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एक साल बाद अब शासन ने मांगा जवाब, ODF घोटाले के आरोपितों पर गिरेगी गाज Meerut News

कमिश्नर की जांच रिपोर्ट पर एक साल बाद अब शासन ने मांगा जवाब। कमिश्नर द्वारा कराई गई जांच में ओडीएफ के दावे फर्जी मिले। जांच टीम को मौके पर शौचालय ही नहीं मिले।

By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 04 Mar 2020 11:39 AM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2020 11:39 AM (IST)
एक साल बाद अब शासन ने मांगा जवाब, ODF घोटाले के आरोपितों पर गिरेगी गाज Meerut News

मेरठ, [अनुज शर्मा]। मेरठ शहर को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) करने के लिए नगर निगम प्रशासन ने लगभग 12 हजार व्यक्तिगत शौचालय बनाने का दावा किया था। इसके लिए स्वच्छ भारत मिशन के खजाने से करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया। क्यूसीआइ ने भी नगर निगम को ओडीएफ प्रमाणपत्र जारी कर दिया था, लेकिन कमिश्नर द्वारा कराई गई जांच में ओडीएफ के दावे फर्जी मिले। जांच टीम को मौके पर शौचालय ही नहीं मिले।

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कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन नगर आयुक्त के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की संस्तुति मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव नियुक्ति से की थी। इस जांच रिपोर्ट पर एक साल बाद शासन हरकत में आया है। कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी गई है, कमिश्नर ने नगर आयुक्त से इस घोटाले पर स्पष्ट आख्या मांगी है।

मार्च 2019 में लखनऊ गई थी रिपोर्ट: कमिश्नर ने ठीक एक साल पहले मार्च 2019 में शासन को अपनी जांच रिपोर्ट भेजी थी। मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव नियुक्ति के साथ कई स्थानों पर रिपोर्ट भेजकर उन्होंने तत्कालीन नगर आयुक्त के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की थी।

आरोपी बन गए आइएएस: कमिश्नर की रिपोर्ट पर शासन में कार्रवाई नहीं हुई। इसी बीच तत्कालीन नगर आयुक्त का यहां से तबादला हो गया और उनका प्रमोशन करके आइएएस बना दिया गया। यदि कमिश्नर की संस्तुति पर तुरंत कार्रवाई की जाती तो पूर्व नगर आयुक्त का आइएएस हो पाना मुश्किल था।

कई महीने तक नगर आयुक्त ने नहीं दी थी पत्रवली

मेरठ शहर को खुले में शौचमुक्त बनाने के लिए वर्ष 2018 में नगर निगम ने कई करोड़ रुपये खर्च कर लगभग 12 हजार मकानों में शौचालय बनाने का दावा किया था। दिसंबर 2018 में नगर निगम की मांग पर केंद्रीय एजेंसी क्यूसीआइ (क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया) ने भी ओडीएफ का प्रमाणपत्र जारी कर दिया था। लेकिन ओडीएफ के नाम पर करोड़ों रुपये के सरकारी धन की बंदरबांट की शिकायतें कमिश्नर के पास पहुंची तो उन्होंने जांच कराई। निगम प्रशासन ने लाभार्थियों की जो सूची उपलब्ध कराई उनकी मौके पर जांच कराई गई। कमिश्नर की जांच टीम को मौके पर शौचालय ही नहीं मिले। शौचालयों की जियो टै¨गग कराई जानी थी, लेकिन घोटाला खुलने के डर से वह भी नहीं कराई गई। जांच रिपोर्ट के तथ्यों पर कमिश्नर ने तत्कालीन नगर आयुक्त से स्पष्टीकरण मांगा था और जांच के लिए शौचालय निर्माण की पत्रवली तलब की थी, लेकिन नगर आयुक्त ने दो महीने से ज्यादा समय तक न तो जवाब दिया और न ही पत्रवली उपलब्ध कराई। कड़ी चेतावनी जारी करने पर ही नगर आयुक्त ने पत्रवली उपलब्ध कराई।

रिपोर्ट को लेकर कमिश्नर ने नगर आयुक्त को चेताया

लगभग एक साल बाद कमिश्नर की संस्तुति पर शासन में हलचल मची। शासन ने कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी है। इस पर कमिश्नर ने नगर आयुक्त से स्पष्ट आख्या मांगी है। शनिवार को निगम में निरीक्षण के दौरान भी कमिश्नर ने नगर आयुक्त को चेताया था कि ओडीएफ घोटाले को लेकर स्पष्ट रिपोर्ट जल्द से जल्द दी जाए।कमिश्नर की जांच में खुली पोल

  1. निगम की सूची में शामिल अधिकांश शौचालय मिले अधूरे।
  2. जियो टैगिंग का दावा गलत, टीम को नहीं मिले शौचालय।
  3. शहर में नहीं हुआ सर्वे, मन से ही लक्ष्य कर लिया पूरा। 90 फीसदी शौचालय निर्माण का दावा भी गलत।
  4. शहर में स्थापित सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय मिले गंदे।

    घोषणा में बताई थीं ये उपलब्धि

  • 12,100 व्यक्तिगत शौचालयों के लक्ष्य में से 11000 से अधिक का निर्माण पूर्ण।
  • सभी शौचालयों की जियो टैगिंग की गई।
  • लक्ष्य के 90 फीसद से अधिक शौचालय पर ओडीएफ की पात्रता।
  • शहर में स्थापित सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय मिले स्वच्छ।

इन्‍होंने बताया

ओडीएफ घोटाले की जांच पर शासन ने अब कार्रवाई शुरू की है। हमसे रिपोर्ट मांगी गई है। हमने नगर आयुक्त से आख्या मांगी है। उसके मिलने पर शासन को पुरानी जांच और उसके तथ्यों को दर्ज करते हुए रिपोर्ट भेज दी जाएगी।

- अनीता सी मेश्रम, कमिश्नर


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