जेएनयू प्रकरण में धरना देकर जताया विरोध
जेएनयू में शिक्षकों और छात्रों पर हुए हमले के खिलाफ मेरठ कॉलेज में बुधवार को सांकेतिक धरना दिया गया। इसमें पुराने छात्र नेताओं के साथ वामपंथ कांग्रेस और रालोद से जुड़े लोग भी शामिल हुए।
मेरठ, जेएनएन। जेएनयू में शिक्षकों और छात्रों पर हुए हमले के खिलाफ मेरठ कॉलेज में बुधवार को सांकेतिक धरना दिया गया। इसमें पुराने छात्र नेताओं के साथ वामपंथ, कांग्रेस और रालोद से जुड़े लोग भी शामिल हुए। धरने में सभी ने एक स्वर में मामले की सुप्रीम कोर्ट के जज से जांच कराने की मांग की।
धरने को संबोधित करते हुए प्रभात राय ने कहा कि पूर्व की सरकारों ने कॉलेज, विश्वविद्यालय को राजनीति से दूर रखा था, लेकिन अब राजनीति की जा रही है। विश्वविद्यालयों में विचारों की लड़ाई होनी चाहिए। इस तरह हिसक लड़ाई ठीक नहीं है। ऐनुद्दीन शाह ने कहा कि देश बिखराव की ओर है। देश में इस समय मुसलमान और पाकिस्तान के अलावा कोई चर्चा नहीं है। धरने के संयोजक धीरज सिंह ने कहा कि जेएनयू जैसी संस्थाओं में जहां शिक्षा और गुणवत्ता की बात होनी चाहिए। वहां अब माहौल खराब किया जा रहा है। प्रशांत वर्मा और संदीप चौधरी ने कहा कि शिक्षा का व्यवसायीकरण किया जा रहा है। इससे आम लोगों की पहुंच से शिक्षा दूर हो रही है। जेएनयू में फीस की बढ़ोतरी उसी दिशा में है। अन्य वक्ताओं ने कहा कि जेएनयू को नष्ट करने का प्रयास हो रहा है। इसके खिलाफ लोगों को एकजुट होना चाहिए। धरने में विजयकांत भारद्वाज, जुनैद खान, निमेश, कंगना, कपिल बालियान, अरुण तोमर, शिव प्रकाश एडवोकेट, ज्ञानेंद्र शर्मा आदि शामिल रहे।
कॉलेज में थी छुट्टी
बुधवार को मेरठ कॉलेज में छुट्टी थी। इसलिए धरने में कॉलेज के वर्तमान छात्र- छात्राएं शामिल नहीं रहे। कॉलेज के प्राचार्य डा. संगीता गुप्ता ने बताया कि धरने की जानकारी उन्हें नहीं थी। कॉलेज बंद था। इस समय परीक्षा चल रही है। परीक्षा के दौरान धरना प्रदर्शन कॉलेज में नहीं हो सकता है। इसलिए कॉलेज बंद होने पर धरना प्रदर्शन किया गया।