ईजाद कर दी कैंसर की सस्ती दवा
कैंसर का नाम सुनते ही रूह कांप जाती है। इलाज के लिए डाक्टर अस्पताल होने के बाद भी कैंसर जानलेवा साबित हो रहा है।
मेरठ, जेएनएन। कैंसर का नाम सुनते ही रूह कांप जाती है। इलाज के लिए डाक्टर, अस्पताल होने के बाद भी कैंसर जानलेवा साबित हो रहा है। कारण, महंगा इलाज और महंगी दवाइयां। ऐसे में मेरठ के फार्मेसी के एसोसिएट प्रोफेसर ने कैंसर की सस्ती दवा तैयार की है, जिससे 60 तरह के कैंसर को ठीक करना संभव है। इसकी कीमत बाजार में उपलब्ध किसी भी कैंसर की दवा से करीब एक चौथाई होगी।
मेरठ इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिग एंड टेक्नोलाजी के फार्मेसी विभाग में एसोसिएट प्रो. अनुराग कैंसर की दवा पर दो साल से शोध कर रहे थे। भारत सरकार से 23 लाख रुपये ग्रांट भी मिली थी। दवा का पेटेंट भी हो चुका है। कैंसर के इलाज के लिए डा. अनुराग ने डा. प्रिस शर्मा, कल्पना सिंह के साथ मिलकर नए मोलिक्यूल (अणु) को खोजा है। लैब परीक्षण में पाया गया कि इस मोलिक्यूल ने सभी तरह के कैंसर की कोशिकाओं की वृद्धि रोक दी। मोलिक्यूल की जैविक गतिविधि ब्लड कैंसर और बड़ी आंत के कैंसर के लिए सबसे कारगर पाई गई। मोलिक्यूल की जैविक गतिविधियां कैंसर के उपचार में प्रयोग होने वाली दवाओं जैसे 5-फ्लूरोरासिल और एर्लोटिनिब से ज्यादा है। डा. अनुराग के मुताबिक, इस मोलिक्यूल को ब्लड कैंसर और बड़ी आंत के कैंसर के उपचार के लिए विकसित किया जा सकता है।
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की मुहर
डा. अनुराग ने बताया कि दवा के सैंपल को जांच के लिए नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट यूएसए भेजा था। जांच में 60 तरह के कैंसर में इस दवा को उपयोगी पाया गया। दवा को इंस्टीट्यूट ने एएससी 742266 नाम दिया है। अब इस दवा का मानव शरीर पर क्लीनिकल ट्रायल के लिए फार्मा कंपनी से बात चल रही है। दवा का साइड इफेक्ट देखने के बाद इसे लांच किया जाएगा।
दवा में देशी केमिकल
डा. अनुराग का कहना है कि इस दवा में प्रयोग होने वाले केमिकल पूर्ण स्वदेशी हैं। लैब में 15-20 केमिकल की सहायता से सिथेटिक दवा बनाई गई है। इस पाउडर से कैप्सूल, टैबलेट बन सकता है।
खतरनाक स्थिति
डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में सबसे अधिक ब्रेस्ट कैंसर, मुंह का कैंसर, गर्भाशय का कैंसर, फेफड़ों और आमाशय कैंसर से मौतें हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 10 कैंसर मरीजों में से सात की मौत हो जाती है।