Move to Jagran APP

बढ़े मरीजों से हांफने लगा मेडिकल कालेज

मेरठ। सेहत को लेकर सरकार भले ही तमाम दावे करे, लेकिन मरीजों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। मेडिकल

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jun 2018 01:00 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jun 2018 01:00 PM (IST)
बढ़े मरीजों से हांफने लगा मेडिकल कालेज

मेरठ। सेहत को लेकर सरकार भले ही तमाम दावे करे, लेकिन मरीजों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। मेडिकल कालेज में हर साल 30 फीसद ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं। मेडिसिन, आर्थोपेडिक्स, स्किन एवं बाल रोग विभाग में सर्वाधिक भीड़ है। जानकारों की मानें तो यह जागरूकता नहीं, बल्कि बढ़ते संक्रमण से मरीज बढ़े हैं।

loksabha election banner

मरीज ही मरीज

मेडिकल कालेज में हर साल करीब साढ़े पांच लाख मरीज पहुंचते हैं। पिछले वर्ष यह संख्या छह लाख पार कर चुकी है। मेडिसिन विभाग में गर्मियों में मरीजों की संख्या 12 हजार से ज्यादा देखी गई। इसकी वजह दूषित खानपान, संक्रमण, घनी आबादी, वायु एवं जल प्रदूषण की वजह से नए रोगी मिल रहे हैं। पेट के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। पानी एवं भोजन की गंदगी से जहां हेपेटाइटिस ए हो रहा है, वहीं टायफायड के भी मरीज मिलने लगे हैं। महिलाओं व बच्चों पर ज्यादा रिस्क

जानी, खरखौदा, मवाना समेत कई ब्लाकों में हेपेटाइटिस सी से कई मरीजों को लीवर सिरोसिस की बीमारी हो गई है। मौसम में सूर्य की तपिश स्किन पर खतरनाक प्रभाव छोड़ रही है। धूल, पीएम-2.5 एवं पीएम-10 का ज्यादा घनत्व, पानी में हार्डनेस, खानपान में एलर्जिक तत्वों की बाढ़ से त्वचा बेनूर हो रही है। आंख, नाक, कान एवं गले के भी मरीज मिल रहे हैं। बच्चों में डायरिया के मरीज बढ़ने लगे हैं, जिसकी बड़ी वजह रोटा वायरस है। उधर, ग्रामीण क्षेत्रों की 80 फीसद महिलाओं में खून की कमी से उन्हें तमाम संक्रमण जल्द पकड़ रहे हैं। प्रतिरोधक क्षमता कम होने से बच्चे भी तमाम बीमारियों से जूझ रहे हैं। मई तक मरीजों की स्थिति

वर्ष कुल मरीज भर्ती मरीज आपरेशन एक्स-रे

2017 3,29,783 12,858 3,661 7,931

2018 3,49,454 13,588 3,687 15,042 बाक्स

मई 2015 मरीज-65,024

मई 2016 मरीज-64,655

मई 2018 मरीज-80,276 दवा तो फिर भी नहीं मिलती

मेडिकल कालेज में 80 फीसद मरीजों को पूरी दवाएं नहीं मिलती हैं। गत दिनों गायनी वार्ड में पड़ताल में पता चला कि यहां पर मरीजों का खर्चा नर्सिग होम के बराबर हो जाता है। प्राचार्य डा. एसके गर्ग दावा करते हैं कि ड्रग स्टोर में 265 प्रकार की दवाएं हैं। मेडिसिन विभाग प्रोफेसर डा. आभा गुप्ता का कहना है कि गर्मी, उमस के साथ मौसम में बदलाव से भी मरीज बढ़े हैं। उल्टी, दस्त, पीलिया, टायफायड, वायरल व सांस के मरीज ज्यादा हैं। मेडिकल वार्ड में कई बार मरीजों की संख्या 13 हजार भी पार कर चुकी है। मेडिकल विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. श्याम मोहन का कहना है कि आर्थो विभाग में हर माह औसतन सात हजार मरीज पहुंचते हैं, जो काफी ज्यादा हैं। इस बेल्ट में हड्डियों की बीमारी बढ़ी है। खानपान में पोषण की कमी है। पानी में फ्लोरायड व पेस्टीसाइड से घुटनों को बड़ा नुकसान पहुंचता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.