तीन तलाक कानून के एक साल : तीस ही केस हुए दर्ज, जबकि पहले संख्या थी दोगुनी Meerut News
पिछले साल एक अगस्त को तीन तलाक को लेकर कानून बना था। लेकिन थानों में अभी भी सुनवाई नहीं हो रही है। कहीं रिपोर्ट दर्ज कर ली जाती है तो आरोपित की गिरफ्तारी नहीं होती।
मेरठ, जेएनएन। triple talaq law लंबी लड़ाई के बाद पिछले साल एक अगस्त को तीन तलाक को लेकर कानून बना था। एक साथ तीन बार तलाक बोलना या फिर लिखकर देना गैरकानूनी हो गया था। उम्मीद जगी थी कि मुस्लिम महिलाओं के साथ सब सही होगी, लेकिन थानों में अभी भी सुनवाई नहीं हो रही है। कहीं रिपोर्ट दर्ज कर ली जाती है, तो आरोपित की गिरफ्तारी नहीं होती। पीड़िता चक्कर लगाने को मजबूर रहती हैं। हालांकि कानून बनने के बाद की बात करें तो अब तक सिर्फ तीन तलाक के तीस ही मुकदमे दर्ज हुए हैं, जबकि पहले संख्या दोगुनी के करीब थी।
लगाने पड़ रहे थाने के चक्कर
लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र के किदवई नगर निवासी समरीन की डेढ़ साल पहले बुनकर नगर निवासी सलमान से शादी हुई थी। दहेज की मांग को लेकर विवाहिता को परेशान किया जाने लगा। आरोप है कि 20 दिन पहले युवक ने दूसरी शादी कर ली। पत्नी ने विरोध किया तो उसकी पिटाई की। दो दिन पहले उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया था। उसने पुलिस से शिकायत की, लेकिन अभी तक रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है। पीडि़त के स्वजन कई बार थाने के चक्कर लगा चुके हैं। वहीं, फलावदा निवासी युवती की शादी पांच साल पहले श्यामनगर निवासी सलमान से हुई थी। दहेज की मांग को लेकर करीब दस माह पहले उसे तीन तलाक दे दिया था। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी आज तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। स्वजन अफसरों से भी कई बार गुहार लगा चुके हैं। एसपी सिटी डा. अखिलेश नारायण ङ्क्षसह का कहना है कि पीडि़ता की शिकायत के आधार पर तुरंत ही कार्रवाई की जाती है। यदि कहीं रिपोर्ट दर्ज नहीं हो रही है तो जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
पीडि़ता लापता, केस वापस लिया
सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता फरार फैज ने बताया कि उनके पास नौचंदी थाना क्षेत्र निवासी आयशा का मामला आया था। उसकी शादी क्षेत्र के ही युवक से 2014 में हुई थी, लेकिन पांच साल बाद उसे तलाक दे दिया था। इसकी रिपोर्ट नौचंदी थाने में दर्ज हुई थी, लेकिन कार्रवाई कोई नहीं हुई। उन्होंने कोर्ट में शिकायत की तो पुलिस ने युवक को हिरासत में लिया, लेकिन छोड़ दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन इसी बीच आयशा लापता हो गई। उन्होंने उससे संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन कहीं पता नहीं चला। थाने में भी शिकायत की, लेकिन नतीजा जीरो रहा। थक-हार कर उन्होंने केस ही वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि काननू बनने से महिलाओं को तब लाभ मिलेगा, जब पुलिस इमानदारी से काम करेगी। पहले तो रिपोर्ट ही दर्ज नहीं होती, यदि हो भी जाती है तो आरोपित को गिरफ्तार नहीं किया जाता।