चौंका देने वाला घोटाला, राशन डीलरों की अंगुली पर नाची बायोमेट्रिक मशीन
राशन डीलरों ने बायोमेट्रिक मशीन की भी काट निकाल ली। डीलरों ने हाथों की सभी अंगुलियों को अलग-अलग नाम से स्कैन कर लिया और राशन निकालते रहे।
By Ashu SinghEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 05:03 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 05:03 PM (IST)
मेरठ, [पंकज तोमर]। प्रदेश में हुए अरबों रुपये के राशन घोटाले में अभी तक का सबसे बड़ा राजफाश हुआ है। राशन डीलरों ने बायोमेट्रिक प्रणाली को अंगुलियों पर नचा दिया। डीलरों ने अपने दोनों हाथों की सभी अंगुलियां अलग-अलग नाम पर स्कैन करा रखी थीं। माना जा रहा है कि अंगुलियों के इस खेल में पूर्ति निरीक्षकों की भी बड़ी भूमिका रही।
अलग-अलग नाम से करा लिया स्कैन
मेरठ समेत प्रदेश के तमाम जिलों में राशन डीलरों ने घोटाले को अंजाम दिया। क्राइम ब्रांच ने कुछ ऐसे राशन डीलरों को पकड़ा है, जिन्होंने अपने दोनों हाथों की सभी अंगुलियों के फिंगर प्रिंट अलग-अलग नाम पर स्कैन करा रखे हैं। जब भी उन्हें राशन लेना हुआ तो अंगुलियों को स्कैन कर अलग-अलग नाम से राशन ले लिया।
क्राइम ब्रांच को शासन की हरी झंडी
जांच के लिए क्राइम ब्रांच ने सात बिंदुओं पर शासन से कुछ गाइड लाइन मांगी थी, जो उपलब्ध करा दी गई है। शासन ने कहा है कि कोई भी दोषी बचना नहीं चाहिए। मेरठ समेत प्रदेश में क्राइम ब्रांच ने प्राथमिक तौर पर विवेचना की तो उसमें फिंगर प्रिंट के जरिए घोटाले का नया राज खुल गया।
ऐसे खुला था घोटाला
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी की शिकायत पर योगी सरकार ने राशन कार्डों का सत्यापन कराया था। इसमें मेरठ जिले में करीब 58002 राशन कार्ड फर्जी पाए गए, जिन्हें निरस्त कर दिया गया। इसके बाद पूरे प्रदेश में जांच शुरू हुई तो करीब 30 लाख राशन कार्ड फर्जी पाए गए। राशनकार्ड व उनकी यूनिट के हिसाब से मिलने वाली सब्सिडी पर गौर करें तो 21 माह में प्रदेश में लगभग 21 अरब रुपये का घोटाला हुआ। प्रकरण की जांच के लिए एसआइटी भी गठित है। एसटीएफ के बाद अब स्थानीय स्तर पर क्राइम ब्रांच जांच कर रही है।
पासवर्ड चोरी हुआ या पूर्ति निरीक्षकों ने दिया
प्रथम चरण में विवेचक इस बिंदु पर जांच कर रहे हैं कि राशन लेने के लिए पासवर्ड चोरी हुआ या उन्हें पूर्ति निरीक्षकों ने उपलब्ध कराया। फिलहाल पूर्ति निरीक्षकों को जांच के दायरे में रखा गया है।
इतने हुए थे मुकदमे
मेरठ में करीब 110 मुकदमे पंजीकृत कराए गए, जबकि पश्चिम के बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली, बिजनौर, सहारनपुर आदि जिलों में 350 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए।
बयान देने में आनाकानी कर रहे पूर्ति निरीक्षक
क्राइम ब्रांच पूर्ति निरीक्षकों के बयान दर्ज करने के लिए समय मांग रही है, लेकिन निरीक्षक आनाकानी कर रहे हैं। मेरठ ही नहीं, पश्चिम के कई पूर्ति निरीक्षक छुट्टी लेकर चले गए हैं। उन्हें डर है कि कहीं घोटाले के लपेटे में वह ना आ जाए। कुछ पूर्ति निरीक्षक विवेचकों से टोह ले रहे हैं। जांच की प्रगति पर भी उनकी नजर है।
उपभोक्ताओं से भी की जाएगी पूछताछ
शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई गाइड लाइन के आधार पर क्राइम ब्रांच राशन डीलरों, पूर्ति निरीक्षकों के अलावा उपभोक्ताओं से भी पूछताछ करेगी। पता लगाया जाएगा कि उन्हें कब से राशन नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने राशन नहीं दिए जाने की कब-कब और कहां-कहां शिकायत की। उस पर कितनी कार्रवाई हुई और किस अधिकारी ने की, आदि तथ्यों पर पूछताछ की जाएगी। उन्होंने फर्जी राशन कार्ड किस तरह बनवाए और किसकी रिपोर्ट पर वह बनाए गए, यह भी पूछताछ होनी है।
