पुराने खराब सेंसर और धड़ाम फास्टैग सिस्टम
सिवाया टोल प्लाजा की सभी 12 लेन में लगे खराब सेंसर की वजह से फास्टैग लगी गाड़ी चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खराब सेंसर के कारण गाड़ी पर लगा फास्टैग उससे कनेक्ट नहीं हो पा रहा है।
मेरठ, जेएनएन। सिवाया टोल प्लाजा की सभी 12 लेन में लगे खराब सेंसर की वजह से फास्टैग लगी गाड़ी चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खराब सेंसर के कारण गाड़ी पर लगा फास्टैग उससे कनेक्ट नहीं हो पा रहा है। जिसके कारण फास्टैग की गाड़ियों को टोल पर दो से तीन मिनट का समय लग रहा है। सेंसर के काम न करने पर टोल कर्मचारी हैंड मशीन से फास्टैग से लगाकर कनेक्ट करता है। दिन रात टोल की लेन पर ड्यूटी देने वाले कर्मचारियों ने इस तरह की समस्या कई बार टोल अधिकारियों के सामने भी रखी थी, मगर हालात जस के तस हैं। सेंसर खराब की वजह से कर्मचारियों को भी तीन गुना मेहनत करनी पड़ रही है।
सरकार ने फास्टैग की व्यवस्था लागू करने का उद्देश्य था कि कैश देने के दौरान किसी तरह का कोई झगड़ा। आरोप-प्रत्यारोप और राहगीरों को टोल पर अधिक समय न लगने पाए। इन्हीं सब असुविधा से बचने के लिए लोगों ने अपने गाड़ियों पर फास्टैग कार्ड लगवाए। मगर, सिवाया टोल प्लाजा के जिम्मेदार लोग इस व्यवस्था को धड़ाम करने पर आमादा हैं। करीब नौ वर्ष पुराने सेंसर और कंप्यूटर सिस्टम टोल प्लाजा पर लगे हुए हैं। पिछले दिनों शिकायत मिलने पर सेंसर के केबिल भी बदलवा दिए थे, उसके बावजूद हालात वैसे ही बने हैं। फास्टैग लगी गाड़ी टोल पर पहुंचती है तो वहां लगे सेंसर से वह कनेक्ट नहीं हो पाती। खिड़की पर बैठा कर्मचारी हैंड मशीन से फास्टैग को चेक करने के लिए कहता है। मशीन से रीड करने के बाद गाड़ी चालक को उसका रिजल्ट बताया जाता है कि फास्टैग सही है या उसमें रिचार्ज नहीं है अथवा वह ब्लैक लिस्ट हो चुका है।
इनका कहना है
लगभग सभी सेंसर सही है। जो खराब हैं, उनके केबिल बदलवाए गए हैं। इंजीनियरों से दोबारा सेंसर चेक कराए जाएंगे। जहां कमी आएगी, उसको दुरुस्त किया जाएगा।
-श्रीधर नारायण, जीएम-वेस्टर्न यूपी टोलवे कंपनी।