]। राजकीय इंटर कालेज मैदान में गुरुवार को लोकतंत्र बचाने के लिए भीड़ ठीक-ठाक जुटी। यह भीड़ सहानुभूति से भरी थी। रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने भी बात की शुरुआत मान-सम्मान-स्वाभिमान के साथ बड़े चौधरी की विरासत से ही की। खून के रिश्ते को याद दिलाते भावनात्मक रूप से जुड़ने की जयंत ने भरपूर कोशिश की। भीड़ हुंकारा देती जरूर दिखी, लेकिन जयंत चौधरी के लिए चुनाव तक सहानुभूति के इस सैलाब को वोट में तब्दील करना अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा।
गुरुवार को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि थी। राजकीय इंटर कालेज के मैदान में सजी लोकतंत्र बचाओ महापंचायत के मंच पर लगे हॉर्डिंग पर भी लोकनायक की बड़ी-सी तस्वीर लगी थी, लेकिन महापंचायत के मंच पर बैठे अपने-अपने खेमे के पंचों में किसी ने भी लोकतंत्र बचाने की मिसाल जयप्रकाश नारायण तक का नाम अपने भाषण में नहीं लिया। रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक चंद त्यागी ने जरूर जयप्रकाश नारायण पर पड़ी तब लाठी का जिक्र किया, लेकिन बात उनकी भी खत्म रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी पर लाठी पर ही हुई।
संस्कारों और सीख से बात शुरू करते हुए जयंत चौधरी ने अपनी बुआओं सरोज देवी और ज्ञान देवी के साथ-साथ अपनी बड़े चौधरी के डांटने और दादी गायत्री देवी के पुचकारने तक की याद दिलाई। जवाब मांगने पर हामी में उठते हाथ देख आखिर में यहां तक कहा कि अपने भाई-अपने खून की पुकार सुन लो। हो सकता है कि बहुत लोग जो यहां आएं हैं पिछले चुनाव में वह साथ न हो, लेकिन अब जागने का वक्त है। जयंत की इस बात पर तालियां जरूर बजीं, लेकिन इन्हीं तालियों के शोर के बीच यह सवाल भी सिर उठाता रहा कि 2022 अभी दूर है और सहानुभूति के सैलाब को थामना उनके लिए चुनौती से कम नहीं होगा।
कोठी प्रकरण की भी दिलाई याद
सहानुभूति की चाशनी में और मिठास घोलने के लिए कांग्रेस से पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने जयंत चौधरी के परिवार से तीन पीढिय़ों के संबंध जाहिर करते हुए दिल्ली की कोठी खाली कराने के प्रकरण को याद दिलाई। अन्य वक्ताओं ने भी अपने-अपने हिसाब से जयंत और लाठी प्रकरण को सुलगाए रखा। शायद यही कारण रहा कि महापंचायत में बड़ी संख्या में लोग लाठियां लेकर पहुंचे और रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने खुद भी अपने हाथ में लाठी थमने से परहेज नहीं किया।