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अब यादों में रहेंगे फिल्म निर्माता रमेश भाटिया

बॉलीवुड में अमिताभ बच्चन, दिलीप कुमार, देवानंद और राजेश खन्ना जैसे बेहतरीन अभिनेताओं को स्टार्टअप देने वाले फिल्म निर्माता रमेश भाटिया अब यादों में रहेंगे। बुधवार को मेरठ शहर ने उन्हें अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई दी। बुधवार सुबह सूरजकुंड पर अंतिम संस्कार किया गया। छोटे पुत्र परीक्षित ने मुखाग्नि दी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 07:00 AM (IST)
अब यादों में रहेंगे फिल्म निर्माता रमेश भाटिया
अब यादों में रहेंगे फिल्म निर्माता रमेश भाटिया

मेरठ : बॉलीवुड में अमिताभ बच्चन, दिलीप कुमार, देवानंद और राजेश खन्ना जैसे बेहतरीन अभिनेताओं को स्टार्टअप देने वाले फिल्म निर्माता रमेश भाटिया अब यादों में रहेंगे। बुधवार को मेरठ शहर ने उन्हें अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई दी। बुधवार सुबह सूरजकुंड पर अंतिम संस्कार किया गया। छोटे पुत्र परीक्षित ने मुखाग्नि दी।

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लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे 83 वर्षीय रमेश भाटिया ने मंगलवार रात 11 बजे गंगानगर स्थित श्रीसाई वृद्धजन आश्रम दादा-दादी निवास में अंतिम सांस ली थी। उनके निधन की खबर से फिल्मी दुनिया और शहर में रंगमंच से जुड़े कलाकारों में शोक छा गया। वृद्धजन आश्रम में रहने वाले उनके साथियों की आंखें भी नम हैं। रमेश भाटिया के भतीजे स्कूल संचालक सुशील भाटिया ने बताया कि रमेश छह भाई और एक बहन थे। अब सिर्फ बहन श्योराज जीवित हैं। मिशन कंपाउंड निवासी उनके पिता गणपत राय पुराने जमाने में शहर के बडे़ वकील थे।

साढ़े नौ माह से रह रहे थे वृद्धाश्रम में

श्री साईं वृद्ध जन आश्रम की संचालिका नम्रता शर्मा ने बताया कि रमेश भाटिया तीन दिसंबर-17 को वृद्धाश्रम में आए थे। इससे पहले दिल्ली रोड स्थित वृद्धाश्रम में रहे। मुंबई से ऋषिकेश घूमने गए थे, जहां अचानक तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। प्रभात नगर में रहने वाली बहन श्योराज उन्हें मेरठ ले आई थीं।

माया के साथ बन गया था बेटी जैसा रिश्ता

वृद्धाश्रम में आने के बाद रमेश एकदम अकेले थे। कुछ दिन बाद ही पिलखुआ निवासी माया (70) भी यहां आकर रहने लगीं। माया को रमेश ने पिता का स्नेह दिया तो माया ने भी बेटी की जिम्मेदारी निभाई। दोनों पिता-पुत्री की तरह एक दूसरे का ख्याल रखते थे। माया की शादी खैरनगर निवासी लोहा कारोबारी वीके अग्रवाल से हुई थी। पति के निधन के बाद बच्चों ने भी किनारा कर लिया, जिससे उन्हें वृद्धाश्रम का आसरा लेना पड़ा।

खुशमिजाज और ¨जदादिल इंसान

माया बताती हैं कि उनके साथ करीब दस माह बिताए। वह एक ¨जदादिल और खुशमिजाज इंसान थे। अपनों से दूर होकर भी उन्हें कोई हताशा या मलाल नहीं था। उनका मानना था कि जो भूतकाल के बारे में सोचने के बजाय वर्तमान में खुश होकर जिया जाए। वृद्धाश्रम में आने वाले आगंतुकों से रमेश गर्मजोशी से मिला करते थे।

