Rajnath Singh Rally in Meerut : रक्षा मंत्री ने कहा, एनआरसी आ भी जाए तो आपत्ति क्या है
Rajnath Singh Rally in Meerut रक्षामंत्री बोले जो गांधीजी ने बंटवारे के वक्त कहा था हमने उसे आज कर दिखाया है। धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं होना चाहिए।
मेरठ, [रवि प्रकाश तिवारी]। नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष में रैली करने मेरठ पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) की चर्चा छेड़ गए। जनता की ओर सवाल उछालते हुए पूछा, एनआरसी अगर आ भी जाए तो इसमें आपत्ति क्या है? जनता ने भी उसी गर्मजोशी से उनका समर्थन किया। इसके बाद उन्होंने अपने इस वक्तव्य के समर्थन में तर्क भी दिए। बुधवार को कोहरे की वजह से पौने दो घंटे देर से पहुंचे राजनाथ सिंह ने कहा कि हालांकि अभी एनआरसी की कहीं कोई चर्चा नहीं है, फिर भी विपक्ष बेवजह यह कहकर माहौल खराब कर रहा है कि एनआरसी लाकर मुसलमानों को देश से निकाला जाएगा। ऐसे लोगों को सरकार का संदेश है कि जो भी मुसलमान देश का नागरिक है, उसे कोई चिमटे से भी छू नहीं सकता। कोई आंख उठाकर उनकी ओर देख नहीं सकता।
कांग्रेस ही लाई थी एनपीआर
उन्होंने नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के बारे में कहा कि 2010 में कांग्रेस ही इसे लेकर आई, अब हम इस पर काम कर रहे हैं तो वे विरोध कर रहे हैं। लेकिन ऐसा रजिस्टर देश में होना चाहिए कि नहीं..? जनता के अपार समर्थन से आह्लादित राजनाथ एक कदम और आगे निकले और बोले, मान लीजिए, एनआरसी आ जाए तो हर्ज ही क्या है? सामाजिक कल्याण की योजनाओं का सीधा लाभ जनता तक पहुंचाने के लिए क्या कोई डॉक्यूमेंट नहीं होना चाहिए.. रजिस्टर नहीं बनना चाहिए, जिससे कि डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर स्कीम के तहत पैसा सीधे खाते में डाला जाए। मसलन खाद की सब्सिडी। राजनाथ सिंह यह भी बताना नहीं भूले कि एनआरसी भाजपा लेकर नहीं आयी है। आजादी के बाद ही इसकी कल्पना की गई थी। पूर्व पीएम राजीव गांधी और असम के पूर्व सीएम प्रफुल्ल कुमार महंत के साथ समझौता भी हुआ था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असम में एनआरसी लागू हुआ।
देश ने अपना धर्म निभाया
उन्होंने यह भी पूछा कि भारत के टुकड़े-टुकड़े होंगे का नारा लगाने वालों को यह अधिकार किसने दिया? वे बोले, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में वहां के अल्पसंख्यकों ने जलालत की जिंदगी जी है। शरणार्थी भागकर जो भारत आए हैं उनमें अधिकांश दलित, कमजोर वर्ग के, गरीब लोग हैं। ऐसे लोगों को नागरिकता देना भारत का धर्म है। भारत ने राष्ट्र धर्म का पालन किया है। इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
जो गांधीजी ने कहा था, हमने उसे कर दिखाया
सीएए पर राजनाथ बोले, महात्मा गांधी ने भी कहा था कि धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं होना चाहिए। साथ ही उन्होंने किसी भी सूरत में जाति, पंथ और मजहब के नाम पर तनाव न पैदा होने देने की अपील की।