तीन तलाक कानून के एक साल: जब चला तीन तलाक कानून का चाबुक तो सहारनपुर में बसने लगे टूटे हए घर
तीन तलाक कानून के एक साल कानून का खौफ नजर आ रहा है कम हो गए तीन तलाक के मामले। कानून के डर से कई लोगों ने कर लिया समझौता।
सहारनपुर, जेएनएन। समाज में तीन तलाक कानून पास होने का असर महिला सुरक्षा पर नजर आने लगा है। कई मामलों में जुबानी तीन तलाक बोल चुके शौहर अपनी पत्नियों को कानूनी डर से वापस ले गए, जबकि तीन तलाक के मामलों में तो बड़ा अंतर देखने को मिला है, हालांकि कानून बनने के बाद भी कुछ मामले सामने आए।
सहारनपुर जनपद में तीन तलाक का एक मामला पिछले दिनों सामने आया, गंगोह थाना क्षेत्र के गांव बल्लामाजरा रसूलपुर निवासी युवती का निकाह ग्राम हीराहेड़ी थाना कोतवाली देहात सहारनपुर के खालिद से हुआ था। तलाक की धमकी लगातार दी जा रही थी, पीडि़ता का आरोप था कि पुत्री होने व दहेज की खातिर उसे तीन तलाक दिया गया। कोतवाली में पति सहित आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई। उधर तीन तलाक बिल पास होने के बाद खौफ नजर आया। इस कानून से सहारनपुर की रहने वाली नसीमा का घर एक बार फिर बस गया। समझौते में साफ तौर पर लिखा गया है कि ट्रिपल तलाक विरोधी कानून लागू होने के कारण सभी आरोपित तीन साल की सजा से बचने के लिए समझौता कर अपनी बहू वसीमा को अपने साथ ले जा रहे हैं।
नसीमा पिछले 8 माह से अपने मायके में थीं, तीन तलाक कानून के डर से उसे एक बार फिर अपने ससुराल जाने का मौका मिल गया। एक अन्य मामले में चिलकाना क्षेत्र के गांव निवासी युवती ने आरोप लगाया था कि ससुराल पक्ष के लोग दहेज की मांग को लेकर उत्पीडऩ कर रहे थे। मारपीट कर तीन तलाक देकर उसे घर से निकाल दिया गया। इसमें तीन तलाक की धाराओं में मामला दर्ज किया गया। देवबंद थाने में भी तीन तलाक का एक मामला दर्ज हुआ।