Move to Jagran APP

निमोनिया गले में फंसा..टीकाकरण का पता नहीं

शिशु मृत्यु की बड़ी वजह है निमोनिया, कई मरीज आइसीयू पहुंचे, सूबे के 12 जिलों में लग रहा टीका, तीन डोज से जिंदगी भर सुरक्षा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 31 Dec 2018 04:20 PM (IST)Updated: Mon, 31 Dec 2018 04:20 PM (IST)
निमोनिया गले में फंसा..टीकाकरण का पता नहीं
निमोनिया गले में फंसा..टीकाकरण का पता नहीं

जासं, मेरठ। जहां 40 फीसद बच्चों के फेफड़े कमजोर पड़ गए हैं। हर चौथा व्यक्ति सांस रोग की चपेट में है। हाई एलर्जिक माहौल से सालभर सर्दी, जुकाम एवं फेफड़ों के संक्रमण के मरीज मिलते हैं। 2017 में जहां स्वाइन फ्लू से सर्वाधिक मौतें हो चुकी हैं। मेरठ में शिशु मृत्यु के लिए डायरिया से बड़ा रिस्क फैक्टर निमोनिया बन रहा है, और यहीं निमोकोकल टीकाकरण की सूची से बाहर है।

loksabha election banner

दो प्रकार की वैक्सीन उपलब्ध

निमोनिया की रोकथाम के लिए दो प्रकार की निमोकोकल वैक्सीन आती है। 13 स्ट्रेन की वैक्सीन बच्चों व बुजुर्गो को लगाई जाती है, जिसकी बाजार में कीमत करीब चार हजार रुपये है। वहीं 23 स्ट्रेन की कीमत 1500 रुपये है। मंहगी होने से 95 फीसद बच्चों को वैक्सीन नहीं लगाई जाती। ठंड में निमोनिया के मरीजों की तादाद बढ़ने से स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। अस्पतालों में कई बच्चे एवं वयस्क मरीज निमोनिया के चलते भर्ती हुए, और वेंटीलेटर पर पहुंच गए। विशेषज्ञों की मानें तो आइसीयू में कई खतरनाक बैक्टीरिया निमोनिया में जानलेवा साबित होते हैं। एंफ्लुएंजा वाले मौसम में फेफड़ों में संक्रमण पहुंचने का रिस्क कई गुना होता है। खासकर, स्वाइन फ्लू के मरीजों की मौत की यह सबसे बड़ी वजह है।

वायरल निमोनिया सबसे घातक

निमोनिया बैक्टीरिया, फंगस और संक्रमण से होता है। हवा में इनकी मौजूदगी होती है। मौसम का मिजाज बदलते ही ये सक्रिय हो जाते हैं। फंगस एवं बैक्टीरिया से होने वाला निमोनिया इलाज के लिए समय देता है, जबकि वायरल निमोनिया जानलेवा होता है। शिशु मृत्यु दर में निमोनिया 25 फीसद मौतों की वजह माना गया है।

12 जिलों में अभियान

निमोकोकल टीकाकरण अभियान अभी केवल प्रदेश के 12 जिलों में चल रहा है। जिसमें लखीमपुर खीरी, सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थ नगर, लखनऊ, हरदोई, बाराबंकी, गोंडा, फैजाबाद, बस्ती शामिल हैं। जबकि शिशु मृत्यु के प्रमुख कारणों में निमोनिया मेरठ में भी एक नंबर पर है।

तीन डोज और निमोनिया से राहत

निमोकोकल वैक्सीन की तीन डोज के बाद बच्चों को निमोनिया से राहत मिल जाती है। जन्म के छह हफ्ते पर पहला टीका, 14 हफ्ते पर दूसरा और 9 महीने में अंतिम टीका लगाया जाता है।

मेरठ में फिलहाल ये टीके

स्वास्थ्य महकमा नौ प्रकार की बीमारियों टिटनेस, टीबी, पोलियो, डिप्थीरिया, काली खांसी, गला घोंटू, हिमोफिल्स एंफ्लुएंजा बी, कोल्ड डायरिया, खसरा और रूबेला आदि के लिए टीकाकरण कर रहा है।

सीएमओ राजकुमार का कहना है कि मेरठ में प्रतिवर्ष जन्म लेने वाले एक लाख बच्चों को यह टीके लगने लगे तो निमोनिया के साथ-साथ शिशु मृत्यु दर के ग्राफ में भी काफी सुधार हो सकता है। 2019 में मेरठ में निमोकोकल टीके की सौगात मिल सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.