शिवरात्रि पर आस्था के बादल से झमाझम बरसा पुण्य, नगर मानो बना काशी Meerut News
सावन की शिव रात्रि परम पुण्यदायी मानी गई है। हरिद्वार से गंगाजल लेकर सैकड़ों किमी पैदल यात्रा की कठिन साधना पर निकले शिवभक्तों की मनोकामना पूरी हुई।
By Ashu SinghEdited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 10:28 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 10:28 AM (IST)
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। कण-कण में शिव का नाद। प्रकृति के पोर-पोर में शिव का संगीत। महाऋतु सावन की बढ़ती लय। आस्था के समंदर में लहराती धर्मध्वजाएं। बोल बम की अपार ऊर्जा से गंगाधर की ओर बढ़ते कदम। हर-हर महादेव के घोष से नगर मानो काशी बन गया। आस्था के बादल से पुण्य की झमाझम बारिश हुई। भगवान नीलकंठ गंगाजल की अपार जलराशि से तर होकर प्रसन्न हुए। प्रकृति सत्य, शिव और सुंदर की त्रिवेणी में नहाने लगी। भक्तों का ताप, संताप, दुख, दर्द सब दूर..हुआ।
धर्म के पनघट पर साधना का मंडल
सावन की महाशिव रात्रि परम पुण्यदायी मानी गई है। हरिद्वार से गंगाजल लेकर सैकड़ों किमी पैदल यात्रा की कठिन साधना पर निकले शिवभक्तों की मनोकामना पूरी हुई। मेरठ के शिवालयों में बोल बम, हर-हर महादेव, ऊं नम: शिवाय का उच्चारण प्रकृति से संवाद करने लगा। सदर स्थित औघड़नाथ मंदिर पर सोमवार रात में भक्तों की कतार लग गई थी। रात्रि भर जलाभिषेक चलने के साथ ही मुहूर्त भी बदलता रहा। भोर में शिवभक्तों का नया जत्था दौड़ते हुए शिवालय पर पहुंचता है।
हर-हर महादेव की महागूंज
हर-हर महादेव की महागूंज से वातावरण मंगलमय हो गया। गंगाजल में चंदन और बेल पत्र मिलाकर भक्तों ने जटाशंकर का जलाभिषेक किया। पर्वतों के स्वामी गिरीश प्रसन्न हुए। मंगलवार दिनभर भक्तों की साधना के नए-नए दीप जलते रहे। सात स्वरों में निवास करने वाले स्वरमयी शांत मुद्रा में प्रकृति की रागमाला बनाने लगे। आखिर पंचभूतों के स्वामी भूतपति जगत के पालक हैं।
शिवलीन प्रकृति..सेवा बना धर्म
मंगलवार सुबह मेरठ के शिवालयों में जलाभिषेक की धारा शाम तक नहीं टूटी। औषड़नाथ मंदिर में जलाभिषेक करने आए जागृति विहार निवासी 19 वर्षीय आकाश के दोनों पैरों में पट्टी लगी थी। गहरे जख्म भी इस युवा के लिए व्यवधान नहीं बन सके। शिवशंकर के माथे पर जल चढ़ाकर युवक शांतिभाव से घर निकला। प्रशासनिक टीम भी शिवलीन नजर आई। औषड़नाथ मंदिर से सदर स्थित हनुमान मंदिर के बीच भक्ति और साधना के कई रंग नजर आए।
दिखे आस्था के कई रूप
कोई शिवभक्त अपने माता-पिता के लिए श्रवण कुमार बनकर महापुण्य का भागीदार बना तो कई पीठ के बल सड़क पर लेटकर चलते हुए अपनी आस्था और धैर्य की परीक्षा दे रहे थे। उधर, भक्तों के भोजन का प्रबंध कर पुण्य की नई धारा बहती नजर आई। दर्जनों कैंपों में शिवमहिमा, गीत-संगीत, भजन-कीर्तन, धर्म-उपदेश और व्यवस्था का उद्घोष होता रहा। भक्तों की सेहत में चिकित्सकों की टीम पूरे मनोयोग से जुटी नजर आई।
आस्था की महाबेला
फुटबाल चौराहा के शिवमंदिर में भी कांवड़ियों की कतार रात तक बनी रही। शिवशंकर से महामिलन की महाबेला में वातावरण मनोहारी हो गया। भक्ति, कर्मकांड और संस्कारों की सभी धाराएं शिवमय हो गईं। यहां कोई जाति-वर्ग-धर्म या संस्था का व्यक्ति नहीं है। सभी सीमाएं शिव में विलीन हो गईं। लखनऊ विवि के ज्योर्तिविद डा. बिपिन पांडे कहते हैं कि सावन मास में भगवान शिव, मां पार्वती और लंबोदर पृथ्वी पर निकास करते हैं। सिर्फ एक लोटा जल और बेलपत्र से प्रसन्न होने वाले महादेव को प्रसन्न करने की कड़ी साधना निश्चित रूप से महा फलदायी होगी।
मुझे दरश दिखाओ शिवशंभू
