मोक्ष के लिए संयम का मार्ग अपनाना पड़ेगा : भारत भूषण
हस्तिनापुर स्थित कैलाश पर्वत रचना के मुख्य जिनालय में चल रहे 48 दिवसीय भक्तामर विधान एवं पाठ के 15 वें दिन।
मेरठ, जेएनएन। हस्तिनापुर स्थित कैलाश पर्वत रचना के मुख्य जिनालय में चल रहे 48 दिवसीय भक्तामर विधान एवं पाठ के 15 वें दिन मंगलवार को मंगलाष्टक सकलीकरण के पश्चात भगवान आदिनाथ का अभिषेक एवं शांतिधारा की मांगलिक क्रियाएं की गई। 101 परिवारों की ओर से भक्तामर पाठ का आयोजन किया गया।
मंगलवार को विधान पाठ के मध्य आचार्य भारत भूषण महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि मानव के आचार विचार के ऊपर ही भारतीय संस्कृति टिकी हुई है। आचरण को प्रत्येक प्राणी सुबह से शाम तक करता है। परंतु आचरण सुचारू एवं सम्यक बनाने के लिए आचार ग्रंथों का स्वाध्याय करना सभी का कर्तव्य है। श्रद्धा और विवेक पूर्वक क्रिया करने वाला ही श्रावक होता है। संसार का प्रत्येक प्राणी अपने जीवन में सुख शांति चाहता हैं। आचारियों ने सुख शांति को दो भाग में विभक्त किया है। एक संसारिक सुख जिसे भौतिक सुख किया जाता है। एक आत्मिक सुख जिसे पारमाíथक सुख कहते है। यदि हमें वास्तव में मोक्ष मार्ग का पथिक बनना है तो कथनी और करनी को एक करके त्याग एवं संयम का मार्ग अपनाना ही पड़ेगा।
प्रात: भगवान का स्वर्ण कलश से अभिषेक मदनलाल जैन, मनीष जैन एवं शांतिधारा करने का सौभाग्य अरूण जैन, रविद्र जैन को प्राप्त हुआ। मंगलदीप प्रज्ज्वलन करने का सौभाग्य शांतिलाल, मनोज को प्राप्त हुआ। सांयकाल में भगवान आदिनाथ की मंगल आरती की गई। विधान में अध्यक्ष विनोद जैन, महामंत्री मुकेश जैन, कोषाध्यक्ष राजेंद्र जैन, महाप्रबंधक मुकेश जैन, मनोज जैन, राजीव जैन, विपिन शर्मा, प्रेम जैन, गुरुकुल के छात्रों का सहयोग रहा।