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नासा की तकनीक से छत पर उगाई फसल, बचा लिया जल

मेरठ (संतोष शुक्ल)। जल प्रकृति का प्राणतत्व है, और इसकी हर बूंद जीवनदायी है। जलसंकट के इस

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 09:44 AM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 09:53 AM (IST)
नासा की तकनीक से छत पर उगाई फसल, बचा लिया जल

मेरठ (संतोष शुक्ल)। जल प्रकृति का प्राणतत्व है, और इसकी हर बूंद जीवनदायी है। जलसंकट के इस दौर में मेरठ की एक युवा दंपती ने इस सूत्र वाक्य पर पूरी तरह अमल कर दिखाया। कनाडा, इजरायल और आस्ट्रेलिया की तकनीक का प्रयोग करते हुए छत पर लगाई गई सब्जियों की सिंचाई में न सिर्फ 90 फीसद पानी बचा लिया, बल्कि मिट्टी का भी इस्तेमाल नहीं किया। पाइप में रोपे गए 200 पौधों की सिंचाई के लिए 20 दिन में महज 40 लीटर पानी खर्च किया गया।

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सब्जी उगाना है तो मिट्टी का क्या काम

बायोटेक साइंस में पीएचडी राहुल अग्रवाल एवं उनकी पत्‍‌नी आस्था अग्रवाल 2016 को एक सेमिनार में यूएसए गए। वहां पर पानी के बचत की तकनीक देखा तो इसे मेरठ में करने का निर्णय लिया। दंपती ने नासा द्वारा ईजाद हाइड्रोपोनिक्स तकनीक के आधार पर मई 2017 में अपने घर की छत पर टमाटर, बैंगन, पालक, मेथी, तरबूज, गोभी एवं शिमला मिर्च रोपा। इसके लिए पांच फुट की ऊंचाई पर पाइप बिछाई गई। इसमें पौधों के लिए 200 छेद किए गए। पीवीसी के बने पात्रों में पौधों को रोपा, जिसमें मिट्टी के स्थान पर नारियल का छिलका- कोकोपिट डाला। सिस्टम को 30 लीटर पानी के एक टैंक से जोड़ दिया। एक्वैरियम की तर्ज पर पानी में एयर पंप से आक्सीजन पहुंचाने का बंदोबस्त किया। पानी में कोई माइक्रोबैक्टीरिया न पनपे, इसके लिए यूवी-अल्ट्रावॉयलेट लैप लगाया। इससे पानी को शुद्ध करते हुए उसे कई बार-बार सिंचाई में प्रयोग किया जा रहा है।

पानी के साथ पोषण की डोज

पोषक तत्वों के लिए नाइट्रोजन, पोटेशियम नाइट्रेट, कैल्शियम व मैग्नीशियम फास्फेट, एवं आयरन का विलयन डाला गया। कीटशनाक के रूप में नीम आयल का प्रयोग किया गया। बायोटेक साइंटिस्ट राहुल का दावा है कि मिटटी की तुलना में इस तकनीक में पौधों में दोगुना वृद्धि दर्ज की गई। मिट्टी रहित तकनीक होने की वजह से पौधों में कोई संक्रमण नहीं लगा। उन्होंने सोशल साइट पर इस तकनीक को साझा किया तो बड़ी संख्या में लोग संपर्क करने पहुंचने लगे। उनका दावा है कि यह तकनीक 90 फीसद पानी बचाने के साथ ही ज्यादा स्वस्थ फल और सब्जी देगी।

थर्मोकोल के गमले

ट्रांसफर इंडस्ट्री के कारोबार में इस्तेमाल किए जाने वाले थर्मोकोल कंटेनर का वेस्टेज गमले के रूप में प्रयोग कर लिया। इसमें पानी में पोषक तत्वों को घोलकर कई अन्य सब्जियां उगा रहे हैं। यहां भी पानी की 80 फीसद बचत हुई।

क्या कहते हैं राहुल

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक पानी बचाने में बेहद अहम है। इससे बड़े पैमाने पर सब्जियां उगाई जा सकती हैं। मिट्टी की जगह नारियल का छिलका पानी कम सोखता है। पाइप में पानी का प्रवाह बनाकर रखा जाता है, जो पौधों की जड़ों को छूता हुआ निकलता है।


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