बढ़ रही सीवेज की समस्या, बिगड़ रही स्वच्छता रैंकिग
शहर में सीवर निकासी की समस्या बढ़ती जा रही है। कहीं नालों का कनेक्शन सीवर से है तो कहीं सीवेज नालों में बहाया जा रहा है। 214 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाना है।
मेरठ, जेएनएन। शहर में सीवर निकासी की समस्या बढ़ती जा रही है। कहीं नालों का कनेक्शन सीवर से है, तो कहीं सीवेज नालों में बहाया जा रहा है। 214 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाना है। पूरा साल गुजर गया, लेकिन प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने के लिए अभी तक टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है।
नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा (नमामि गंगे मिशन) के तहत 214 एमएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्वीकृत किया गया है। करीब डेढ़ साल होने को हैं, अभी तक केवल यह फाइनल हुआ है कि यह प्लांट पूर्व में स्थापित 72 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के पास बनना है। इसके लिए जमीन भी फाइनल हो चुकी है। नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा केंद्र सरकार का उपक्रम है। जिसे पीपीपी माडल पर टेंडर के लिए प्रस्ताव तैयार करना है, लेकिन यह प्रस्ताव अभी तक जल निगम को नहीं मिला है। जिसकी वजह से प्रोजेक्ट की टेंडर प्रक्रिया अधर में लटकी है। लगभग 672 करोड़ का यह प्रोजेक्ट है। इस संबंध में जल निगम के अधिशासी अभियंता बलबीर सिंह का कहना है कि नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा नई दिल्ली से पीपीपी माडल पर टेंडर के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। जल्द ही इस पर काम शुरू होगा।
इस बार भी नहीं पूरा होगा स्वच्छ सर्वेक्षण का मानक
प्लांट के स्थापित होने पर शहर में उत्सर्जित लगभग 300 एमएलडी सीवेज के निस्तारण की व्यवस्था हो जाएगी। शत-प्रतिशत सीवेज नेटवर्क शहर में होगा। जिसका फायदा स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिग में मिलेगा। लेकिन प्लांट में हो रही देरी के चलते इस बार भी शत-प्रतिशत सीवेज निस्तारण का नार्म्स पूरा नहीं हो सकेगा।