ये रिटायर्ड अफसर सड़क का कूड़ा साइकिल पर रखकर डाल आते हैं कूड़ाघर में
इन रिटायर्ड अफसर की दिनचर्या में 12 साल से शामिल है कालोनियों या सड़कों की सफाई करना और कूड़ा बोरी में भरकर कूड़ाघर तक डाल आना।
By Ashu SinghEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 02:30 PM (IST)Updated: Mon, 01 Oct 2018 02:31 PM (IST)
मेरठ (जेएनएन)। एक सेवानिवृत्त अफसर की दिनचर्या में 12 साल से शामिल है कालोनियों या सड़कों की सफाई करना और कूड़ा बोरी में भरकर कूड़ाघर तक डाल आना। इससे शहर चमकता है, मगर उसकी जो धूल उन पर चढ़ती है उससे उनके अपने हंसते हैं और सफाई के सिपाही बन जाने से नाराज रहते हैं। फिर भी उन्हें परवाह नहीं। यह हैं शास्त्रीनगर सेक्टर तीन के सुरेंद्र कुमार शर्मा।
उठाया सफाई का बीड़ा
2006 में वह एलआइसी के एडिशनल डिवीजनल मैनेजर (फाइनेंस) के पद से सेवानिवृत्त हुए। सुबह पांच से छह बजे योग करना उनकी दिनचर्या में शामिल था। इसके बाद कुछ और घरेलू काम निपटाकर ऑफिस चले जाते थे। जब ऑफिस जाने व नाश्ते की जल्दबाजी नहीं रह गई तो उन्होंने पार्क की देखभाल शुरू कर दी। धीरे-धीरे उन्होंने झाडू उठाकर कालोनी की सफाई शुरू की। उन्होंने बताया कि कूड़ा सड़क किनारे एकत्र कर दिया करते थे, मगर जब देखा कि एकत्र किया हुआ कूड़ा भी कई दिनों से नहीं उठता तो वह खुद उस कूड़े को बोरी में भरते और साइकिल पर रखकर कूड़ाघर में डाल आते थे।
दिनचर्या में शामिल
धीरे-धीरे यह उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया और अब वह नई सड़क व गढ़ रोड तक सफाई करने चले जाते हैं। इस काम से उनके परिचित व घर के सदस्य नाराज रहते हैं लेकिन सफाई उनका जुनून बन चुका है। उनका कहना है कि वह अपनी संतुष्टि के लिए करते हैं। कोई उनकी प्रशंसा करे या मजाक उड़ाए, वह 12 साल से जुटे हैं और इस मिशन में जुटे रहेंगे।
उठाया सफाई का बीड़ा
2006 में वह एलआइसी के एडिशनल डिवीजनल मैनेजर (फाइनेंस) के पद से सेवानिवृत्त हुए। सुबह पांच से छह बजे योग करना उनकी दिनचर्या में शामिल था। इसके बाद कुछ और घरेलू काम निपटाकर ऑफिस चले जाते थे। जब ऑफिस जाने व नाश्ते की जल्दबाजी नहीं रह गई तो उन्होंने पार्क की देखभाल शुरू कर दी। धीरे-धीरे उन्होंने झाडू उठाकर कालोनी की सफाई शुरू की। उन्होंने बताया कि कूड़ा सड़क किनारे एकत्र कर दिया करते थे, मगर जब देखा कि एकत्र किया हुआ कूड़ा भी कई दिनों से नहीं उठता तो वह खुद उस कूड़े को बोरी में भरते और साइकिल पर रखकर कूड़ाघर में डाल आते थे।
दिनचर्या में शामिल
धीरे-धीरे यह उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया और अब वह नई सड़क व गढ़ रोड तक सफाई करने चले जाते हैं। इस काम से उनके परिचित व घर के सदस्य नाराज रहते हैं लेकिन सफाई उनका जुनून बन चुका है। उनका कहना है कि वह अपनी संतुष्टि के लिए करते हैं। कोई उनकी प्रशंसा करे या मजाक उड़ाए, वह 12 साल से जुटे हैं और इस मिशन में जुटे रहेंगे।
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