चिंताजनक हालात : यूपी की कई नदियों में आक्सीजन खत्म, पश्चिम यूपी में मानक से 300 गुना जहर
Oxygen runs out ये आंकड़ें तो चिंताजनक हैं। प्रदेश में 102 स्थानों से जल की गुणवत्ता मापी गई जिसमें सिर्फ बदायूं में गंगा नदी के कछलाघाट का पानी साफ मिला। वहीं सबसे प्रदूषित नदी मिली काली ईस्ट पश्चिम उप्र में सर्वाधिक प्रदूषण।
संतोष शुक्ल, मेरठ। Oxygen In West UP River नदियों को प्रदूषणमुक्त करने का भागीरथी संकल्प जमीन पर नहीं उतरा। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक काली ईस्ट सर्वाधिक प्रदूषित है, जबकि पश्चिम उप्र की ज्यादातर नदियों में आक्सीजन खत्म होने से जलीय जीव मर चुके हैं। प्रदेश में 102 स्थानों से जल की गुणवत्ता मापी गई, जिसमें सिर्फ बदायूं में गंगा नदी के कछलाघाट का पानी साफ मिला। इसे बी श्रेणी, जबकि अन्य सभी स्थानों को सी, डी और ई श्रेणी दी गई।
कहीं भी पीने लायक पानी नहीं
नेशनल वाटर क्वालिटी मानीटरिंग के तहत प्रदेश में बिजनौर से लेकर बनारस तक गंगा नदी, बागपत, मथुरा और प्रयागराज तक यमुना नदी, लखनऊ, सुल्तानपुर, सीतापुर एवं जौनपुर में गोमती नदी और गाजियाबाद में हिंडन, अयोध्या में सरयू और प्रतापगढ़ में सई समेत अन्य नदियों की जांच की गई। नदियों में न सिर्फ घुलनशील आक्सीजन की मात्रा कम मिली, जबकि बायोडिजाल्व्ड आक्सीजन मानक से ज्यादा दर्ज हुई। कोलीफार्म और सीवेज से पानी में पहुंचने वाला फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया ज्यात्रा मिला।
पश्चिम यूपी में मानक से 300 गुना जहर
नदी की साइट घुलनशील आक्सीजन बीओडी प्रति मिली कोलीफार्म बैक्टीरिया
- काली ईस्ट, बुंलदशहर 00 58 480000
- काली ईस्ट, कोल गांव-मेरठ 00 48 130000
- हिंडन, सरधना, पवारसी 00 56 150000
- हिंडन, करहेड़ा गाजियाबाद 0.5 22 430000
- यमुना, ताजमहल के पास 6.60 11.60 60000
- यमुना, शाहरपुर मथुरा 3.60 15.40 120000
- गोमती, पिपराघाट, लखनऊ 1.60 12.00 220000
- अपेक्षाकृत साफ पानी
- गंगा नदी, बदायूं 10.10 1.30 260
- गंगा, नरौरा 8.70 2.20 700
- गंगा, बिठूर कानपुर 9.90 3.30 1800
- गंगा, प्रयागराज 9.10 2.70 1500
- गंगा, बनारस 8.30 2.50 1300
- गोमती, जौनपुर अपस्ट्रीम 8.20 2.80 1800
क्या है मानक
- घुलनशील आक्सीजन-इसकी मात्रा पांच मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा होनी चाहिए।
- बायोडिजाल्व्ड आक्सीजन-इसकी मात्रा नदी में पांच मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होना चाहिए।
- कोलीफार्म-ये एक प्रकार का बैक्टीरिया है, जो 1000 एमपीएन प्रति 100 मिली से कम होना चाहिए।
इनका कहना है
रिपोर्ट चौंकाने वाली है। तमाम प्रयासों के बावजूद गंगाजल को भी पीने लायक नहीं है। पश्चिम यूपी की नदियों में ज्यादातर स्थानों पर आक्सीजन खत्म होने से मछलियां मर चुकी हैं। हिंडन व काली ईस्ट व वेस्ट को साफ करना बेहद जरूरी है। रमन त्यागी, नीर फाउंडेशनबीेओडी ज्यादा होने का मतलब है कि पानी की आक्सीजन खत्म हो रही है। पानी में औद्योगक अपशिष्ट पहुंच रहा है। सीवेज को नदियों में जाने से रोकना होगा, अन्यथा जल की प्राकृतिक गुणवत्ता नष्ट होती रहेगी।
- डा. दिनेश पोशवाल, पर्यावरण विज्ञानी