इनका कहना है
शासन से जांच के लिए गाइड लाइन मिल गई है। कई जगह पूर्ति निरीक्षकों की भूमिका संदिग्ध है। डीलरों ने फिंगर प्रिंट में भी बड़ा खेल किया है।
-डा. बीपी अशोक, एसपी क्राइम
अलग-अलग नाम से करा लिया स्कैन
मेरठ समेत प्रदेश के तमाम जिलों में राशन डीलरों ने घोटाले को अंजाम दिया। क्राइम ब्रांच ने कुछ ऐसे राशन डीलरों को पकड़ा है, जिन्होंने अपने दोनों हाथों की सभी अंगुलियों के फिंगर प्रिंट अलग-अलग नाम पर स्कैन करा रखे हैं। जब भी उन्हें राशन लेना हुआ तो अंगुलियों को स्कैन कर अलग-अलग नाम से राशन ले लिया।
क्राइम ब्रांच को शासन की हरी झंडी
जांच के लिए क्राइम ब्रांच ने सात बिंदुओं पर शासन से कुछ गाइड लाइन मांगी थी, जो उपलब्ध करा दी गई है। शासन ने कहा है कि कोई भी दोषी बचना नहीं चाहिए। मेरठ समेत प्रदेश में क्राइम ब्रांच ने प्राथमिक तौर पर विवेचना की तो उसमें फिंगर प्रिंट के जरिए घोटाले का नया राज खुल गया।
ऐसे खुला था घोटाला
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी की शिकायत पर योगी सरकार ने राशन कार्डों का सत्यापन कराया था। इसमें मेरठ जिले में करीब 58002 राशन कार्ड फर्जी पाए गए, जिन्हें निरस्त कर दिया गया। इसके बाद पूरे प्रदेश में जांच शुरू हुई तो करीब 30 लाख राशन कार्ड फर्जी पाए गए। राशनकार्ड व उनकी यूनिट के हिसाब से मिलने वाली सब्सिडी पर गौर करें तो 21 माह में प्रदेश में लगभग 21 अरब रुपये का घोटाला हुआ। प्रकरण की जांच के लिए एसआइटी भी गठित है। एसटीएफ के बाद अब स्थानीय स्तर पर क्राइम ब्रांच जांच कर रही है।
पासवर्ड चोरी हुआ या पूर्ति निरीक्षकों ने दिया
प्रथम चरण में विवेचक इस बिंदु पर जांच कर रहे हैं कि राशन लेने के लिए पासवर्ड चोरी हुआ या उन्हें पूर्ति निरीक्षकों ने उपलब्ध कराया। फिलहाल पूर्ति निरीक्षकों को जांच के दायरे में रखा गया है।
इतने हुए थे मुकदमे
मेरठ में करीब 110 मुकदमे पंजीकृत कराए गए, जबकि पश्चिम के बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली, बिजनौर, सहारनपुर आदि जिलों में 350 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए।
बयान देने में आनाकानी कर रहे पूर्ति निरीक्षक
क्राइम ब्रांच पूर्ति निरीक्षकों के बयान दर्ज करने के लिए समय मांग रही है, लेकिन निरीक्षक आनाकानी कर रहे हैं। मेरठ ही नहीं, पश्चिम के कई पूर्ति निरीक्षक छुट्टी लेकर चले गए हैं। उन्हें डर है कि कहीं घोटाले के लपेटे में वह ना आ जाए। कुछ पूर्ति निरीक्षक विवेचकों से टोह ले रहे हैं। जांच की प्रगति पर भी उनकी नजर है।
उपभोक्ताओं से भी की जाएगी पूछताछ
शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई गाइड लाइन के आधार पर क्राइम ब्रांच राशन डीलरों, पूर्ति निरीक्षकों के अलावा उपभोक्ताओं से भी पूछताछ करेगी। पता लगाया जाएगा कि उन्हें कब से राशन नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने राशन नहीं दिए जाने की कब-कब और कहां-कहां शिकायत की। उस पर कितनी कार्रवाई हुई और किस अधिकारी ने की, आदि तथ्यों पर पूछताछ की जाएगी। उन्होंने फर्जी राशन कार्ड किस तरह बनवाए और किसकी रिपोर्ट पर वह बनाए गए, यह भी पूछताछ होनी है।
इनका कहना है
शासन से जांच के लिए गाइड लाइन मिल गई है। कई जगह पूर्ति निरीक्षकों की भूमिका संदिग्ध है। डीलरों ने फिंगर प्रिंट में भी बड़ा खेल किया है।
-डा. बीपी अशोक, एसपी क्राइम
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