मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाना जरूरी है या नहीं, बताएगा सॉफ्टवेयर
डेंगू या अन्य बुखार के समय कई बार गैरजरूरी होने पर भी प्लेटलेट चढ़ा दी जाती हैं। अब इससे छुटकारा मिल सकता है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 12:16 PM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 12:19 PM (IST)
मेरठ (जेएनएन)। अगर मरीज के रक्त में प्लेटलेट्स घटकर 10 हजार तक रह जाएं और फिर भी इसे चढ़ाना न पड़े तो कितनी राहत की बात है। नई जांच तकनीक इम्योच्योर प्लेटलेट फ्रैक्शन (आइपीएफ) से पता चल जाएगा कि प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत है या नहीं। इससे जहां बिना वजह प्लेटलेट्स चढ़ाने से निजात मिलेगी, वहीं ब्लड ट्रांसफ्यूजन से होने वाली खतरनाक बीमारियों से भी बचा जा सकेगा।
हर घंटे मिलेगी प्लेटलेट्स की सही जानकारी
खून में प्लेटलेट्स की मात्रा न्यूनतम 1.5 लाख होनी चाहिए, जबकि डेंगू के मरीजों में यह दस हजार से भी नीचे पहुंच जाती है। आइपीएफ मशीन का साफ्टवेयर बोनमैरो की उन अवयस्क कोशिकाओं का पता कर लेता है, जो ब्लड में पहुंचकर प्लेटलेट्स बढ़ाएंगी। डेंगू बुखार में इसकी मात्र घटते ही शरीर अवयस्क कोशिकाओं को बड़े-बड़े प्लेटलेट के टुकड़े के रूप में ब्लड में पहुंचाती है, जिसे सामान्य पैथोलोजी लैब नहीं पकड़ पाती। मशीन यह भी बता देगी कि मरीज में हर घंटे कितनी नई प्लेटलेट बनेंगी।
यह है प्लेटलेट्स
प्लेटलेट थाली के आकार की कोशिकाएं हैं, जो रक्त में थक्का बनाने की प्रवृत्ति रखती हैं। इनकी उम्र पांच से नौ दिन होती है। डेंगू में कई बार इनकी संख्या 20 हजार पहुंचने पर खून का गाढ़ापन कम हो जाता है। इससे नाक, कान एवं मुंह से रक्तस्राव और कई बार मरीजों की मौत हो सकती है। सितंबर से नवंबर तक डेंगू बुखार के सैकड़ों नए मरीज मिलते हैं। ज्यादातर में प्लेटलेट कम मिलता है, जिसका भय दिखाकर उन्हें फैक्टर चढ़ा दिया जाता है।
पांच नए मरीजों में मिला डेंगी वायरस
डेंगू ने मेरठ को चपेट में ले लिया है। रोज नए मरीज मिल रहे हैं। मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलॉजी में सोमवार को जांच में पांच नए मरीज मिले। सभी सैंपल मेडिकल कालेज की ओपीडी और अन्य वार्डो में भर्ती मरीजों के हैं। माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. अमित गर्ग ने बताया कि 35 साल के किशन, 11 साल की मुस्कान, 22 साल के जागीर, 84 सात के ईश्वर और 17 साल के रितिक में डेंगी पाजिटिव मिला। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बताया कि सभी मरीजों के घरों के आसपास एंटी लार्वा फागिंग कराई जाएगी। तीन मरीज मेरठ एवं दो बागपत जिले से हैं। फिजीशियन डा. टीवीएस आर्य ने बताया कि दीवाली से पहले डेंगू के मरीजों में वृद्धि हो सकती है। हालांकि स्ट्रेन-3 का वायरस ज्यादा घातक नहीं है।
इनका कहना है
बिना वजह प्लेटलेट चढ़वाने से बचें। इससे कई बार रक्त संक्रमित बीमारियां भी हो जाती हैं। प्लेटलेट बनाने की शरीर की अपनी क्षमता होती है, जिसका इंतजार करना चाहिए।
-डा. पीके बंसल, सीएमएस, जिला अस्पताल
