जनप्रतिनिधियों ने की नोडल अधिकारियों के साथ बैठक कहा, कूड़ा निस्तारण और काली नदी की सफाई से भागेंगी बीमारियां
जनप्रतिनिधियों ने रविवार को सर्किट हाउस में दोनों जनपद नोडल अफसरों के साथ बैठक करके मेरठ में कोरोना और अन्य बीमारियों पर नियंत्रण की प्रशासन की रणनीति की जानकारी ली।
मेरठ, जेएनएन। जनप्रतिनिधियों ने रविवार को सर्किट हाउस में दोनों जनपद नोडल अफसरों के साथ बैठक करके मेरठ में कोरोना और अन्य बीमारियों पर नियंत्रण की प्रशासन की रणनीति की जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को तमाम सुझाव भी दिए। जनप्रतिनिधियों ने बताया कि काली नदी शहर में जलभराव और बीमारियों का मुख्य कारण है। उसकी सफाई जरूरी है। इसके अलावा शहर से रोजाना निकलने वाले 900 मीट्रिक टन कूड़े का निस्तारण किया जाना अति आवश्यक है। इसके लिए कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाए जाएं। बैठक में गंगाजल परियोजना की बाधाओं को दूर करने, शहर की सफाई तथा कूड़े के तुरंत उठान समेत तमाम सुझाव भी दिए। जिन्हें नोडल अधिकारियों ने सही मानते हुए शासन स्तर पर बात करने का आश्वासन दिया।
जनप्रतिनिधियों के साथ पहली बैठक
नोडल अधिकारियों के इस बार के दौरे के दौरान जनप्रतिनिधियों के साथ यह पहली बैठक थी। जिसमें सांसद राजेंद्र अग्रवाल, विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल, सोमेंद्र तोमर, जितेंद्र सतवाई, जिलाध्यक्ष अनुज राठी, महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल, एमएलसी डा. सरोजिनी अग्रवाल आदि शामिल हुए। जिलाधिकारी अनिल ढींगरा और नगर आयुक्त डा. अरविंद चौरसिया की मौजूदगी में नोडल अधिकारी व आबकारी आयुक्त पी गुरुप्रसाद ने मेरठ में कोरोना संक्रमण और संचारी रोगों की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी जनप्रतिनिधियों को दी। उन्होंने बताया कि संचारी रोगों से बचाव के लिए शहरी, कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का सख्त निर्देश सरकार ने दिया है। इसके लिए नोडल अफसरों को निरीक्षण और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। नोडल अधिकारियों ने जनप्रतिनिधियों से मेरठ शहर और ग्रामीण क्षेत्रों की स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल के लिए सुझाव भी मांगे। सांसद राजेंद्र अग्रवाल और कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल ने बैठक में बताया कि शहर में जलभराव और पूरे जनपद में बीमारियां फैलाने का सबसे बड़ा कारण काली नदी बनी है। यह सिल्ट से अटी है। जिससे भूगर्भ का पानी दूषित हो रहा है। नदी का स्तर ऊंचा है तथा शहर के नालों का स्तर नीचा होने के कारण शहर का गंदा पानी नदीं में नहीं जा पाता। लिहाजा गंदा पानी शहर में भरा रहता है। बारिश में हालात अत्यधिक चिंताजनक हो जाते हैं। नदी की सफाई प्राथमिकता पर आवश्यक है।
बरसात से पहले नालों की सफाई
जनप्रतिनिधियों ने बताया कि बरसात से तीन महीने पहले शहर के नालों की तलीझाड़ सफाई का कार्य किया जाना चाहिए लेकिन वह नहीं हो पाता है। उल्टे नाला सफाई के नाम पर हर साल नगर निगम में घोटाले किए जाते हैं। शहर में रोजाना 900 टन कूड़ा निकलता है। जिसका सबसे पहले रोजोना उठान होना आवश्यक है। जो कि नहीं हो पा रहा है। कूड़े के अंबार शहर में ही लगे रहते हैं। इसके साथ ही रोजाना के कूड़े का रोजाना निस्तारण किया जाना आवश्यक है। इसके लिए कूड़ा निस्तारण प्लांट की क्षमता बढ़ाया जाना जरूरी है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए शहर में प्रयास किए जाएं। शहर में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति के लिए गंगाजल परियोजना स्थापित है। गंगनहर से रोजाना 100 एमएलडी पानी लेकर उसका ट्रीटमेंट करके शहर के उपलब्ध कराया जाना है लेकिन यह प्लांट पूरी क्षमता पर काम नहीं कर रहा है। इसमें रोजाना तकनीकि समस्याएं भी आती हैं। इनका समाधान किया जाना आवश्यक है। गंगाजल प्लांट पूरी क्षमता पर काम करेगा तो नगर निगम के बड़ी संख्या में नलकूपों का खर्च भी बचाया जा सकता है। दोनों नोडल अधिकारियों ने जनप्रतिनिधियों के सुझावों पर काम कराने तथा शासन स्तर पर बात करके जरूरतों को पूरा कराने का आश्वासन दिया।