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Pollution News: मेरठ में आफत बन रहा प्रदूषण, मास्क फिर निकाल लें... फेफड़ा भी तो बचाना है

Pollution News जिस प्रकार से प्रदूषण के हालात खराब होते जा रहे ऐसे में मास्‍क लगाना बेहद ही जरूरी हो गया है। मेरठ में एक्यूआइ 335 पर पहुंचा लगातार प्रदूषण बना है। मेरठ में डाक्‍टरों का कहना है कि सर्जिकल मास्क फिलहाल प्रभावी एवं सुरक्षित है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 10:50 AM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 10:50 AM (IST)
कोरोना, फ्लू और टीबी से भी बचाएगा मास्क। इसे बाहर निकलते वक्‍त जरूरी पहनें।

मेरठ, जागरण संवाददाता। एनसीआर की हवा में सांस लेना फेफड़ों को संकट में डालने जैसा है। सर्द मौसम के साथ ही धुंध की काली परत गहराती जा रही है। चिकित्सकों ने आगाह किया है कि मास्क निकाल निकाल लें। इससे न सिर्फ टीबी व कोरोना से बचाव होगा, बल्कि धूलकण और पार्टीकुलेट मैटर भी लंग्स तक नहीं पहुंचेंगे, और शरीर को स्वस्थ हवा मिलेगी। बता दें कि थ्री लेयर सर्जिकल मास्क धूलकणों को फिल्टर कर देता है।

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मेरठ की हवा लगातार खराब

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार को गाजियाबाद के लोनी में एक्यूआई 453 तक दर्ज हुआ। चारों स्टेशनों को मिलाकर एक्यूआई 356 पर रही, जो मानक से कई गुना है। मेरठ में पल्लवपुरम में हवा खतरनाक रूप से 399 तक का अंक छू गई। एनसीआर की हवा में पीएम2.5 एवं पीएम10 की मात्रा लगातार ज्यादा है, जिससे लंग्स में जख्म बन सकता है। औद्योगिक क्षेत्रों के आसपास हवा में नाइट्रोजन एवं सल्फर की मात्रा खतरनाक रूप से बढ़ रही है। चिकित्सकों का कहना है कि नाइट्रोजन के कण नाक में नाइट्रिक एसिड व सल्फर कण सल्फ्यूरिक एसिड बनाने लगते हैं, जिससे सांस की नलियां गल सकती हैं। पीएम2.5 लंग्स की झिल्ली को पारकर रक्त में पहुंच रहा है, जिससे लोगों में रक्तचाप, शुगर, हार्ट एवं किडनी की बीमारी तेजी से बढ़ गई।

इनका कहना है

हवा की गुणवत्ता में अचानक कोई सुधार नहीं होने वाला है। बेहतर है कि मास्क पहनें, जिससे टीबी, फ्लू एवं कोरोना जैसी संक्रामक बीमारियों के साथ ही प्रदूषित हवा से भी बचाव मिलेगा। सर्जिकल मास्क फिलहाल प्रभावी एवं सुरक्षित है।

- डा. अमित अग्रवाल, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ

प्रमुख शहरों की वायु गुणवत्ता का हाल

शहर, एक्यूआइ

फरीदाबाद, 406

दिल्ली, 400

नोएडा, 345

गाजियाबाद, 356

मेरठ, 335

गुरुग्राम, 334

बुलंदशहर, 333

ग्रेटर नोएडा, 323

बागपत, 285

स्रोत: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बुलेटिन।


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