MCI का सख्त रुख, मेडिकल कॉलेज में 50 एमबीबीएस सीटों की मान्यता निरस्त
लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज की तमाम दलीलें धरी रह गईं और मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया ने एमबीबीएस की 50 सीटों को निरस्त कर दिया।
By Ashu SinghEdited By: Published: Tue, 11 Jun 2019 12:50 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jun 2019 12:50 PM (IST)
मेरठ,जेएनएन। लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज की तमाम दलीलें धरी रह गईं और मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया ने एमबीबीएस की 50 सीटों को निरस्त कर दिया। एमसीआइ ने पांच विभागों में बेड आक्यूपेंसी का स्तर सालभर बेहद कम मिलने समेत 10 मानकों पर खरा न उतरने को आधार बनाते हुए कड़ा निर्णय लिया है।
विभागाध्यक्षों पर गिरेगी गाज
माना जा रहा है कि इसके बाद कई विभागाध्यक्षों पर गाज गिरेगी। उधर, एमसीआइ ने बांदा, जालौन एवं आजमगढ़ मेडिकल कालेजों में इस साल प्रवेश पर रोक लगा दी है। आगरा मेडिकल कालेज की भी सीटें निरस्त की गई हैं।
निरीक्षण के दौरान मिली थीं खामियां
एमसीआइ की टीम ने तीन मई को मेडिकल कैंपस पहुंचकर एमबीबीएस की 150 अतिरिक्त सीटों के मानकों का निरीक्षण किया था। टीम को बेड आक्यूपेंसी समेत कई अन्य मानकों पर खामियां मिलीं। प्राचार्य डा. आरसी गुप्ता ने बेड आक्यूपेंसी बढ़ाने का प्रयास तेज किया। एमसीआइ ने मेडिसिन, गायनिक, सर्जरी, पीडियाटिक व मानसिक रोग विभाग में मरीजों की कम भर्ती देखते हुए 50 सीटों की मान्यता रद करने का संकेत दिया था। उधर, प्राचार्य डा. आरसी गुप्ता ने 28 मई को दिल्ली में एमसीआइ में अपना पक्ष रखा, लेकिन बात नहीं बनी।
ये 10 बिंदु, जिन पर निरस्त हुई सीटें
मरीजों की भर्ती में कमी, शिक्षकों की कमी, सीनियर रेजीडेंट डाक्टरों की कमी, नर्सो की कमी, लाइब्रेरी व परीक्षा हाल की कमी, एक्स रे मशीनों की तंगी, वेबसाइट की कमी।
बेडों पर मरीजों की भर्ती का आंकड़ा
एमसीआई का मानक-75 फीसद बेड भरे होने चाहिए
निरीक्षण के दिन तीन मई को मिला-60 फीसद
अप्रैल माह में-62 फीसद
मार्च माह में-64 फीसद
फरवरी माह में-63 फीसद
जनवरी माह में-62 फीसद
इनका कहना है
मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के समक्ष 28 मई को पक्ष रखा था, लेकिन 50 सीटों की मान्यता रद हो गई। आधा दर्जन विभागों ने मरीजों को भर्ती करने में बड़ी चूक की, जिसे एमसीआई ने गंभीरता से लिया।
- डा. आरसी गुप्ता, प्राचार्य, मेडिकल कालेज
विभागाध्यक्षों पर गिरेगी गाज
माना जा रहा है कि इसके बाद कई विभागाध्यक्षों पर गाज गिरेगी। उधर, एमसीआइ ने बांदा, जालौन एवं आजमगढ़ मेडिकल कालेजों में इस साल प्रवेश पर रोक लगा दी है। आगरा मेडिकल कालेज की भी सीटें निरस्त की गई हैं।
निरीक्षण के दौरान मिली थीं खामियां
एमसीआइ की टीम ने तीन मई को मेडिकल कैंपस पहुंचकर एमबीबीएस की 150 अतिरिक्त सीटों के मानकों का निरीक्षण किया था। टीम को बेड आक्यूपेंसी समेत कई अन्य मानकों पर खामियां मिलीं। प्राचार्य डा. आरसी गुप्ता ने बेड आक्यूपेंसी बढ़ाने का प्रयास तेज किया। एमसीआइ ने मेडिसिन, गायनिक, सर्जरी, पीडियाटिक व मानसिक रोग विभाग में मरीजों की कम भर्ती देखते हुए 50 सीटों की मान्यता रद करने का संकेत दिया था। उधर, प्राचार्य डा. आरसी गुप्ता ने 28 मई को दिल्ली में एमसीआइ में अपना पक्ष रखा, लेकिन बात नहीं बनी।
ये 10 बिंदु, जिन पर निरस्त हुई सीटें
मरीजों की भर्ती में कमी, शिक्षकों की कमी, सीनियर रेजीडेंट डाक्टरों की कमी, नर्सो की कमी, लाइब्रेरी व परीक्षा हाल की कमी, एक्स रे मशीनों की तंगी, वेबसाइट की कमी।
बेडों पर मरीजों की भर्ती का आंकड़ा
एमसीआई का मानक-75 फीसद बेड भरे होने चाहिए
निरीक्षण के दिन तीन मई को मिला-60 फीसद
अप्रैल माह में-62 फीसद
मार्च माह में-64 फीसद
फरवरी माह में-63 फीसद
जनवरी माह में-62 फीसद
इनका कहना है
मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के समक्ष 28 मई को पक्ष रखा था, लेकिन 50 सीटों की मान्यता रद हो गई। आधा दर्जन विभागों ने मरीजों को भर्ती करने में बड़ी चूक की, जिसे एमसीआई ने गंभीरता से लिया।
- डा. आरसी गुप्ता, प्राचार्य, मेडिकल कालेज
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