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Young Achievers: मेरठ से लेकर दुनिया भर में शांति संदेश पहुंचा रहे स्टूडोमेट्रिक्स के पार्थ, 400 से अधिक कर चुके हैं कोर्स

Young Achievers मेरठ के पार्थ स्‍कूली छात्रों के संगठन स्टूडोमेट्रिक्स के साथ युवा प्रतिभाओं को कर रहे प्रेरित। नौंवीं कक्षा से ही तमाम स्वयं सेवी संस्थाओं और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों से जुड़े। देशभर के 15 शहरों में रहते हुए 10 स्कूलों से पूरी की स्कूली शिक्षा।

By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 10:10 AM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 10:10 AM (IST)
Young Achievers: मेरठ से लेकर दुनिया भर में शांति संदेश पहुंचा रहे स्टूडोमेट्रिक्स के पार्थ, 400 से अधिक कर चुके हैं कोर्स
मेरठ के पार्थ भट्ट दे रहे शांति संदेश।

मेरठ, [अमित तिवारी]। कहते हैं पूत के लक्षण पालने में ही नजर आ जाते हैं। पार्थ भट्ट ऐसी ही शख्सियत बनकर उभर रहे हैं जिसकी झलक उनके माता-पिता ने बहुत छोटी उम्र में ही देख लिया था। मेरठ के फलित अजारिया द्वारा गठित स्कूली छात्रों के संगठन स्टूडोमेट्रिक्स के साथ जुड़े पार्थ भट्ट दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का छाप छोड़ चुके हैं। उनकी प्रतिभा का लोहा दुनिया के तमाम राजदूत, राष्ट्र अध्यक्ष के साथ ही देश के मंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक भी मानते हैं। बेहद कम उम्र में ही दुनिया भर के संस्थाओं द्वारा शांति, स्वास्थ्य, महिला अधिकार, मानवाधिकार आदि विषयों पर संचालित 400 कोर्स कर चुके पार्थ दुनिया को शांति का संदेश देते हुए बेहतर बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। पार्थ का कहना है कि वह जीवन में पहले से बने रास्तों का अनुसरण करने की बजाय नए रास्ते की नीव रखना ज्यादा पसंद करते हैं। उनका मानना है कि एक व्यक्ति को हमेशा रिस्क लेना चाहिए। सुरक्षा एक एहसास मात्र है, जबकि जीवन या तो साहसिक है या फिर कुछ नहीं है।

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देश देखा फिर दुनिया देखने निकले

सैन्य परिवार में जन्मे पार्थ की स्कूली शिक्षा आर्मी पब्लिक स्कूल नोएडा, जोधपुर, लेह, रांची सहित 10 स्कूलों में हुई है। वह देश के 15 शहरों में रह चुके हैं और देश के बारे में सीख व जान चुके हैं। उत्तर में श्रीनगर और लेह, दक्षिण में वेलिंगटन, पूर्व में रांची, पश्चिम में जोधपुर और मध्य भारत में मऊ में उन्होंने जीवन का कुछ हिस्सा गुजारा है। छोटी उम्र से ही तमाम गतिविधियों में हिस्सा लेते हुए दुनिया को जीने योग्य बेहतर स्थान बनाने की ख्वाहिश रखते हुए आगे बढ़े हैं। उन्होंने कभी पढ़ाई लिखाई में किताबों से ही जुड़े रहने की बजाए देश दुनिया को जानने के लिए पढ़ाई की। जाना सीखा और इसी से और अधिक जानने की इच्छा प्रबल होती गई। सामाजिक सरोकारों से जुड़ने का जज्बा छोटी उम्र से ही था। इसीलिए पार्थ ने कक्षा 9वी में ही स्वयंसेवी संस्थाओं से जोड़ना शुरु कर दिया था। सबसे पहले वह स्माइल फाउंडेशन, चाइल्ड राइट्स एंड यू यानी क्राई से जुड़े। वर्तमान में पार्थ क्राई और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की ओर से संचालित प्रोजेक्ट 'इफेक्ट ऑफ कोरोनावायरस पेंडेमिक ऑन चिल्ड्रन' पर काम कर रहे हैं। इसके साथ ही वह यूनाइटेड नेशंस फाउंडेशन के गर्लअप अभियान का भी हिस्सा है। पार्थ की पसंद फोटोग्राफी, एवियशन एंड फ्लाइंग ऑन सिमुलेटर, ट्रैवलिंग एंड एक्सप्लोरिंग न्यू एरियाज, खूब सारी किताबें पढ़कर जानकारी बढ़ाना, घुड़सवारी, एस्ट्रोनॉमी आदि है। इन्हीं रुचि के साथ ही वह इंटरनेशनल रिलेशंस एंड डिप्लोमेसी, मिलिट्री स्टडीज, वेपंस, टेक्नोलॉजी, रोबोटिक्स आदि में काफी ज्यादा रुचि रखते हैं।

