समलैंगिकता और विवाहेतर संबंधों के विरोध में यज्ञ, मानसिक विकृति बताया
केंद्रीय आर्य सभा ने समलैंगिकता और विवाहेतर संबंधों को फिर से अपराध की श्रेणी में लाने की मांग की है। सभा ने यज्ञ किया और मांगों से संबंधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को दिया।
By Ashu SinghEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 01:34 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 01:35 PM (IST)
मेरठ (जेएनएन)। केंद्रीय आर्य सभा मेरठ महानगर ने उच्चतम न्यायालय से धारा 377 पर पुनर्विचार करते हुए समलैंगिकता को अपराध घोषित करने की मांग की है। साथ ही विवाहेतर संबंधों को भी फिर से अपराध के दायरे में लाने की मांग की है। सभा ने समलैंगिकता और विवाहेतर संबंधों का विरोध करते हुए यज्ञ भी किया।
कलक्ट्रेट में प्रदर्शन
केंद्रीय आर्य सभा ने सोमवार को कलक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया। इससे पूर्व कमिश्नरी पार्क में यज्ञ किया गया। अपनी मांगों पर कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट शैलेंद्र सिंह को दिया। ज्ञापन में कहा गया है कि गत माह धारा 377 को अवैध मानते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है जिससे देश का सामान्य जनमानस अत्यंत आहत एवं हतप्रभ है। अधिकांश भारतीय जो धर्म एवं नैतिक व मानवीय मूल्यों में विश्वास रखते हैं यह उनकी भावनाओं, भारतीय संस्कृति, प्राकृतिक परंपराओं एवं आदर्शों पर कुठाराघात है। समलैंगिकता एक मानसिक विकृति है जो कि आगे चलकर मनुष्य में अनेक कुंठाओं को जन्म देती है, जिसके कारण समाज में अनेक प्रकार के अपराधों के जन्म की आशंका रहती है। इसको बढ़ावा देने से राष्ट्र एवं समाज पतन की ओर जाएगा।
अध्यादेश पारित करने की मांग
केंद्रीय आर्य सभा ने मांग की कि धारा 377 व 497 संविधान में बनाए रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका प्रस्तुत की जाए। अन्यथा इस संबंध में समुचित संविधान संशोधन के लिए अध्यादेश पारित किया जाए। ज्ञापन देने वालों में डॉक्टर आरती सिंह चौधरी, राजेश सेठी, सुनील आर्य, कैलाश सोनी, उर्मिला रस्तोगी, राजीव वर्मा, मनोज आर्य, राम सिंह जाखड़, गंगा राम सिंह, मनोज मलिक, चंद्रकांत आदि शामिल रहे।
कलक्ट्रेट में प्रदर्शन
केंद्रीय आर्य सभा ने सोमवार को कलक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया। इससे पूर्व कमिश्नरी पार्क में यज्ञ किया गया। अपनी मांगों पर कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट शैलेंद्र सिंह को दिया। ज्ञापन में कहा गया है कि गत माह धारा 377 को अवैध मानते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है जिससे देश का सामान्य जनमानस अत्यंत आहत एवं हतप्रभ है। अधिकांश भारतीय जो धर्म एवं नैतिक व मानवीय मूल्यों में विश्वास रखते हैं यह उनकी भावनाओं, भारतीय संस्कृति, प्राकृतिक परंपराओं एवं आदर्शों पर कुठाराघात है। समलैंगिकता एक मानसिक विकृति है जो कि आगे चलकर मनुष्य में अनेक कुंठाओं को जन्म देती है, जिसके कारण समाज में अनेक प्रकार के अपराधों के जन्म की आशंका रहती है। इसको बढ़ावा देने से राष्ट्र एवं समाज पतन की ओर जाएगा।
अध्यादेश पारित करने की मांग
केंद्रीय आर्य सभा ने मांग की कि धारा 377 व 497 संविधान में बनाए रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका प्रस्तुत की जाए। अन्यथा इस संबंध में समुचित संविधान संशोधन के लिए अध्यादेश पारित किया जाए। ज्ञापन देने वालों में डॉक्टर आरती सिंह चौधरी, राजेश सेठी, सुनील आर्य, कैलाश सोनी, उर्मिला रस्तोगी, राजीव वर्मा, मनोज आर्य, राम सिंह जाखड़, गंगा राम सिंह, मनोज मलिक, चंद्रकांत आदि शामिल रहे।
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