Oxygen Crisis In Meerut: घर पर मरीज गिन रहा एक-एक सांस, जवाब में दो टूक- आक्सीजन मिलेगा कल
मरीज सांसें गिन रहा हो। उसके स्वजन जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए आक्सीजन सिलेंडर संग्रह-वितरण केंद्र पर आक्सीजन की गुहार लगा रहे हों। खाली सिलेंडर के साथ आवेदन कर रहे हों। तमाम जतन करने के बाद भी उन्हे आक्सीजन के नाम पर 24 घंटे बाद बुलाया जा रहा है।
मेरठ, जेएनएन। घर पर मरीज सांसें गिन रहा हो। उसके स्वजन जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए आक्सीजन सिलेंडर संग्रह-वितरण केंद्र पर आक्सीजन की गुहार लगा रहे हों। खाली सिलेंडर के साथ आवेदन कर रहे हों। आवश्यक दस्तावेज की प्रति लगाने के लिए लाकडाउन में फोटोकापी की दुकान खोज रहे हों। कालाबाजारी का शक दूर करने के लिए तड़पते मरीज को वीडियोकाल पर दिखाकर यह बताने को मजबूर हों कि सच में उन्हें आक्सीजन की जरूरत है। अपनों की जान की खातिर इतने जतन के बाद भी उन्हें दो टूक जवाब मिले कि 24 घंटे बाद आक्सीजन से भरा सिलेंडर मिलेगा, ..तो साहब! ये व्यवस्था नहीं, संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।
लोगों ने कहा, ये कुप्रबंधन है: आक्सीजन संग्रह-वितरण केंद्र पर पहुंचे मरीजों के स्वजन ने कहा कि यह जिला प्रशासन का कुप्रबंधन है। खाली सिलेंडर के साथ लोगों को बुलाने से पहले भरे आक्सीजन सिलेंडर का तीनों केंद्रों पर स्टाक कर लेना चाहिए था। लोग खाली सिलेंडर लेकर आते, जमा करते और उसके बदले भरा सिलेंडर लेकर जाते। आक्सीजन के लिए तड़प रहे मरीज के लिए 24 घंटे का इंतजार बहुत लंबा होता है। नगर निगम के कर्मचारी भी दबे मुंह यही बात कह रहे हैं कि कम से कम तीनों केंद्रों पर 200-200 भरे आक्सीजन सिलेंडर का स्टाक होना चाहिए। आदमी आज एक-एक सांस को तड़प रहा है और कह रहे हैं कि आक्सीजन कल देंगे,..यह दिवालियापन नहीं तो क्या है।
पहला मामला
यह उन जरूरतमंदों का दर्द है जो रविवार को परतापुर स्थित नवभारत विद्यापीठ इंटर कालेज के आक्सीजन सिलेंडर संग्रह वितरण केंद्र पर आक्सीजन के लिए पहुंचे थे। करनावल गांव से आए शुभम और कुलदीप ने बताया कि उनके पड़ोस में रहने वाले एक परिवार में मां-बेटे की हालत गंभीर है। दोनों का ही आक्सीजन लेवल 45 के आसपास है। उनके घर में कोई और नहीं है। जैसे-तैसे खाली सिलेंडर का इंतजाम करके लाए। वीडियोकाल कर मरीज दिखाया, सारे दस्तावेज भी दिए। बड़ी उम्मीद से आए थे, निराश लौट रहे हैं।
दूसरा मामला
कैलाशपुरी निवासी 45 वर्षीय राजकुमारी की स्थिति गंभीर है। आक्सीजन लेवल 65 पर आ गया है। बेटा हनी जैसे तैसे खाली सिलेंडर और आवश्यक दस्तावेज लेकर नवभारत विद्यापीठ इंटर कालेज के केंद्र पर पहुंचा। उस वक्त निरीक्षण कर रहे नगर आयुक्त और अपर नगर आयुक्त ने उसके दस्तावेज देखे। आक्सीजन लेवल की स्थिति जानी। कहा खाली सिलेंडर जमा कर दो, 24 घंटे बाद ले जाना। यह सुनते ही हनी ने कहा, तब तक देर हो जाएगी। मां को आक्सीजन की जरूरत है। कई गैस प्लांट घूम आया। यह कहते- कह आंखों से आंसू छलक गए।
तीसरा मामला
मोदीपुरम निवासी पुष्पेंद्र खाली सिलेंडर लेकर पहुंचे। उनकी दादी जगवीरी की हालत गंभीर है। डाक्टर ने आक्सीजन लगाने की सलाह दी है। उनके पास आधारकार्ड नहीं था। राशनकार्ड अधिकारियों ने मान्य नहीं किया। फिर उन्हें दूसरे स्वजन से अपना आधारकार्ड मंगवाना पड़ा। कांउटर पर दस्तावेज की प्रतियां जमा करने से पहले फोटोकापी की दुकान खोजनी पड़ी। खाली सिलेंडर जमा करने के बाद भी कई बार कर्मचारियों से पूछा कि 24 घंटे बाद आक्सीजन मिल जाएगी कि नहीं। यह दो केस केवल बानगी हैं। यही हाल डिफेंस एंक्लेव कंकरखेड़ा और जाग्रति विहार सेक्टर तीन स्थित सामुदायिक भवन में बनाए गए आक्सीजन संग्रह-वितरण केंद्रों का रहा।