किसान आंदोलन के बहाने आक्सीजन तलाशती रालोद
रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह के अचानक किसानों के बीच पहुंचने से तमाम प्रश्न हवा में तैरने लगे हैं। रालोद किसान आंदोलन में आक्सीजन तलाश रही है।
मेरठ (जेएनएन)। किसान आंदोलन के बहाने पश्चिम में सियासत की नई फसल लहराई है। भाजपा ने जहां किसानों को साधने के लिए पूरी ताकत झोंक दी, वहीं महागठबंधन ने इसी बहाने अपनी सियासत को संजीवनी देने का प्रयास किया। रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह के अचानक किसानों के बीच पहुंचने से तमाम प्रश्न हवा में तैरने लगे हैं। खासकर, तब जबकि एक दिन पहले तक रालोद मुखिया ऐसे आंदोलन से बेखबर बता रहे थे।
तमाम जतन कर चुकी रालोद
पश्चिमी उप्र में रालोद किसान आंदोलन खड़ा करने के लिए तमाम जतन कर चुकी है। कैराना सीट रालोद भले ही जीत गई, किंतु चौ. अजित सिंह गन्ना किसानों को आंदोलित करने में सफल नहीं हुए। इधर, विपक्षी दलों ने अनुसूचित वर्ग एवं किसानों को सरकार के खिलाफ लामबंद करने में पूरी ताकत झोंक दी, किंतु भाकियू का किसान आंदोलन पूरी तरह सियासी रंग में डूबा नजर आया। हरिद्वार से करीब दो सौ किमी की यात्रा में चौ. अजित सिंह ने दिल्ली में ही किसानों से क्यों मुलाकात की, इस पर मंथन तेज हो गया है।
दो मंत्री लगाए
विश्लेषकों की मानें तो भाजपा विरोधी दलों के मंसूबों से वाकिफ थी, इसीलिए किसानों की तमाम मांगों को न सिर्फ माना गया, बल्कि पुलिस को भी बैकफुट पर रखा गया। किसानों को समझाने के लिए योगी सरकार के दो मंत्री लक्ष्मीनारायण एवं सुरेश राणा पिछले तीन दिन से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने सीएम योगी से किसानों की मुलाकात भी कराई, किंतु बात नहीं बनी। मंगलवार को आंदोलन का पारा चढ़ता देख चौ. अजित सिंह ने एंट्री मारा, जिस पर भाजपा के कान खड़े हो गए। राजनीतिक पंडितों का दावा है कि पुलिस से झड़प में अगर किसान घायल हो जाते तो विरोधी दल योगी सरकार की घेरेबंदी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते।
मंशा पर सवाल
उधर, आंदोलन के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने गन्ना किसानों के लिए जारी योजनाओं की चर्चा की, वहीं रालोद समेत तमाम दलों पर निशाना साधते हुए उनकी मंशा पर सवाल खड़े कर दिए।