महाभारत का इतिहास जानने हस्तिनापुर पहुंचे अर्जेंटीना के प्रोफेसर
अर्जेंटीना से प्रोफेसर और उनकी टीम शुक्रवार सुबह हस्तिनापुर पहुंचे। यह टीम वेद, पुराण व महाभारत पर शोध कर रही है।
By Taruna TayalEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 06:00 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jan 2019 06:00 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। अर्जेंटीना की ऐरिश यूनिवर्सिटी से प्रोफेसर की टीम हस्तिनापुर पहुंची। जहां उन्होंने हस्तिनापुर की पौराणिकता के बारे में विस्तार से जानकारी की। उक्त टीम गीता, वेदों व महाभारत पर शोध कर रही है। इसी क्रम में वे हस्तिनापुर की ऐतिहासिक धरा से रूबरू होने व जानने के लिए यहां पहुंचे, जिससे वे हस्तिनापुर की महाभारत कालीन स्थलों को नजदीक से जान सके और उनके इतिहास से रूबरू हो सके।
श्रीमद् भागवत गीता से बहुत लगाव
ऐरिश यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर की तीस सदस्य टीम शुक्रवार को हस्तिनापुर पहुंची। उन्होंने सर्वप्रथम प्राचीन पांडेश्वर मंदिर, पांडव टीला, अमृत कूप, राजा रघुनाथ महल व कर्ण मंदिर पहुंचे और उनके इतिहास के बारे में जानकारी की। टीम ने उस स्थान का भी भ्रमण किया, जहां वर्ष 1950-52 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा उत्खनन कराया गया था। टीम का नेतृत्व कर रही ल्यूसिया मोनटेंगो ने बताया कि इस टीम में विधि संकाय, मेडिटेशन, योगा एवं फिलोस्फी के प्रोफेसर शामिल थे। ल्यूसिया ने बताया कि वे महाभारत ग्रंथ व श्रीमद् भागवत गीता से बहुत लगाव रखते है तथा उसके बारे में विस्तार से जानकारी भी प्राप्त करना चाहते हैं।
भारतीय संस्कृति सबसे उत्तम
उन्होंने यहां की संस्कृति के बारे में बताया कि भारतीय संस्कृति बहुत उत्तम है और यहां का पर्यावरण भी बहुत हरा भरा है। जिससे यहां की अनुपमता अनूठी है। इसके अलावा जैन मंदिरों की अनूठी आकृतियों ने उन्हें बहुत लुभाया है। जिसमें अष्टापद मंदिर, जंबूद्वीप, कैलाश पर्वत आदि है। वहीं प्राचीन पांडेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित पौराणिक शिवलिंग भी दर्शनीय है। जिसकी पूजा अर्चना करने से आज वे धन्य हो गए। समस्त महाभारत कालीन ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण शोभित यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंक भारती ने कराया था इतिहास के बारे में जानकारी दी। टीम में सरक्यू, क्यूज, रूबैन, विंद्रा, मानासिया, ब्रिखिनिया, मर्तीन, सेरेलिया आदि रहें।
श्रीमद् भागवत गीता से बहुत लगाव
ऐरिश यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर की तीस सदस्य टीम शुक्रवार को हस्तिनापुर पहुंची। उन्होंने सर्वप्रथम प्राचीन पांडेश्वर मंदिर, पांडव टीला, अमृत कूप, राजा रघुनाथ महल व कर्ण मंदिर पहुंचे और उनके इतिहास के बारे में जानकारी की। टीम ने उस स्थान का भी भ्रमण किया, जहां वर्ष 1950-52 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा उत्खनन कराया गया था। टीम का नेतृत्व कर रही ल्यूसिया मोनटेंगो ने बताया कि इस टीम में विधि संकाय, मेडिटेशन, योगा एवं फिलोस्फी के प्रोफेसर शामिल थे। ल्यूसिया ने बताया कि वे महाभारत ग्रंथ व श्रीमद् भागवत गीता से बहुत लगाव रखते है तथा उसके बारे में विस्तार से जानकारी भी प्राप्त करना चाहते हैं।
भारतीय संस्कृति सबसे उत्तम
उन्होंने यहां की संस्कृति के बारे में बताया कि भारतीय संस्कृति बहुत उत्तम है और यहां का पर्यावरण भी बहुत हरा भरा है। जिससे यहां की अनुपमता अनूठी है। इसके अलावा जैन मंदिरों की अनूठी आकृतियों ने उन्हें बहुत लुभाया है। जिसमें अष्टापद मंदिर, जंबूद्वीप, कैलाश पर्वत आदि है। वहीं प्राचीन पांडेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित पौराणिक शिवलिंग भी दर्शनीय है। जिसकी पूजा अर्चना करने से आज वे धन्य हो गए। समस्त महाभारत कालीन ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण शोभित यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंक भारती ने कराया था इतिहास के बारे में जानकारी दी। टीम में सरक्यू, क्यूज, रूबैन, विंद्रा, मानासिया, ब्रिखिनिया, मर्तीन, सेरेलिया आदि रहें।
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