मेरठ की आबोहवा में घुला जहरीला प्रदूषण, न संभले तो हालात होंगे गंभीर Meerut News
प्रदूषण को लेकर बेहद सतर्क होने की जरूरत है। मौसमीय स्थितियों बदलाव न आने से मेरठ में 48 घंटों के दौरान हवा की स्थिति बदतर बनी हुई है।
मेरठ, [जागरण स्पेशल]। मौसमीय स्थितियों बदलाव न आने से मेरठ में 48 घंटों के दौरान हवा की स्थिति बदतर बनी हुई है। बुधवार को भी बेहद खराब श्रेणी अर्थात 300 से अधिक पर बना रहा। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो एक समान ही बना हुआ है। मौसम और वायु प्रदूषण लगभग एक दूसरे के पूरक हो रहे हैं। हालांकि कृषि अवशेषों के जलाने की घटनाएं आरंभ होने से इसने आग में घी डालने का काम किया है। लेकिन प्रदूषण के अन्य कारक कमोबेश वहीं हैं जो पहले से ही वातावरण में थे।
एक्यूआइ बेहद खराब स्थिति में
हवा की तीव्रता और आदृता आदि के प्रभाव से वह निचले वातावरण में न टिक कर प्रवाहमान बना हुआ था और उसका असर आम जनजीवन पर नहीं पड़ रहा था। बुधवार को मेरठ में एक्यूआइ 314 रहा। जबकि दिल्ली में भी यह 304 आंका गया। मेरठ में लगातार दूसरा दिन है जब एक्यूआइ बेहद खराब स्थिति में बना हुआ है। वातावरण में व्याप्त प्रदूषण के कण हवा में फंस कर रह गए हैं। मेरठ में मानसून सीजन की वापसी आठ अक्टूबर से हुई है। इसी के बाद से हवा में जहर घुलना आरंभ हो गया है। इसके पहले तक हवा की गुणवत्ता इतनी खराब नहीं थी। गाजियाबाद, नोएडा और पानीपत की स्थिति मेरठ से भी खराब रही। इसके बाद हवा की गति मंद होने से और किसी प्रकार चक्रवातीय सिस्टम विकसित न होने से वातारण में स्थिरता बनी हुई है।
कृषि अवशेषों को जलाना बना कारण
भारतीय कृषि प्रणाली संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा. एन सुभाष ने बताया कि वायु प्रदूषण में 15 से 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कृषि अवशेषों को जलाने से हो रही है। शेष में स्थानीय कारक जैसे फैक्ट्रियों और वाहनों से निकलने वाला धुआं, कंस्ट्रक्शन साइटों से उडऩे वाली धूल, और सबसे प्रमुख जगह जगह जलाया जा रहा कूड़ा जिम्मेदार है। बतातें चलें कि पल्लवपुरम स्थित क्षेत्रीय प्रदूषण विभाग के अधिकारी सिवाय मानीटरिंग के रोकथाम के कुछ उपाय नहीं कर रहे हैं। कृषि विवि स्थित मौसम केंद्र के प्रभारी डा. यूपी शाही ने बताया कि 17 की रात से जम्मू कश्मीर क्षेत्र में कम तीव्रता पश्चिम विक्षोभ सक्रिय हो रहा है। इससे सुबह के समय धुंध और बढऩे के संभावना है।