पसंद था ओशो व रविंद्रनाथ का साहित्य

माया बताती हैं कि वृद्धाश्रम के कमरा नंबर तीन में वे दोनों साथ रहते थे। रमेश रोजाना सुबह 6 बजे उठते थे। स्नान के बाद अखबार और किताबें पढ़ते थे। उन्हें ओशो व रविंद्रनाथ टैगोर का साहित्य पसंद था। खाने में आलू के परांठे उनके पसंदीदा थे। रमेश भाटिया ने दो शादी की थीं लेकिन दोनों पत्नी कई वर्ष पूर्व दुनिया छोड़ चुकी हैं।

बड़े ओहदे पर है बेटा

रमेश भाटिया के दो पुत्र हैं। बड़ा बेटा सुमित मुंबई के एक होटल में सीनियर जनरल मैनेजर है। छोटे पुत्र परीक्षित को चाचा सतपाल ने गोद ले लिया था। वह मिशन कंपाउंड में ही रहते हैं। वृद्धाश्रम की संचालिका नम्रता शर्मा ने बताया कि गत छह सितंबर को बड़ा बेटा सुमित मुंबई से उनसे मिलने आया था लेकिन दोनों में खास बातचीत नहीं हो सकी। चार सितंबर को आश्रम में सभी ने मिल-जुलकर रमेश भाटिया का जन्मदिन मनाया था।

स्क्रिप्ट के पैसों से की थी पार्टी

सुपरस्टार दिलीप कुमार की डबल रोल फिल्म 'राम और श्याम' सुपर हिट रही थी। 1967 में कौशल ने उनके कमरे पर बैठकर यह फिल्म लिखी। दक्षिण भारत के कुडाई कुनाल में शू¨टग के दौरान कौशल भारती पहले दिन जब दिलीप कुमार के पास पहुंचे तो स्क्रिप्ट कमरे पर ही छूट गई। कौशल ने फोन पर रमेश से संपर्क किया। रमेश ने स्क्रिप्ट को वीपीपी पोस्ट से रवाना कर दिया। बाद में जब वह रुपये मिले तो उससे पार्टी की।

सुपरहिट फिल्मों का ऐसा रहा सफर

मेरठ से जाने के बाद उन्हें मुंबई एयरपोर्ट पर एक होटल में मैनेजर की नौकरी मिल गई। बॉलीवुड में भी जान-पहचान शुरू कर दी। उन्होंने 1972 में अमिताभ बच्चन व जया भादुड़ी के साथ फिल्म 'बंशी-बिरजू' के रूप में करियर की शुरुआत की थी। निर्देशक प्रकाश वर्मा के साथ रमेश ने सह-निर्माता और फिल्म में पुलिस इंस्पेक्टर का किरदार बखूबी निभाया। इस फिल्म में जया बंशी के किरदार में थीं। इसके बाद रमेश ने 1980 में अनिल गांगुली के निर्देशन में स्टार अभिनेता राजेश खन्ना, राखी, रेखा, प्रेम चोपड़ा व अमोल पालेकर के साथ 'आंचल' फिल्म में काम किया। इस फिल्म में भी रमेश सह-निर्माता थे। रमेश ने इसके अलावा खानदान, साजिश, मर्डर इन सर्कस, आन मिलो सजना, आया सावन झूम के, वादे इरादे, नासूर व आज का ये घर आदि फिल्मों में योगदान दिया।

जब मोहन चोटी ने छुए पैर

सुशील भाटिया बताते हैं कि 1977 में वह उनके साथ मुंबई घूमने गए थे। जुहू चौपाटी पर शाम के वक्त घूम रहे थे। तभी वहां मशहूर कलाकार मोहन चोटी पहुंचे, जिन्होंने रमेश के पैर छुए। यह देखकर वह हैरान रह गए। इसके बाद रमेश सुशील को शशि कपूर, प्राण व पद्मा खन्ना की 'द गुरु' फिल्म के सेट पर ले गए। सुशील ने रमेश के साथ 'संकोच' की शू¨टग भी देखी।


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