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Meerut Air Pollution : हवा में उड़ रहे बारीक कण बेहद खतरनाक, इनसे बचना है जरूरी Meerut News

Meerut Air Pollution प्रदूषण के चलते हालात खतरनाक बने हुए हैं। बाल से 70 गुना बारीक पीएम-1 शरीर में ऑक्सीजन और रक्त के आपस में बदलाव की प्रक्रिया बिगाड़ देता है।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 09:56 AM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2019 11:21 AM (IST)
Meerut Air Pollution  : हवा में उड़ रहे बारीक कण बेहद खतरनाक, इनसे बचना है जरूरी Meerut News
Meerut Air Pollution : हवा में उड़ रहे बारीक कण बेहद खतरनाक, इनसे बचना है जरूरी Meerut News

मेरठ, [संतोष शुक्ल]। Pollution हवा में छाई काली धुंध (स्मॉग) में पीएम 2.5 और पीएम 10 को रोकने के लिए मास्क तो है, लेकिन पीएम-1 से बचाव का कोई रास्ता नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पार्टीकुलेट मैटर के साथ सल्फर ओजोन, कार्बन मोनोआक्साइड और नाइट्रोजन डाई आक्साइड की मात्रा बता रहा है, लेकिन पर्यावरणविदों ने पीएम-1 को ज्यादा जानलेवा बताया है। बाल से 70 गुना बारीक पीएम-1 शरीर में ऑक्सीजन और रक्त के आपस में बदलाव की प्रक्रिया बिगाड़ देता है।

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उच्च ताप में बनता है पीएम-1

शनिवार और रविवार को मेरठ में पीएम-1 की मात्रा 2.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा रही, जो बेहद खतरनाक है। इसे एन-95 मास्क भी नहीं रोक पाता। पीएम-1 एरोडायनमिक आकार का होता है, जो पीएम 2.5 में 70 फीसद तक मौजूद होता है। ये कण एक माइक्रोमीटर से 100 नैनोमीटर तक बारीक हो सकते हैं, जो फेफड़ों की ङिाल्लियों को पार करते हुए रक्त वाहिनियों में घुस जाते हैं। इससे हार्ट की बीमारी का खतरा सर्वाधिक आंका गया है। हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों को मोटा बनाते हैं। ये अंगों में अंदर तक पहुंच जाते हैं। पीएम-1 गर्भवती के भ्रूण तक पहुंच जाता है। इससे प्री-मेच्योर शिशु पैदा होने का खतरा बढ़ने के साथ ही भ्रूण का विकास भी रोक देता है। ये फर्नेस जैसे उच्च ताप वाले उद्योगों से ज्यादा निकलते है।

पीएम-1 के बारे में जानें

हवा में उड़ने वाले अत्यंत सूक्ष्म कण, जिसका व्यास एक माइक्रान से 100 नैनोमीटर के बीच होता है। पीएम-2.5 मनुष्य के बाल से 40, जबकि पीएम-1 70 गुना बारीक होता है। यह वाहनों, कंस्ट्रक्शन कारोबार, सड़क की धूल से बनता है। एक माइक्रान एक मिलीमीटर के 1000वें हिस्से के बराबर होता है।

पीएम 2.5 में 40 फीसद तक मिला हिस्सा

सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फारकॉस्टिंग एंड रिसर्च की रिपोर्ट बताती है कि गर्मियों में दिल्ली में पीएम 2.5 में पीएम-1 की मात्रा 46 फीसद रही। जाड़ों में 47, और मानूसन में पीएम 2.5 की 61 फीसद मात्रा मिली। चीन में पीएम-1 की वजह से अस्पताल मरीजों से भरे मिल चुके हैं। इधर, मेरठ प्रशासन की टीम ने भी माना कि पार्टीकुलेटर मैटर के सबसे सूक्ष्म कण पीएम-1 को रोकने में एन-95 मास्क नाकाम है। हालांकि यह मास्क पीएम 2.5 और पीएम 10 को रोक लेते हैं।

इनका कहना है

ये अल्ट्रा फाइन पार्टिकल है, जो बेहद ताप में यानी नेचुरल गैस फर्नेस से ज्यादा निकलता है। पीएम-2.5 का करीब 40 फीसद पीएम-1 है। ये कण रासायनिक रूप से ज्यादा सक्रिय होते हैं, ज्यादा खतरनाक है। भारत में शोध की जरूरत है।

- पोलाश मुखर्जी, पर्यावरण वैज्ञानिक 


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