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ये मेडिकल कालेज है..यहां इलाज कम, रेफर ज्यादा होते हैं

लाला लाजपत मेडिकल कॉलेज की आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं बेपटरी हो चुकी हैं। यहां सैकड़ों किमी. दूर से आने वाले गंभीर मरीजों को इलाज मयस्सर नहीं है। हार्ट, गुर्दा और हेड इंजरी के जटिल मामलों को देखते ही डॉक्टर उन्हें रेफर का पर्चा थमा देते हैं। ऐसे में न चाहते हुए भी परिजन मरीज को दिल्ली या निजी अस्पताल ले जाने को विवश होते हैं। आपातकालीन विभाग एवं ट्रॉमा सेंटर में ऐसे मामले हर रोज दिखते हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 05:00 AM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 05:00 AM (IST)
ये मेडिकल कालेज है..यहां इलाज कम, रेफर ज्यादा होते हैं
ये मेडिकल कालेज है..यहां इलाज कम, रेफर ज्यादा होते हैं

मेरठ। लाला लाजपत मेडिकल कॉलेज की आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं बेपटरी हो चुकी हैं। यहां सैकड़ों किमी. दूर से आने वाले गंभीर मरीजों को इलाज मयस्सर नहीं है। हार्ट, गुर्दा और हेड इंजरी के जटिल मामलों को देखते ही डॉक्टर उन्हें रेफर का पर्चा थमा देते हैं। ऐसे में न चाहते हुए भी परिजन मरीज को दिल्ली या निजी अस्पताल ले जाने को विवश होते हैं। आपातकालीन विभाग एवं ट्रॉमा सेंटर में ऐसे मामले हर रोज दिखते हैं।

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बिजनौर जिले के धामपुर निवासी रोहताश सिंह के सात वर्षीय पुत्र सागर सिंह को छत से गिरकर सिर में गंभीर चोट आई थी। परिजन उसे बिजनौर के जिला अस्पताल ले गए। यहां प्राथमिक उपचार के बाद मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। परिजन दोपहर सवा तीन बजे आपातकालीन विभाग पहुंचे। रेजीडेंट डॉक्टर ने यह कहते हुए बच्चे को दिल्ली ले जाने की सलाह दी कि यहां सिर की अंदरूनी चोट का उपचार नहीं हो सकता। परिजन करीब सौ किमी. दूरी तय कर बेहतर उपचार की उम्मीद से यहां आए थे। उम्मीद टूटी तो वे बच्चे की दिल्ली ले जाने को विवश हुए।

यह केस तो केवल बानगी है। हर रोज आपातकालीन विभाग एवं ट्रॉमा सेंटर से करीब 50 फीसदी मरीज रेफर हो रहे हैं। बर्न केस और सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को सबसे ज्यादा रेफर किया जाता है।

यह है मुख्य कारण

आपातकालीन विभाग में उच्चस्तरीय चिकित्सा सेवाएं देने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में महीनों से न्यूरो सर्जन, न्यूरोफिजीशियन, प्लास्टिक सर्जन, कार्डियक व नेफ्रो सर्जन और यूरो सर्जन नहीं हैं, जबकि इसे आपात चिकित्सा की रीढ़ माना जाता है। फिर भी विशेषज्ञ पदों को भरने का कोई प्रयास नहीं हुआ है। 30-35 क्रिटिकल केस औसतन रोजाना आते हैं। इनमें से 15-20 केस रेफर किए जाते हैं।

इन्होंने कहा-

विशेषज्ञों की कमी से आपात एवं सुपरस्पेशियलिटी चिकित्सा सेवा प्रभावित हुई है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत 150 करोड़ का नया ब्लाक बनकर तैयार है, जिसके लिए सरकार ने विशेषज्ञ पदों का सृजन किया है। जल्द ही विशेषज्ञों की कमी दूर हो जाएगी।

डॉ. आरसी गुप्ता, प्राचार्य, लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज


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