Move to Jagran APP

PFI ने हिंसा से ठीक पहले चार खातों में भेजी थी तीन करोड़ की रकम Meerut News

मेरठ में भी 12 खातों में रिहैबिलिटेशन इंडिया एनजीओ के माध्यम से फंडिंग की गई। पुलिस ने जेल भेजे गए पीएफआइ और एसडीपीआइ के आठ सदस्यों के खातों की पड़ताल शुरू कर दी है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 01:54 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 01:54 PM (IST)
PFI ने हिंसा से ठीक पहले चार खातों में भेजी थी तीन करोड़ की रकम Meerut News
PFI ने हिंसा से ठीक पहले चार खातों में भेजी थी तीन करोड़ की रकम Meerut News

मेरठ, जेएनएन। सीएए के विरोध में हिंसा कराने वाले केरल के चरमपंथी इस्लामी संगठन पीएफआइ (पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) ने चार खातों में तीन करोड़ की रकम भेजी है। मेरठ में भी 12 खातों में रिहैबिलिटेशन इंडिया एनजीओ के माध्यम से फंडिंग की गई। पुलिस ने जेल भेजे गए पीएफआइ और एसडीपीआइ के आठ सदस्यों के खातों की पड़ताल शुरू कर दी है। उक्त सदस्यों के खाते आइसीआइसीआइ और एचडीएफसी बैंक में है। दोनों बैंकों से जेल गए सदस्यों का रिकॉर्ड मांगा गया है।

loksabha election banner

छह लोगों की हुई थी मौत 

20 दिसंबर को सीएए के विरोध में हुई हिंसा के दौरान मेरठ में छह लोगों की मौत हो गई थी। तीन पुलिसकर्मी भी उपद्रवियों की गोली लगने से घायल हो गए। 40 रिक्रूट और पुलिसकर्मियों को भी बंधक बनाकर फूंकने की कोशिश की गई थी। पुलिस ने 24 मुकदमे दर्ज कर 180 नामजद और पांच हजार अज्ञात को आरोपित बनाया है, इसमें से पुलिस 50 से ज्यादा उपद्रवियों को जेल भेज चुकी है। साथ ही हिंसा को लेकर हाईकोर्ट में 18 याचिकाएं डाली गई है, जिनका जवाब पुलिस तैयार कर रही है।

एसडीपीआइ और पीएफआइ की अहम भूमिका 

एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि मेरठ की हिंसा में एसडीपीआइ और पीएफआइ ने भी अहम भूमिका निभाई है। पुलिस ने दोनों संगठनों के आठ लोगों को जेल भेज दिया है। उनके पास से आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद की गई। प्रदेश में उक्त संगठनों के 19 लोग जेल गए है। पुलिस ने मेरठ की हिंसा में अहम भूमिका निभाने वाले परवेज आलम, अमजद और जावेद, अनीस खलीफा और अनस तथा एसडीपीआइ के सदस्यों के खातों की डिटेल मांगी है, ज्यादातर उक्त लोगों के खाते आइसीआइसीआइ और एचडीएफसी बैंक में मिले है। उनके खातों की डिटेल मांगी जा रही है। एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि अभी तक जानकारी में आया है कि पीएफआइ ने चार खातों में तीन करोड़ की रकम भेजी है। देश के विभिन्न शहरों में भी पीएफआइ के सदस्यों के खातों की पड़ताल की जा रही है। बता दें कि मेरठ में भी पीएफआइ ने 12 खातों में रकम भेजी है। यह रकम रिहैबिलिटेशन इंडिया एनजीओ के माध्यम से फंडिंग की गई है। पुलिस इस एनजीओ की पड़ताल भी कर रही है।

हिंसा करने के पीछे गहरी साजिश

आइजी प्रवीण कुमार मान रहे है कि देश में हिंसा कराने के पीछे गहरी साजिश है। पीएफआइ और एसडीपीआइ दोनों ही संगठन मेरठ समेत प्रदेश के कई बड़े जनपदों में साइलेंट तरीके से काम कर रहे थे। युवाओं के अंदर आक्रोश पैदा कर भड़काने की कोशिश की गई थी। हथियार खरीदारी के लिए फंडिंग की गई। यही कारण है कि चेहरा छिपाकर युवा पुलिस पर फायरिंग कर रहे थे। अनीस खलीफा और अनस ने पुलिस को अहम जानकारी दी है। उनकी वीडियो बनाकर प्रदेश शासन को भी अवगत करा दिया है।

सीएए के विरोध में जुलूस निकालने के आरोपित शांतिभंग में जेल भेजे

गांव अगवानपुर में नागरिकता संशोधन के विरोध में निकाले गए जुलूस के आरोपित पांचों लोगों का गुरुवार को पुलिस ने शांतिभंग में चालान कर दिया। इस जुलूस में पाकिस्तान के समर्थन में नारे भी लगाए गए थे। बहुजन क्रांति मोर्चा के आह्वान पर बुधवार को थाना क्षेत्र के गांव अगवानपुर में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए के विरोध में जुलूस निकाला था जिसमें पाक समर्थित नारे भी लगे थे। पुलिस ने पूर्व प्रधानाचार्य दौलतराम समेत आकिब, शाकिब, इरशाद व अब्दुल मुनाफ को गिरफ्तार किया था। गुरुवार को पांचों का शांतिभंग में चालान कर दिया। इसके साथ ही अन्य की गिरफ्तारी भी धूमिल हो गई। वहीं, दूसरी ओर एसओ कैलाशचंद ने बताया कि पांचों आरोपितों को एसडीएम मवाना ऋषिराज की कोर्ट में पेश किया जहां से छह दिनों के लिए जेल भेज दिया।

इन्‍होंने बताया

हिंसा के लिए पीएफआइ और एसडीपीआइ ने फंडिंग की है। पुलिस ने उक्त संगठनों के सभी सदस्यों के खातों की डिटेल मांगी है। जेल गए दोनों संगठनों के सदस्यों के बारे में भी पुलिस की टीमें पड़ताल कर रही है। बाकी आरोपितों की धरपकड़ को टीमें लगी हुई है। सभी को निर्देश दिए गए कि निदरेष को पुलिस परेशान नहीं करेगी।

- प्रवीण कुमार, आइजी रेंज 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.