अंतिम दिन भी मेरठ के 70 माध्यमिक विद्यालयों में अबतक अपलोड नहीं किये प्रीबोर्ड के अंक
स्कूलों को इसमें बोर्ड परीक्षार्थियों के प्री बोर्ड और कक्षा ग्यारहवीं की छमाही व वार्षिक परीक्षा के पूर्णांक व प्राप्तांक अपलोड करने थे। इस बाबत 28 मई तक का समय दिया गया था। जिले के 70 से अधिक स्कूलों ने अबतक अंक अपलोड नहीं किए हैं।
मेरठ, जेएनएन। माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश यूपी बोर्ड ने सभी माध्यमिक स्कूलों को वर्ष 2011 में कक्षा 12वीं के बोर्ड परीक्षार्थियों के अंक अपलोड करने के निर्देश दिए थे। स्कूलों को इसमें बोर्ड परीक्षार्थियों के प्री बोर्ड और कक्षा ग्यारहवीं की छमाही व वार्षिक परीक्षा के पूर्णांक व प्राप्तांक अपलोड करने थे। इस बाबत 28 मई तक का समय दिया गया था। दोपहर 3:00 बजे तक भी जिले के 70 से अधिक स्कूलों ने अब तक अंक अपलोड नहीं किए हैं। शुक्रवार रात 12:00 बजे के बाद अंक अपलोड करने का लिंक बंद हो जाएगा।
माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि यदि कोई स्कूल छात्रों के अंक अपलोड नहीं करता है तो उसके लिए सीधे जिला विद्यालय निरीक्षक जिम्मेदार होंगे। बोर्ड परीक्षा की असमंजस की स्थितियों के बीच बहुत से स्कूलों ने अंक अपलोड कर दिया लेकिन अभी भी बहुत से स्कूल बाकी है। पूरी हो चुकी दसवीं की प्रक्रिया
यूपी बोर्ड ने इससे पहले माध्यमिक स्कूलों से कक्षा दसवीं के बोर्ड परीक्षार्थियों के प्री बोर्ड और नौवीं की छमाही व वार्षिक परीक्षा के अंक भी अपलोड करने को कहा था। जिले के सभी स्कूलों ने दसवीं के सभी अंक अपलोड कर दिए हैं। हालांकि पिछले साल नौवीं की वार्षिक परीक्षा बहुत से स्कूल नहीं करा सके थे, इसलिए उन्होंने केवल छमाही के अंक ही अपलोड किए हैं। जिले में बटने लगी थी बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिका भी बोर्ड परीक्षा के आयोजन की तैयारी में यूपी बोर्ड सबसे आगे चल रहा था। जिले में उत्तर पुस्तिकाएं भी आ चुकी थी और करीब 25 से 30 स्कूलों को वितरित भी की जा चुकी थी। इसके साथ ही यूपी बोर्ड ने सभी विषयों के प्रश्न पत्र भी तैयार कर लिए थे, जो आने भर शेष रह गए थे। उत्तर पुस्तिका वितरित होने के बाद बोर्ड परीक्षा के कुछ दिन पहले ही पेपर जिलों को भेजे जाते हैं। उसके बाद वितरित किया जाता है।
हो सकता है भारी नुकसान
यूपी बोर्ड में बोर्ड परीक्षा 2021 की पूरी तैयारियां कर ली थी। इसमें उत्तर पुस्तिकाएं और प्रश्न पत्र तैयार कराने छपाने में करोड़ों रुपए का खर्च आता है। अब यदि बोर्ड परीक्षाएं नहीं होती हैं तो यह करोड़ों रुपए इस साल के पेपर में जो खर्च हुए हैं, वह बेकार चला जाएगा। इसके अलावा यदि बोर्ड परीक्षा पैटर्न में बदलाव होता है, परीक्षा 3 घंटे की बजाय डेढ़ घंटे के लिए जाती है और प्रश्न पत्र दूसरे बनाए जाते हैं, साथ ही ओएमआर शीट पर परीक्षा ली जाती है तो यह खर्च यूपी बोर्ड को अतिरिक्त करने होंगे। यूपी बोर्ड ने परीक्षा शुल्क भले ही एक बार लिया हो लेकिन खर्च दोहरा पढ़ने जा रहा है।