बुढ़ाना गेट स्थित सनातन धर्म धर्मेश्वर महामंदिर में सुबह पांच बजे से बोल बम का घोष सुनाई पड़ने लगा। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी भोलेभक्तों की सेवा करते मिले। उन्होंने भक्तों को जहां गंगाजल व बेलपत्र उपलब्ध कराया, वहीं जेल में जलाभिषेक के लिए व्यग्र कैदियों को भी गंगाजल भिजवाया। इस मंदिर में शाम साढ़े सात बजे भगवान शिव की झांकी सजाई गई। अत्यंत मनोरम शिव के दर्शन के लिए दिनभर भक्तों का पहुंचना बना रहा। दिल्ली रोड पर मंडी के पास स्थिति शिवालय को एक दिन पहले सजा लिया गया था। मंगलवार को शिवभक्तों का दल मंदिर परिसर में भगवान सदाशिव की आराधना करता मिला।
धर्म के पनघट पर साधना का मंडल
सावन की महाशिव रात्रि परम पुण्यदायी मानी गई है। हरिद्वार से गंगाजल लेकर सैकड़ों किमी पैदल यात्रा की कठिन साधना पर निकले शिवभक्तों की मनोकामना पूरी हुई। मेरठ के शिवालयों में बोल बम, हर-हर महादेव, ऊं नम: शिवाय का उच्चारण प्रकृति से संवाद करने लगा। सदर स्थित औघड़नाथ मंदिर पर सोमवार रात में भक्तों की कतार लग गई थी। रात्रि भर जलाभिषेक चलने के साथ ही मुहूर्त भी बदलता रहा। भोर में शिवभक्तों का नया जत्था दौड़ते हुए शिवालय पर पहुंचता है।
हर-हर महादेव की महागूंज
हर-हर महादेव की महागूंज से वातावरण मंगलमय हो गया। गंगाजल में चंदन और बेल पत्र मिलाकर भक्तों ने जटाशंकर का जलाभिषेक किया। पर्वतों के स्वामी गिरीश प्रसन्न हुए। मंगलवार दिनभर भक्तों की साधना के नए-नए दीप जलते रहे। सात स्वरों में निवास करने वाले स्वरमयी शांत मुद्रा में प्रकृति की रागमाला बनाने लगे। आखिर पंचभूतों के स्वामी भूतपति जगत के पालक हैं।
शिवलीन प्रकृति..सेवा बना धर्म
मंगलवार सुबह मेरठ के शिवालयों में जलाभिषेक की धारा शाम तक नहीं टूटी। औषड़नाथ मंदिर में जलाभिषेक करने आए जागृति विहार निवासी 19 वर्षीय आकाश के दोनों पैरों में पट्टी लगी थी। गहरे जख्म भी इस युवा के लिए व्यवधान नहीं बन सके। शिवशंकर के माथे पर जल चढ़ाकर युवक शांतिभाव से घर निकला। प्रशासनिक टीम भी शिवलीन नजर आई। औषड़नाथ मंदिर से सदर स्थित हनुमान मंदिर के बीच भक्ति और साधना के कई रंग नजर आए।
दिखे आस्था के कई रूप
कोई शिवभक्त अपने माता-पिता के लिए श्रवण कुमार बनकर महापुण्य का भागीदार बना तो कई पीठ के बल सड़क पर लेटकर चलते हुए अपनी आस्था और धैर्य की परीक्षा दे रहे थे। उधर, भक्तों के भोजन का प्रबंध कर पुण्य की नई धारा बहती नजर आई। दर्जनों कैंपों में शिवमहिमा, गीत-संगीत, भजन-कीर्तन, धर्म-उपदेश और व्यवस्था का उद्घोष होता रहा। भक्तों की सेहत में चिकित्सकों की टीम पूरे मनोयोग से जुटी नजर आई।
आस्था की महाबेला
फुटबाल चौराहा के शिवमंदिर में भी कांवड़ियों की कतार रात तक बनी रही। शिवशंकर से महामिलन की महाबेला में वातावरण मनोहारी हो गया। भक्ति, कर्मकांड और संस्कारों की सभी धाराएं शिवमय हो गईं। यहां कोई जाति-वर्ग-धर्म या संस्था का व्यक्ति नहीं है। सभी सीमाएं शिव में विलीन हो गईं। लखनऊ विवि के ज्योर्तिविद डा. बिपिन पांडे कहते हैं कि सावन मास में भगवान शिव, मां पार्वती और लंबोदर पृथ्वी पर निकास करते हैं। सिर्फ एक लोटा जल और बेलपत्र से प्रसन्न होने वाले महादेव को प्रसन्न करने की कड़ी साधना निश्चित रूप से महा फलदायी होगी।
मुझे दरश दिखाओ शिवशंभू
बुढ़ाना गेट स्थित सनातन धर्म धर्मेश्वर महामंदिर में सुबह पांच बजे से बोल बम का घोष सुनाई पड़ने लगा। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी भोलेभक्तों की सेवा करते मिले। उन्होंने भक्तों को जहां गंगाजल व बेलपत्र उपलब्ध कराया, वहीं जेल में जलाभिषेक के लिए व्यग्र कैदियों को भी गंगाजल भिजवाया। इस मंदिर में शाम साढ़े सात बजे भगवान शिव की झांकी सजाई गई। अत्यंत मनोरम शिव के दर्शन के लिए दिनभर भक्तों का पहुंचना बना रहा। दिल्ली रोड पर मंडी के पास स्थिति शिवालय को एक दिन पहले सजा लिया गया था। मंगलवार को शिवभक्तों का दल मंदिर परिसर में भगवान सदाशिव की आराधना करता मिला।
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