मुन से जुड़े और बढ़ते गए

मुन यानी मॉडल यूनाइटेड नेशंस, छोटी उम्र के बच्चों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की जानकारी प्रदान करने के लिए एक सिमुलेशन कार्यक्रम है। पार्थ मॉडल यूनाइटेड नेशंस से 12 साल की उम्र में जुड़े। 13 साल की उम्र में यूएन वूमेन के अभियान हीफॉरसी को सपोर्ट करते हुए पार्थ ने पेशम इंटरनेशनल मुन का गठन किया। यह कार्यक्रम उन्होंने जोधपुर में आयोजित किया जो हीफॉरशी के सहयोग से जोधपुर का पहला मुन आयोजन था। 14 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते पार्थ ने 60 से अधिक मॉडल यूनाइटेड नेशंस का आयोजन कर लिया था। इसके साथ ही उन्होंने मुन को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ना शुरू किया और दुनिया भर के एंबेसीज में राजदूतों के साथ डिप्लोमेटिक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेना शुरू कर दिया।

बेहतरीन कार्य के लिए आवा ने किया सम्मानित

साल 2017 में 13 साल की उम्र में पार्थ को आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से आवा अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस से नवाजा गया। यह अवार्ड उन्हें सेना प्रमुख की धर्मपत्नी ने विज्ञान और तकनीकी और सतत विकास के क्षेत्र में काम करने के लिए दिया। पार्थको यह अवार्ड कई तरह की गतिविधियों के लिए मिला था। इनमें से शांति जगहों व ऑपरेशनल जगहों पर सैन्य यूनिटों में सोलर एनर्जी के इस्तेमाल से बिजली पैदा करने के लिए मिला। पार्थ के इस पहल से क्लीन एनर्जी एंड सेविंग एनवायरनमेंट की मुहिम को काफी मदद मिली थी। इसके साथ ही पार्थ ने सैन्य यूनिटों के कमांड पोस्ट विकल्स के लिए सोलर पावर सॉल्यूशन विकसित किया थ साथ ही पार्क व हरे-भरे भरे क्षेत्र को विकसित करने के लिए वेस्ट रीसायकल इस्तेमाल को खूब सराहना मिली। भारतीय सशस्त्र सेनाओं के कई जनरल्स व वरिष्ठ अधिकारियों ने पार्थ की इन गतिविधियों को काफी सराहा और सराहना पत्र भी प्रदान किया।

पूरे कर लिए दुनियाभर में 400 कोर्स

साल 2018 में 14 साल की उम्र में पार्थ स्विट्जरलैंड स्थित यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट चेंज लर्न की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद से उन्होंने अब तक यूएन इंस्टिट्यूट, यूनाइटेड स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ पीस, आइवी लीग यूनिवर्सिटीज, पीस ऑपरेशंस ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट यूएसए आदि द्वारा संचालित 400 से अधिक कोर्स कर लिए हैं। इन कोर्सेज के विषयों में यूएन पीसकीपिंग, सस्टेनेबल डेवलपमेंट, ह्यूमन राइट्स, वुमन राइट्स, हेल्थ, गुड गवर्नेंस एंड एडमिनिस्ट्रेशन, इंटरनेशनल लॉ आदि शामिल थे। पार्थ के प्रयासों और सीखने पढ़ने की ललक को कई डिप्लोमेट ने भी सराहा है। पार्थ की सराहना करने वालों में यूनेस्को के यूथ काउंसिल के चेयरपर्सन भी शामिल हैं। उन्हें अब तक 150 से ज्यादा पदक व बैजेस यूनाइटेड नेशंस की तमाम संस्थाओं व यूएन बॉडीज एंड पीस ऑपरेशन ट्रेंनिंग इंस्टीट्यूट फॉर एक्सीलेंस परफॉर्मेंसेस के लिए प्रदान किया जा चुका है।

