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अफसर खेलते रहे चिट्ठी-चिट्ठी, घर पहुंच गए गणपति

गणपति की मूर्तियों में पर्यावरण के लिए हानिकारक सामग्री और रंगों के प्रयोग तथा उनके विसर्जन से नदियों के पानी में होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए एनजीटी और मुख्य सचिव के आदेश को संबंधित अधिकारी डेढ़ महीना लेकर बैठे रहे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 09:00 AM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 09:00 AM (IST)
अफसर खेलते रहे चिट्ठी-चिट्ठी, घर पहुंच गए गणपति

मेरठ, जेएनएन : गणपति की मूर्तियों में पर्यावरण के लिए हानिकारक सामग्री और रंगों के प्रयोग तथा उनके विसर्जन से नदियों के पानी में होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए एनजीटी और मुख्य सचिव के आदेश को संबंधित अधिकारी डेढ़ महीना लेकर बैठे रहे। इस दौरान चिट्ठी का खेल चलता रहा और गणपति की मूर्तियां यूपी से दिल्ली तक और लोगों के घरों तक पहुंच गई।

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एनजीटी ने इस बार गणेश चतुर्थी के लिए तैयार की जाने वाली भगवान गणेश की मूर्तियों को हानिकारक सामग्री और रंगों से तैयार कराने तथा उनका विसर्जन नदियों में न करने देने का निर्देश दिया था। एनजीटी द्वारा गठित यमुना मॉनिटरिग कमेटी की सदस्य सुश्री शैलजा चंद्रा एवं बी एस साजवान ने भी उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र भेजा था। मुख्य सचिव ने 18 जुलाई को मेरठ, सहारनपुर और आगरा मंडल के सभी जनपदों के डीएम को आदेश दिया था कि प्रदेश से दिल्ली जाने वाली गणेश मूर्तियां पीओपी, टाक्सिक एवं नॉन बायो डिग्रेडिएबल डाईस और रंगों से तैयार न किया जाए। साथ ही लोग नदियों और नहरों में मूर्तियों का विसर्जन न करें। इसके लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाने थे। विसर्जन नदियों में इमर्शन पिट, पोंड बनाकर कराया जाए। डीएम पूजा समितियों से सामंजस्य स्थापित करके यह सुनिश्चित करें।

डीएम का आदेश डीएम को वापस

डीएम अनिल ढींगरा ने मुख्य सचिव का आदेश 22 जुलाई को क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी को भेजा था। लेकिन, अधिकारी इसे भूल गये। लगभग डेढ़ महीने बाद अब 30 अगस्त को क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी ने वापस डीएम को पत्र भेजा है। जिसमें उन्होंने विसर्जन वाले क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम के लिए एसडीएम को नामित करने की मांग की है। इस समिति में संबंधित निकाय के अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी को भी शामिल किया जाना है।

घरों में विराज गये गणपति, अब तो विसर्जन की बारी

जिम्मेदार अधिकारी एनजीटी और मुख्य सचिव के आदेश को लेकर कितने गंभीर हैं उसकी यह बानगी है। जागरूकता और कार्रवाई का समय निकलने के बाद अफसर जागे हैं। कई दिन पहले ही गणपति लोगों के घरों में विराजमान हो चुके हैं। मूर्तियां बन चुकी हैं। अब तो विसर्जन की तैयारियां की जा रही है। ऐसे में अफसर लोगों को कितना मना पाते हैं, यह देखने वाली बात है।


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