रोजा का पहला दिन गुजरा, सेहरी में नहीं बजा ढोल, बाजार भी नहीं हुए गुलजार Saharanpur News
पहला रोजा गुजरा गया है। लोगों ने लॉकडाउन का पालन करते हुए घरों में ही तरावीह और नमाज पढ़ी। साथ ही सामान खरीदने को लोग भी बजारों में नहीं गए। चारों ओर सन्नाटा पसरा रहा।
मेरठ, [मोईन सिद्दीकी]। मोमिनों उठ जाओ सेहरी का वक्त हो गया है। मुकद्दस महीने रमजान की रातों में गहरी नींद सोने वाले इंसान की आंख अचानक ढोल की थाप पर इस आवाज के साथ खुल जाती थी। इफ्तार का सामान खरीदने को बाजार में भीड़ जुटती थी। नमाज और तरावीह को मस्जिदों में अकीदतमंदों का जमावड़ा रहता था। लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते यह नजारा नदारद है। कोरोना ने मानों इंसान से उसकी जिंदगी का तौर तरीका छीन लिया है।
रमजान का पहला रोजा भी कुछ ऐसा ही गुजरा, हालांकि रोजेदारों की अकीदत नहीं डिगी और उन्होंने घरों पर रहकर ही खूब इबादत करते हुए इस भयानक बीमारी के खात्मे को दुआएं की। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते घोषित हुए लॉकडाउन को एक माह गुजर गया है। इस बीच लोगों के रहन-सहन का ढंग और सलीका ही बदल गया है। लोग अपने घरों में कैद है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे बंद हैं और लोग पूजा, प्रार्थना, अरदास और इबादत भी घरों पर ही हो रही है। शनिवार से मुस्लिम समुदाय का मुकद्दस महीना रमजान शुरू हुआ। लेकिन इस बार सबकुछ बदला बदला दिखा।
देवबंद की बात करें तो रमजान के चांद का दीदार होते ही बाजारों में भीड़ लग जाया करती थी। देर रात तक सेहरी का सामान खरीदने के लिए लोगों का बाजारों में जमावड़ा रहता था। मस्जिदें गुलजार रहती थी और नमाज व तरावीह पढऩे को मस्जिदों में अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ती थी। पूरा दिन रोजे में भूखा प्यासा रहने के बाद शाम में चौक चौराहों पर लगी फल व इफ्तार की दुकानों पर फिर से भीड़ जमा हा जाती थी।
इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। एक तो लॉकडाउन ऊपर से कोरोना मरीजों की यहां लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए पूरा देवबंद सील है। इस बार यहां सेहरी और इफ्तार की दुकानें नहीं सजी है और बाजारों में सन्नाटे का राज है। नमाज और तरावीह भी लोगों ने अपने घरों में ही अदा की। इस बार रात में सेहरी को उठाने के लिए आने वाले ढोल व लाउडस्पीकर वालों की आवाज के बजाय पुलिस की गाड़ी के सायरन की आवाज गूंजती रही।
रमजान में गरीबों की मदद करने में जुटे संगठन
रमजान का महीना मुकद्दस है और रोजा इंसानियत, हमदर्दी और गरीब व जरूरतमंद लोगों के काम आने का पाठ पढ़ाता है। कोई भी गरीब भूखा न सोए और बिना सेहरी रोजा न रखें, इस फलसफे पर चलते हुए कई संगठन रमजान में गरीबों की मदद को आगे आए है। शनिवार को पहले दिन जमीयत उलमा-ए-हिंद, दारुल उलूम फारूकिया बैतुल माल, इदारा खिदमत ए खल्क समेत कई संगठन गरीबों को खाद्य सामग्री बांटने में लगे रहे।