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Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष में यह काम करने से प्रसन्न होगी माता लक्ष्मी, मेरठ की महामंडलेश्वर बता रहीं उपाय

Pitru Paksha 2021 हमें पितरों का श्राद्ध हमेशा उस तिथि को करना चाहिए जिस तिथि में वह परलोक चले गए थे। इसलिए उसी दिन दान दक्षिणा और ब्राहमणों को भोजन करवाना चाहिए। श्राद्ध और तर्पण विधि विधान से किया जाना बेहद ही आवश्‍यक है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 01:00 PM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 11:54 PM (IST)
Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष में यह काम करने से प्रसन्न होगी माता लक्ष्मी, मेरठ की महामंडलेश्वर बता रहीं उपाय
किसी भी नई वस्तुओं की खरीदारी पितृपक्ष में अशुभ नहीं मानी जाती है।

मेरठ, जागरण संवाददाता। Pitru Paksha 2021 पितृपक्ष में पितर अपने परिजनों के यहां निवास करते हैं, उनको प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध और तर्पण विधि विधान से किया जाना जरूरी है। जिससे उनकी आत्मा को शांति मिल सकें और वह प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का आशीर्वाद दे सकें। पितृपक्ष को शुभ समय माना गया है, क्योंकि इस समय देवता तुल्य पितृ परिजनों के यहां आते हैं और खुश होकर आशीर्वाद देते हैं। यहीं वह समय हैं जब कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

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ऐसे खत्‍म होता है पितृदोष

सूरजकुंड स्थित बाबा मनोहरनाथ मंदिर की महामंडलेश्वर नीलिमानंद महाराज का कहना हैं कि पितरों का श्राद्ध हमेशा उस तिथि को करना चाहिए, जिस तिथि में वह परलोक चले गए थे। इसलिए उसी दिन दान दक्षिणा और ब्राहमणों को भोजन करवाना चाहिए। ऐसा करने से पितृदोष भी खत्म होता है और बिगड़े हुए काम भी बनने लगते हैं। पितृपक्ष में हर रोज पितरों के नाम का जल तर्पण करना चाहिए।

जरूरतमंदों की मदद

साथ ही कुछ दान भी करना चाहिए। अगर दान करना संभव न हो तो कबूतर और कौओं के लिए एक हिस्सा भोजन का निकालकर छत पर रख देना चाहिए। पितृपक्ष में गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति को कभी भी द्वार से खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए। माना जाता है कि पितर किसी भी रूप में आ सकते हैं। इसलिए हमेशा उनके आदर सत्कार के लिए तत्पर रहना चाहिए। जिससे किसी भी प्रकार उनका अनादर न हो। ऐसा करने से पितर और माता लक्ष्मी दोनों ही प्रसन्न होती है, और धन वैभव और खुशहाली का आशीर्वाद देते है।

नई वस्तुओं की खरीदारी पितृपक्ष में अशुभ नहीं होती

श्राद्ध का संबंध श्रद्धा से है। पितृ पक्ष के 16 दिन हमें नित्य पूर्वजों का स्मरण करते हुए व्यतीत करना चाहिए। ज्योतिषविद् डा. एसके शर्मा ने बताया कि पितृ देव तुल्य होते हैं। हमारी तरक्की से वह प्रसन्न होते हैं। वास्तु के अनुसार पूर्वजों का चित्र घर के नैतृत्य कोण में लगाना चाहिए। ज्योतिष ग्रंथ मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार श्राद्ध पक्ष में नया वाहन, भवन, भूमि और वस्त्र और आभूषण आदि खरीद सकते हैं। अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुए हम कोई कार्य करते हैं तो वह शुभ ही होगा। आचार्य मनीष स्वामी ने कहा कि 26 सितंबर को रविपुष्य योग है और 27 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि और रवि पुष्य योग है।

मातृ नवमी का श्राद्ध 30 को

बिल्वेश्वर संस्कृत महाविद्यालय के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष डा. भारत भूषण चौबे ने बताया कि मातृ नवमी का श्राद्ध 30 को होगा। इस दिन सौभाग्य वती महिलाओं का श्राद्ध इस दिन करना चाहिए। साधु महात्माओं का श्राद्ध तीन अक्टूबी को द्वादशी के दिन होगा।


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