डेंगू में अगर प्लेटलेट 15-20 हजार पहुंच जाए, शरीर तब भी रिकवरी कर सकता है। आइएमएफ जांच में पता चल जाता है कि बोनमैरो कितनी देर में प्लेटलेट की कमी दूर कर देगा। बेवजह प्लेटलेट चढ़वाने से मरीज को निजात मिल जाएगी।
-डा. तनुराज सिरोही, फिजीशियन
अगर जांच में बड़ी प्लेटलेट नजर आ रही हैं तो प्लेटलेट आठ हजार पहुंचने पर भी खतरा नहीं। आइपीएफ से पता चल जाता है कि मरीज कितनी देर में रिकवर कर लेगा।
-डा. श्वेता गर्ग, पैथालोजिस्ट
हर घंटे मिलेगी प्लेटलेट्स की सही जानकारी
खून में प्लेटलेट्स की मात्रा न्यूनतम 1.5 लाख होनी चाहिए, जबकि डेंगू के मरीजों में यह दस हजार से भी नीचे पहुंच जाती है। आइपीएफ मशीन का साफ्टवेयर बोनमैरो की उन अवयस्क कोशिकाओं का पता कर लेता है, जो ब्लड में पहुंचकर प्लेटलेट्स बढ़ाएंगी। डेंगू बुखार में इसकी मात्र घटते ही शरीर अवयस्क कोशिकाओं को बड़े-बड़े प्लेटलेट के टुकड़े के रूप में ब्लड में पहुंचाती है, जिसे सामान्य पैथोलोजी लैब नहीं पकड़ पाती। मशीन यह भी बता देगी कि मरीज में हर घंटे कितनी नई प्लेटलेट बनेंगी।
यह है प्लेटलेट्स
प्लेटलेट थाली के आकार की कोशिकाएं हैं, जो रक्त में थक्का बनाने की प्रवृत्ति रखती हैं। इनकी उम्र पांच से नौ दिन होती है। डेंगू में कई बार इनकी संख्या 20 हजार पहुंचने पर खून का गाढ़ापन कम हो जाता है। इससे नाक, कान एवं मुंह से रक्तस्राव और कई बार मरीजों की मौत हो सकती है। सितंबर से नवंबर तक डेंगू बुखार के सैकड़ों नए मरीज मिलते हैं। ज्यादातर में प्लेटलेट कम मिलता है, जिसका भय दिखाकर उन्हें फैक्टर चढ़ा दिया जाता है।
पांच नए मरीजों में मिला डेंगी वायरस
डेंगू ने मेरठ को चपेट में ले लिया है। रोज नए मरीज मिल रहे हैं। मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलॉजी में सोमवार को जांच में पांच नए मरीज मिले। सभी सैंपल मेडिकल कालेज की ओपीडी और अन्य वार्डो में भर्ती मरीजों के हैं। माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. अमित गर्ग ने बताया कि 35 साल के किशन, 11 साल की मुस्कान, 22 साल के जागीर, 84 सात के ईश्वर और 17 साल के रितिक में डेंगी पाजिटिव मिला। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बताया कि सभी मरीजों के घरों के आसपास एंटी लार्वा फागिंग कराई जाएगी। तीन मरीज मेरठ एवं दो बागपत जिले से हैं। फिजीशियन डा. टीवीएस आर्य ने बताया कि दीवाली से पहले डेंगू के मरीजों में वृद्धि हो सकती है। हालांकि स्ट्रेन-3 का वायरस ज्यादा घातक नहीं है।
इनका कहना है
बिना वजह प्लेटलेट चढ़वाने से बचें। इससे कई बार रक्त संक्रमित बीमारियां भी हो जाती हैं। प्लेटलेट बनाने की शरीर की अपनी क्षमता होती है, जिसका इंतजार करना चाहिए।
-डा. पीके बंसल, सीएमएस, जिला अस्पताल
डेंगू में अगर प्लेटलेट 15-20 हजार पहुंच जाए, शरीर तब भी रिकवरी कर सकता है। आइएमएफ जांच में पता चल जाता है कि बोनमैरो कितनी देर में प्लेटलेट की कमी दूर कर देगा। बेवजह प्लेटलेट चढ़वाने से मरीज को निजात मिल जाएगी।
-डा. तनुराज सिरोही, फिजीशियन
अगर जांच में बड़ी प्लेटलेट नजर आ रही हैं तो प्लेटलेट आठ हजार पहुंचने पर भी खतरा नहीं। आइपीएफ से पता चल जाता है कि मरीज कितनी देर में रिकवर कर लेगा।
-डा. श्वेता गर्ग, पैथालोजिस्ट
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