पर्यावरण संरक्षण पर युवाओं को कर रहे प्रेरित

पार्थ के अनुसार उन्होंने पर्यावरण बदलाव और संरक्षण को लेकर बहुत सी रैलियां आयोजित किया है जिसमें भारतीय युवाओं को प्रेरित कर इस दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस दौरान वह बहुत से प्रशासनिक अधिकारियों से मिले और पर्यावरण बदलाव को देखते हुए जिस तरह की योजनाओं की जरूरत है, उसकी जानकारी भी दी। इसके अलावा तरह-तरह के सेमिनार, वेबिनार और ग्रुप डिस्कशन के जरिए वह महत्वपूर्ण बिंदुओं पर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इसके साथ ही सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में हिस्सा ले चुके हैं। देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, यूएन डिप्लोमेट, एंबेस्डर, जनरल व तमाम देशों के मंत्रियों से जुड़े कांफ्रेंस का हिस्सा लगातार बनते आ रहे हैं। पार्थ के अनुसार उनकी पहली डिप्लोमेटिक मीटिंग कोरियाई एंबेसी में थी, जब वह कक्षा 9 में पढ़ाई करते थे। इसके बाद चाइनीस वॉइस फॉरेन मिनिस्टर से मुलाकात की और उसके बाद वह आगे बढ़ते ही गए। पर्यावरण से संबंधित मुद्दे पर वह यूनाइटेड नेशंस के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल से भी मिले थे। इसके बाद उन्होंने यूनाइटेड नेशंस वालंटियर्स इंडिया की पहल वी-फोर्स को ज्वाइन किया और फाइट अगेंस्ट कोरोना अभियान सहित चार अलग-अलग अभियानों से भी जुड़े। साल 2019 में 15 साल की आयु में उन्होंने अमेरिका से स्पेशलाइज ट्रेनिंग इन मिलिट्री स्टडीज की पढ़ाई पूरी की ।यहां उन्हें अमेरिकन आर्म्ड फोर्सेस के कमांडर डॉ हार्वे लांगहॉट्ज ने प्रशंसा पत्र प्रदान किया था। साल 2020 में 16 साल की आयु में आर्मेनिया के फॉरेन मिनिस्टर के साथ कॉन्फ्रेंस का हिस्सा बने। यह कॉन्फ्रेंस आर्मेनिया अजरबैजान युद्ध के दौरान आयोजित हुई थी। इनके अलावा यूएन सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गोतरस, अफगानिस्तान के प्रेसिडेंट अशरफ घानी, डब्ल्यूएचओ यूनेस्को के महानिदेशक सहित कई यूएन अंडर सेक्रेट्री जनरल और असिस्टेंट सेक्रेटरी, पॉलिसी मेकर आदि के साथ तरह-तरह के कांफ्रेंस का हिस्सा रहे हैं। उनकी टीम में इसराइल और इंडोनेशिया के सीनियर डिप्लोमेट शामिल थे। लॉकडाउन के दौरान पार्थ ने कई फेस्ट, कॉन्फ्रेंस, इवेंट्स व अन्य कार्यक्रमों में स्पीकर के तौर पर हिस्सा लिया। उनमें से कुछ विषय इंडो चाइना कनफ्लिक्ट, नेशनल एजुकेशन पॉलिसी, सस्टेनेबल डेवलपमेंट, जियोपोलिटिक्स आमद जिओस्ट्रेटेजी, मेंटल हेल्थ आदि से जुड़े थे। 


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