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झारखंड से हुई पश्चिमी उप्र में करोड़ों की ऑनलाइन ठगी, 82 फीसद मामले ट्रेस

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों से करोड़ों की ऑनलाइन ठगी झारखंड में बैठे ठग कर रहे हैं। नक्सल प्रभावित जंगल क्षेत्र में पुलिस भी नहीं जा पाती जिससे इनका काम आसान हो जाता है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 02:42 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 02:42 PM (IST)
झारखंड से हुई पश्चिमी उप्र में करोड़ों की ऑनलाइन ठगी, 82 फीसद मामले ट्रेस
झारखंड से हुई पश्चिमी उप्र में करोड़ों की ऑनलाइन ठगी, 82 फीसद मामले ट्रेस
मेरठ (पंकज तोमर)। ऑनलाइन ठगी के मामले में साइबर सेल को पहली बार बड़ी सफलता हाथ लगी है। जांच में सामने आया कि पश्चिमी उप्र में करोड़ों की ठगी के करीब 82 फीसद मामलों को झारखंड के जामताड़ा जिले से अंजाम दिया गया। लोकेशन को ट्रेस कर संबंधित थानों को रिपोर्ट भेज दी गई है।
बढ़ रहे मामले
बढ़ती तकनीक के साथ ऑनलाइन ठगी के मामले सबसे अधिक सामने आ रहे हैं। साइबर अपराधियों की धरपकड़ के लिए बड़े स्तर पर अभियान भी चल रहा है, लेकिन उन पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा है। पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अभी तक ऑनलाइन ठगी के करीब 350 मामले सामने आए हैं। ज्यादातर केस एटीएम पिन पूछकर बैंक खातों से नकदी निकालने के हैं। साइबर सेल इनकी जांच कर रही है। अभी तक बगैर ठोस आधार के आरोपितों को झारखंड का बताकर हवा-हवाई बात कही जा रही थी, परंतु अब साइबर सेल को कई क्लू मिल गए हैं।
जामताड़ा और पश्चिम बंगाल में हैं मुखिया
सूत्रों की मानें तो झारखंड के जामताड़ा जिला स्थित नक्सल प्रभावित जंगल क्षेत्र से घटना को अंजाम दिया जा रहा है। 350 में लगभग 82 फीसद (287 शिकायत) इसी जंगल से संबंधित निकली। दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल है। यहां के ठग भी ऑनलाइन ठगी में माहिर हैं। इन दोनों जगहों पर ठगों के मुखिया बैठे हैं।
विवेचक इसलिए परेशान
विवेचक इसलिए परेशान है कि वह जामताड़ा कैसे जाए। बताया जाता है कि वहां की स्थानीय पुलिस ही जंगल में जाने से डरती है। इस डर के कारण कोई विवेचक वहां नहीं जाना चाहता है। कुछ मामलों में झारखंड पुलिस की मदद भी ली जा रही है।
ऐसे करते हैं ठगी
फर्जी बैंक अधिकारी बनकर एटीएम पिन या खाते की जानकारी लेकर उससे नकदी चुरा लेते हैं। इसके अलावा मोबाइल का बैलेंस चोरी करना, क्रेडिट या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं। कंप्यूटर या मोबाइल हैक करके भी हानि पहुंचाते हैं।
बायोमेट्रिक ने खोली पोल
एक शिकायतकर्ता के प्रार्थना पत्र पर साइबर सेल ने जांच प्रारंभ की। जिस नंबर से कॉल पर पीड़ित का एटीएम पिन पूछा गया उसकी लोकेशन ट्रेस कर ली गई। वह बायोमेटिक रजिस्ट्रेशन के जरिए जामताड़ा से खरीदा गया है। इसके बाद तो तमाम मामले परत-दर-परत खुलते चले गए। जांच में यह भी पता चला कि फर्जी दस्तावेजों के बूते खुलवाए गए एकाउंट को यह लोग किराए पर लेकर लेनदेन करते हैं, परंतु अब आधार नंबर के कारण यह भी संभव नहीं रहा।

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